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KP Astrology

कृष्णमूर्ति पद्धति ज्योतिष (KP Astrology in Hindi)

कृष्णमूर्ति पद्धति एवं 12 भाव (Krishnamurthy System and 12 Houses)

कृष्णमूर्ति पद्धति और प्रथम भाव - KP Astrology and First House

ज्योतिषशास्त्र में ग्रह, नक्षत्र तथा राशियों के समान ही कुण्डली में मौजूद विभिन्न भावों का अपना खास महत्व है। प्रथम भाव से लेकर द्वादश भाव तक सभी के अधीन बहुत से विषय होते हैं। इन विषयों से सम्बन्धित फल ग्रहों राशियों एवं इनसे सम्बन्धित नक्षत्रों के आधार पर शुभ-अशुभ तथा कम और ज्यादा मिलते हैं।

कुण्डली के प्रथम भाव को लग्न भाव भी कहते है। जिस प्रकार व्यक्ति के शरीर का आरम्भ सिर से होता है उसी प्रकार इस भाव से कुण्डली का आरम्भ होता है। इस भाव से व्यक्ति के स्वभाव (nature), आचार-विचार की जानकारी होती है। शरीर के हिस्सों में मस्तिष्क, सिर व पूरा शरीर तथा सामान्य कद-काठी का अनुमान भी लगाया जाता है। इस भाव में उपस्थित राशि तथा इस भाव में स्थित ग्रहों के आधार पर इस विषय में फल ज्ञात किया जाता है।

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प्रथम भाव से विचार:- (Considerations By the First House as per KP System)

इस भाव से सोचने -समझने के कार्य किये जाते है। किसी व्यक्ति की मानसिक स्थिति का प्रथम भाव से विचार किया जाता है। यह घर मस्तिष्क का घर होने के कारण इस घर से व्यक्ति में निर्णय लेने की क्षमता तथा दूरददर्शिता आती है। मन का झुकाव, बल, धीरज, हौसला, नेतृत्व (leadership), प्रतिरोध शक्ति, स्वास्थ्य, रुप-रंग तथा व्यक्तित्व सामान्य रुप से देखा जाता है।

यह भाव का शुभ प्रभाव व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रुप से सबल बनाने में सक्षम होता है। व्यक्ति के आंतरिक और बाहरी मनोभावों पर शुभ ग्रह का प्रभाव शुभता की वृद्धि करने में सहायक बनते हैं। लग्न में स्थिति बली शुभ गुरू एवं शुभ चंद्रमा, शुक्र अथवा बुध इत्यादि के प्रभाव से जातक के भीतर एक बेहद ही सकारात्मक ऊर्जा भी प्रवाहित होती है।

प्रथम भाव में ग्रहों का फल

सूर्य

पहले भाव में सूर्य के होने पर जातक में क्रोध की अधिकता होती है। वह नेतृत्व करने की क्षमता भी रखता है। जातक परिवार में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। अपने बल का अभिमान करने वाला और सभी के समक्ष स्वयं को स्थापित करने वाला होता है। जातक ओज पूर्ण और दिर्घायु भी होता है।

चंद्रमा

इस भाव में चंद्रमा की स्थिति होने पर जातक में सौम्यता अधिक देखने को मिल सकती है। व्यक्ति अपने कामों में चंचल हो सकता है। वाणी मे अस्पष्टता ओ सकती है। बोलने में कुछ शांत सौम्य भी हो सकता है। जातक को माता की ओर से स्नेह की प्राप्ति होती है।

मंगल

इस भाव में स्थित मंगल व्यक्ति में क्रोध, आतुरता और जिद्दी स्वभाव दे सकता है। व्यक्ति का चेहरा लालिमा लिए होता है। व्यक्ति का प्रभाव दूसरों पर भी जल्द से पड़ता है। वाद विवाद करने में आगे और लड़ाई में भी आगे रह सकता है। घूमने फिरने का शौकिन हो सकता है। शुभ प्रभाव का चंद्रमा व्यक्ति के लिए शुभकरी होगा।

बुध

पहले भाव स्थान में बुध की स्थिति का प्रभाव जातक को मनमौजी बना सकती है। जातक बोलने में कुशल और हंसी-मजाक करने वाला हो सकता है। कुछ अहंकारी और अपनी बातों को आगे रखने में हमेशा ही तैयार रहता है। काम के क्षेत्र में थोड़ा आलसी हो सकता है। शारीरिक शक्ति से अधिक बौद्धिक क्षमता से काम लेने वाला होता है।

बृहस्पति

बृहस्पति के पहले भाव में स्थिति व्यक्ति को बौद्धिकता चतुरता देने वाली होती है। यह लग्न में होने पर व्यक्ति में नेतृत्व और लोगों को अपने अनुसर चलाने कि क्षमता भी देता है। धार्मिक रुप से थोड़ा सजग होता है। अपनी परंपराओं को निभाने वाला होता है। कुछ मामलों में व्यक्ति में अहंकार भी दिखाई दे सकता है।

शुक्र

जातक अपने मन अनुरूप काम करने की इच्छा रखने वाला और अपने रहन सहन और पहनावे के प्रति कुछ सजग भी होता है। व्यक्ति में भौतिक सुखों के प्रति आकर्षण होता है। शुभ प्रभाव में होने पर सात्विकता को पाएगा पर अशुभ प्रभाव होने पर गलत चीजों की ओर जल्द ही आकर्षित हो सकता है।

शनि

पहले भाव में शनि के प्रभाव से जातक में मौन अधिक होता है। वह आत्मिक चिंतन पर जोर देता है। कुछ बोलने से पूर्व उस पर विचार करने की कोशिश होती है। सोच-विचार में अधिक रहने वाला। अपने अनुसार जीवन जीने की इच्छा रखने वाला।

राहु-केतु

साहसी और उत्साह में काम करने वाला। व्यक्ति सोच विचार में अधिक रहता है। भ्रम की स्थिति भी व्यक्ति में अधिक रहेगी। काम को करना या नही करना इन बातों को लेकर दूसरों पर अधिक निर्भरता हो सकती है।

प्रथम भाव की अन्य विशेषताएं:- (Other Qualities of the First House as per KP System)

किसी भी व्यक्ति की कुण्डली का विश्लेषण करते समय सबसे पहले कुण्डली के पहले भाव पर नजर डाली जाती है। प्रथम भाव को देखने से व्यक्ति के विषय में सामान्य जानकारी मिल जाती है। लग्न भाव के सुदृढ होने पर व्यक्ति का मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहने की संभावनाएं रहती है।

यह पहला भाव जातक के संबंधों को भी दर्शाता है। जातक के सगे-सम्बन्धियों में नानी, दादी का विश्लेषण करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह शुभ होने पर इन लोगों का जातक को सुख प्राप्त होता है। अगर यहां पाप प्रभाव होगा तो उनके सुख में कमी कर सकता है।

इस भाव से विचार किये जाने वाले कार्य:- (Consideration of Acts are Performed through this House as per KP System)

यह भाव दूसरे स्थान का बारहवां घर है। इसलिये इस घर से संचय में कमी का विचार किया जाता है। संचित धन में कमी का कारण पहला घर हो सकता है। दूसरे घर के स्वामी का पहले भाव में होने पर व्यक्ति को संचय करने में परेशानियां आ सकती है। यह घर बारहवें घर से दूसरा घर होता है इसलिए विदेशों के संस्कार का प्रभाव भी इस घर से ज्ञात किया जाता है।

घर में पहले भाव का स्थान:- (Place of the First House in the House as per KP System)

पहले भाव को घर के दरवाजे (door of the house) के रुप में देखा जाता है। यह भाव कमज़ोर होने पर घर का दरवाजा वस्तु दोष से प्रभावित हो सकता है। अगर कोई वस्तु खो गयी है जिनका सम्बन्ध प्रथम भाव से हैं तो खोई हुई वस्तु को मुख्य दरवाजे के पास तलाश करनी चाहिए चाहिए।

पहले भाव में शुभाशुभ फल

कुण्डली का कोई भी भाव अपने शुभ और अशुभ प्रभाव को ग्रहों की शुभ और अशुभ स्थिति पर भी निर्भर करता है। पहले भाव में जब शुभ ग्रह बैठे हो, भावेश बली हो, पहले भाव में शुभ ग्रह दृष्टि हो जैसी अन्य बहुत से शुभ प्रभावों के कारण पहला भाव शुभ होगा और जातक का शारीरिक और मानसिक बल मजबूत होता है। अगर पहला भाव अशुभ ग्रहों के मध्य फंसा हो, अशुभ ग्रह बैठें हो, अशुभ ग्रह देखते हों जैसी बातें इसे अशुभता देती हैं। इस के प्रभाव से जातक मानसिक और शारीरिक परेशानी झेल सकता है।

कृष्णमूर्ति पद्धति और दूसरे भाव की विशेषताएं - KP Astrology and Second House

जन्म कुण्डली के दूसरे भाव को धन भाव भी कहा जाता है। शरीर के अंगों में कान को छोड़कर कंठ के ऊपर का पूरा चेहरा दूसरे भाव के अन्तर्गत माना जाता है। जीभ, आँखें, नाक, मुंह तथा होंठ ये सभी दूसरे भाव से देखे जाते हैं।

धन भाव फल

यह व्यक्ति के जीवन में आर्थिक संपन्नता की स्थिति कैसी होगी इस बारे में जानकारी देता है। इस भाव में मजबूत गुरु की स्थिति और शुभ ग्रहों की युति प्रभाव के कारण जातक को आर्थिक संपन्नता की प्राप्ति मिलती है। व्यक्ति के लिए ये स्थान अपने कर्जों को जानने का अपने धन और उसके संग्रह को बताता है।

परिवार - कुटुम्ब की स्थिति

कुटुब की स्थिति भी इसी भाव से पता चल पाती है। इस भाव में अधिक ग्रहों की स्थिति बताती है कि जातक की फैमली बड़ी होगी। घर में लोगों की संख्या और रिश्तेदारों के साथ आपके संबंध एवं उनकी आपके जीवन में भूमिका कैसी होगी यह भी इसी स्तर पर आती है। इस भाव में गुरु चंद्र की स्थिति परिवार में प्रेम और सहयोग की अधिकता दिखाती है।

वाणी का प्रभाव

दूसरे भाव में वाणी एवं भाषा को देखा जाता है। यहां शुभ ग्रह का होना बुध का होना जातक को बोलचाल में प्रवीण बनाता है और व्यक्ति अपनी ओर से दूसरों को जल्द ही प्रभावित भी कर सकता है।

खान-पान की स्थिति

जन्म कुण्डली का दूसरा भाव जातक के खानपान को और उसके रुझान को दिखाता है। ये भाव बताता है की आप सात्विक भोजन के प्रति रुझान रखते हैं या तामसिक भोजन की ओर आप अधिक इच्छा रख पाते हैं। यहां शुक्र और राहु की स्थिति होने पर जातक नशे की ओर अधिक रुझान रख सकता है। खाने पीने का शौकिन भी होगा और गरिष्ठ भोजन के प्रति उसका मन अधिक लगेगा।

दूसरे भाव के कार्य:- (Acts of the Second House as per KP System)

दूसरे भाव से खाने-पीने की आदतों, बातचीत का तरीका, आवाज की मधुरता, वाणी, संगीत, कला इन सभी बातों को देखा जाता है। इसके अतिरिक्त इस भाव से परिवार के सदस्यों के विषय में भी जाना जाता है। इस कारण इस भाव को कुटुम्ब भाव भी कहते है। परिवार में वृद्धि या कमी का आंकलन भी इसी घर से किया जाता है।

दूसरे भाव में ग्रहों का फल

सूर्य

दूसरे भाव में सूर्य का प्रभाव होने पर व्यक्ति बोलने में थोड़ा कठोर हो सकता है। अपनी बातों को मनमाने वाला हो सकता है। व्यक्ति अपने काम को लेकर भी तेजी में रह सकता है। परिवार में तनाव हो सकता है और घर का कोई वरिष्ठ सदस्य जातक के जीवन में मुख्य भूमिका निभा सकता है।

चंद्रमा

चंद्रमा के इस भाव में होने पर वाणी मे अस्पष्टता हो सकती है। बोलने में कुछ शांत सौम्य भी हो सकता है। माता की ओर से कुछ न कुछ मदद जीवन में मिल सकती है। काम को लेकर आप अधिक तनाव में रह सकते हैं। आप फैसलों में अधिक सफल न हो पाएं। लोगों के साथ घुलने मिलने की योग्यता होती है।

मंगल

जातक में दूसरों से बदला लेने की भावना अधिक हो सकती है। अपनी बातों को दूसरों के सामने रखने की कला जानता है। बुद्धिमान, सौंदर्य युक्त, यश पाने के लिए उत्सुक सहनशीलता में कमी होना। बोलने में चतुर हो सकता है, अपनी मेहनत से धन कमाने में तेज, चोट इत्यादि लगने का डर भी रह सकता है।

बुध

बुध के दूसरे भाव में होने के कारण आप अपनी बोलचाल की शैली से दूसरे को प्रभावित कर सकते हैं। घर से दूर रहने को मजबूर भी हो सकता है। मनमानी भी कर सकता है। चंचलता अधिक होती है और किसी एक स्थान पर रहकर काम कर पाना आसान नही होता है।

बृहस्पति

बृहस्पति के दूसरे भाव में होने पर व्यक्ति अपनी बोलचाल में कुशल हो सकता है। जीवन साथी की ओर से सुख और सहयोग की मांग को पूरी करता है। कुछ भाई बंधुओं के साथ विरोध रह सकता है। पिता के साथ विचारों में मतभेद की स्थिति भी रह सकते है या वरिष्ठ सदस्यों के साथ सही से ताल मेल न बैठ पाए लेकिन अपनी ओर से प्रयास जारी रह सकते हैं।

शुक्र

शुक्र के प्रभाव से जातक को खान पान का शौक अधिक रह सकता है। अपनी मस्ती में रहने वाला और भौतिक चीजों के प्रति आकर्षण भी अधिक रहता है। स्त्री पक्ष का सहयोग मिल सकता है। अधिक खर्च करने वाला और अपने रहन सहन को लेकर काफी सतर्क भी होता है। बोल चाल में कुशल और मन मोहक बातें करने में कुशल भी हो सकता है। मधुर भाषा बोलने वाला और आर्थिक क्षेत्र में लाभ पाने वाला।

शनि

शनि के प्रभाव से व्यक्ति अपने मन की बातों को मन में ही रखना पसंद करता है। उसे अधिक बोल-चाल की इच्छा भी नही होती है, उसके इस व्यवहार के कारण लोग उससे दूरी बना सकते हैं। गलत चीजों की ओर झुकाव अधिक हो सकता है। धनार्जन के क्षेत्र में लगातार प्रयास करने वाला होता है।

राहु-केतु

इनके प्रभाव के कारण व्यक्ति को आर्थिक क्षेत्र में कभी अचानक घाटा और कभी अचानक लाभ जैसी स्थिति प्रभावित करती ही है। इस भाव में राहु के होने के कारण व्यक्ति का लोगों के साथ वाद-विवाद भी अधिक हो सकता है। बोलचाल में कठोर भाषण हो सकता है और व्यक्ति घुमावदार बातें करने में निपुण होता है। खान पान में गलत चीजों के प्रति झुकाव बहुत जल्दी होता है

द्वितिय भाव की विशेषताएं:- (Qualities of the Second House as per KP System)

इस भाव को धन भाव कहते है। इससे ज्ञात होता है कि आप अपनी आय से कितना संचय कर पाते हैं। इस भाव से ही धन, रुपया- पैसा, गहने, आदि के विषय में जानकारी मिलती है। इस भाव से वाणी में मधुरता व आंखों की सुन्दरता भी देखी जाती है।

दूसरे भाव की अन्य विशेषताएं:- (Other Characteristics of the Second House as per KP System)

बैंक, रेवेन्यू, अकाउन्ट, सात्विकता, कीमती धातु आदि के विषय में जाना जाता है। यह भाव तीसरे भाव से बारहवां स्थान होने के कारण छोटे भाई-बहनों में कमी के लिये भी देखा जाता है। इस भाव से अन्य जो बातें देखी जाती जा सकती है। उसमें छोटे भाई- बहनों की विदेश यात्रा, कर्जा चुकाना, जेल, सजा, माता को होने वाले लाभ, मामा की यात्राएं, उच्च शिक्षा, दुर्घटना, ऋण इत्यादि बातें भी इस भाव से देखी जाती हैं।

द्वितीय भाव का घर में स्थान:- (Place of the Second House in the Home as per KP System)

दूसरे भाव को घर में तिजोरी एवं रसोई घर का स्थान दिया गया है। कुण्डली के दूसरे भाव के पीड़ित होने पर घर की तिजोरी तथा रसोई घर में दिशा संबंधी दोष होने की संभावना रहती है। प्रश्न लग्न से खोई वस्तु को वापस प्राप्त करने के लिये वस्तु का संबन्ध दूसरे घर से होने पर तिजोरी तथा रसोई घर में वस्तु तलाशने से उसके वापस प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है।

कृष्णमूर्ति पद्धति और तीसरा भाव - KP Astrology and Third Houses

अगर आप शक्ति-सामर्थ्य, पराक्रम के विषय में जानना चाहते हैं तो आपको कुण्डली के तीसरे घर को देखना चाहिए। इसी प्रकार जब आप माता से स्नेह तथा सुख के विषय में जानाना चाहते हैं। भूमि एवं वाहन सुख आपको मिलेगा या नहीं मिलेगा अथवा कितना मिलेगा तो इस विषय में चौथे घर को देखा जाता है।

पारम्परिक ज्योतिष (Traditional astrology) के समान कृष्णमूर्ति ज्योतिष पद्धति में इन भावों के विषय में समान मान्यताएं हैं। अगर आप कृष्णमूर्ति पद्धति (Krishnamurthi Paddhati) से भविष्य फल जानने की कोशिश कर रहे हैं तो तीसरे और चौथे भाव से किन-किन विषयों के बारे में जान सकते हैं।

तीसरा भाव या पराक्रम स्थान (Consideration of the Third House as Per KP System)

कुण्डली के तीसरे घर को पराक्रम स्थान के नाम से जाना जाता है। शरीर के अंगों में यह घर श्वसन तंत्र का काम करता है। हाथ, कंधे, हाथों का ऊपरी हिस्सा, उंगलियां, अस्थि मज्ज, कान व श्रवण तंत्र तथा कंठ का स्थान के विषय में जानने के लिए भी तीसरे घर को ही देखा जाता है।

इस भाव की विशेषताएं (Qualities of Third House as Per KP System)

पराक्रम भाव से व्यक्ति की बाजुओं के बल का भीविचार किया जाता है। इसके अलावा व्यक्ति में साहस, वीरता आदि के लिये भी तीसरे भाव देखा जाता है। तीसरे घर से व्यक्ति की रुचियां व शौक देखे जाते है। यह घर लेखन (writing) की भी जानकारी देता है।

यह घर चौथे घर से बारहवां घर होने के कारण सुख में कमी की संभावनाओं कोदर्शाता है। तृतीय भाव द्वितीय भाव से दूसरा घर होने के कारण इस भाव से व्यक्ति के अंदर संगीत के प्रति लगाव को भी देखा जाता है। इस घर में जो भी राशि होती है उसके गुणों के अनुसार व्यक्ति का शौक होता है।

तीसरे घर से प्राप्त होने वाली जानकारियां (Information of the Third House as Per KP System)

तीसरे घर से लेखन तथा कम दूरी की यात्राओं (short travelings) का विचार किया जाता है। काल पुरूष की कुण्डली में तीसरे भाव में मिथुन राशि होती है इस राशि का स्वामी बुध होता है जिसे बुद्धि का कारक माना जाता है। बुद्धि तथा पराक्रम होने से सभी काम सरलता से पूरा जाता हैं। इसलिए इस भाव से कार्य कुशलता के विषय में भी जाना जा सकात है। मंगल तथा बुध का मेल इस घर में होने से लेखन कला में योग्यता प्रदान करते हैं।

कम्युनिकेशन के भाव के रुप में (Third House as a House of Communication as Per KP System)

सभी प्रकार के समाचार पत्र, मीडिया व संप्रेषण संबन्धी कार्य इसी घर से देखे जाते है। इसके अतिरिक्त इस घर से यातायात के सभी साधन भी देखे जाते है। प्रकाशन संस्थाएं भी इस भाव के अन्तर्गत आती है। भाषा के लिये दूसरा घर देखा जाता है। यह घर दूसरे से दूसरा होने के कारण व्यक्ति को एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होने की जानकारी देता है।

इस भाव की अन्य जानकारियां (Other Information o fThird House as Per KP System)

तीसरा घर छोटे भाई बहनों के स्वास्थ्य का घर होता है। भाई-बन्धुओं में कमी के लिये इस घर से विचार किया जाता है। संतान के लाभों के लिये भी तीसरे घर से विचार किया जाता है। नौकरी बदलने के लिये इस घर में स्थित राशि के ग्रह की दशा को देखना लाभकारी रहता है। तीसरा घर साहस एवं पराक्रम का घर होने के कारण खेल-कूद में सफलता के लिए भी इसी घर से विचार किया जाता है। इसी भाव से पड़ोसियों से सम्बन्ध का भी विचार किया जाता है।

इस भाव का घर में स्थान (Place of Third House in the Home as Per KP System)

किताबों की अलमारी, लेटर बाँक्स, खिडकियां, लिखने या पढ़ने का स्थान, टेबल, झूले आदि तीसरे घर का स्थान है। यदि प्रश्न कुण्डली में खोई हुई वस्तु का संबन्ध तीसरे घर से आ रहा है तो खोई हुई वस्तु इन्हीं स्थानों पर ढ़ूंढना चाहिए, इससे वस्तु मिलने की संभावना अधिक रहेगी।

कृष्णमूर्ति पद्धति और चौथा भाव - KP Astrology and Forth House

चौथे घर को सुख (happiness) का घर कहते है। इस घर से भौतिक सुख-सुविधाएं देखी जाती है तथा माता से प्राप्त होने वाले स्नेह को जानने के लिये भी चौथे घर से विचार किया जाता है। व्यक्ति जब कभी घर से दूर जाता है तब माता से दूर रहने की संभावनाएं बनती है। जिसके फलस्वरुप व्यक्ति के सुख में कमी आती है। जिसका कारण चौथे घर पर अशुभ प्रभाव हो सकता है।

सुख भाव

कृष्णमूर्ति पद्धति में चौथे भाव की स्थिति एक अनुकूल भाव है। यह एक शुभ स्थल भी है। जन्म कुण्डली में घर में मिलने वाला सुख इसी भाव से दिखाई देता है। हमारे भावनात्मक विचार एवं पारीवारिक स्थिति किस प्रकार की है ये बात हमे इस भाव से प्राप्त होती है। इस भाव की स्थिति के बुरे प्रभाव के कारण जातक को घर में सुख नहीं मिल पाता है। वह घर से दूर रह सकता है और घर से अलग ही दिखाई देता है।

विदेश जाने का मार्ग (Way to go Abroad as Per KP System)

यह भाव व्यक्ति को बताता है की उसकी घर पर स्थिति किस प्रकार की होगी। क्या वह अपने निवास स्थान पर ही रहेगा या फिर उसे अपने निवास स्थान से दूर जाकर रहना पड़ेगा। यह स्थान और इस भाव में यदि कोई ग्रह बैठा हुआ हो तो उस ग्रह के नक्षत्र प्रभाव ओर उसकी अन्य ग्रहों के साथ युति की शुभता या अशुभता द्वारा जातक के जीवन में उसके निवास स्थान को समझने में सहायता मिलती है। व्यक्ति के इस घर के पीड़ित हुए बिना व्यक्ति के घर से दूर विदेश में जाने की संभावनाएं कम ही बनती है। अगर बारहवें भाव के स्वामी का प्रभाव चौथे घर में आता हो या इन दोनों के राशि स्वामियों में यदि राशि परिवर्तन भी हो रहा हो तो भी ये स्थिति व्यक्ति के निवासस्थान से दूर जाने की स्थिति को दिखाती है।

हृदय से संबंधित रोग

शरीर के अंगों में चौथा घर हृदय स्थान होता है तथा इस घर से वक्षस्थल या छाती का विचार किया जाता है। इस भाव में पीड़ा अधिक होने पर व्यक्ति को हृदय से संबंधित रोग भी परेशान कर सकते हैं। चौथे भाव में स्थिति ग्रह चौथा भाव और चौथे भाव का स्वामी यह सभी मिलकर आपके दिल और छाती से जुड़े विकारों को दिखाते हैं।

चौथे घर के कार्य (Acts of the Fourth House as Per KP System)

चौथा घर तीसरे घर से द्वितीय घर होने के कारण भाई-बन्धुओं में वृद्धि की संभावना बनाता है। यह घर पंचम से बारहवां घर होता है इसलिये मध्यम स्तर की शिक्षा के लिये देखा जाता है। यह घर सुख स्थान होता है इसलिए घर के सुख के साथ वाहन का सुख, जमीन, खेती, तथा बगीचे की प्राप्ति भी इसी घर से देखी जाती है। कृष्णमूर्ति पद्धति (Krishnamurthy system) में चतुर्थ स्थान से ही कालेज की शिक्षा देखी जाती है परन्तु परम्परागत ज्योतिष में यह शिक्षा पंचम घर से देखी जाती है।

चौथा भाव घर में होने वाले बदलावों को दिखलाता है। इस भाव में घर में होने वाले परिवर्तन देखे जा सकते हैं। घर में बदलाव होना निर्माण के काम होना कोई नई वस्तुओं का घर पर लाया जाना ही चतुर्थ की स्थिति की सकारातमकता को दर्शाने वाला होता है। वहीं घर का सुख न मिल पाना, घर का पुराना या खराब हालात का होने पर पाप प्रभाव की स्थिति ही दिखाई देती है।

चौथे भाव में ग्रहों का फल

सूर्य - सूर्य का चौथे भाव में होना जातक को सामाजिक रुप में प्रसिद्धि देता है लेकिन पारिवारिक रुप में परेशानी अधिक झेलनी पड़ सकती है।

चंद्रमा - चौथे भाव में चंद्रमा की स्थिति होने पर व्यक्ति को परिवार में अपनी माता का प्रेम ओर सहयोग मिलता है सुख की प्राप्ति होती है। वस्त्र एवं आभूषण इत्यादि भी प्राप्त हो सकेंगे।

बुध - बुध के इस भाव में होने पर जातक को शिक्षण संस्थानों में जाने का मौका मिलता है। जातक घर से दूर जाकर काम कर सकता है। माता का स्वास्थ्य कमजोर रहता है। मित्रों का सहयोग मिलता है और घूमने फिरने के मौके भी मिलते हैं।

मंगल - मंगल का प्रभाव व्यक्ति के घर की शांति भंग करने जैसा होता है। मंगल के कारण व्यक्ति के घर में कोई न कोई बदलाव बना ही रहता है। लोगों के साथ विरोध की स्थिति भी झेलनी पड़ सकती है।

शुक्र - शुक्र का प्रभाव यहां होने पर व्यक्ति के पास सुख और समृद्धि मिलती है। जातक अपने प्रियजनों के साथ रहकर मौज मस्ती के पल भी गुजारता है। यात्राएं करनी पड़ सकती है और यात्रा से लाभ की प्राप्ति होती है। संगीत व और नृत्य के प्रति रुझान भी अधिक रहेगा। वाहन का सुख भी प्राप्त होता है।

शनि - शनि की चतुर्थ भाव में स्थिति के कारण मानसिक ओर घरेलू सुख में कमी झेलनी पड़ सकती है। पैतृक संपत्ति मिल सकती है। घर कुछ पुराने इंटीरियर का बना होता है।

राहु-केतु - जातक घर से दूर रह सकता है। अपने लोगों के साथ किसी न किसी कारण से अनबन हो सकती है। दुर्घटना के योग भी बनते हैं। माता को मानसिक कष्ट अधिक होता है।

दोनों पद्धतियों में अन्तर (Difference between Both the Systems as Per KP System)

कृष्णमूर्ति पद्धति में चौथे घर से कालेज की शिक्षा देखी जाती है तथा पांचवें घर से ईश्वरीय ज्ञान, अनुभूति, ईश्वर की पहचान तथा आत्मा के दर्शन की चाह को जाना जाता है। पारम्परिक ज्योतिष में पांचवें घर से ही कालेज की शिक्षा का भी विचार किया जाता है।

अन्य बातें (Othr Information as Per KP System)

  1. चौथे घर से वाहनों से प्राप्त होने वाले सुख को देखा जाता है।
  2. इस स्थान से ही पानी (कर्क राशि का स्थान होने के कारण), कन्सट्रक्शन, सिमेंट, रेती आदि वस्तुओं का विचार इस घर से किया जाता है।
  3. चौथा घर शिक्षण संस्थाओं।
  4. संतान का विदेश गमन।
  5. वाहन जैसे किए गाड़ियों , मोटर, हवाई जहाज इत्यादि का विचार होता है।
  6. इस घर से यात्रा में प्रयोग होने वाले वाहनों के विषय में भी जाना जाता है।
  7. चौथा घर माता का होने के कारण, माता के स्वास्थ्य के विषय में भी इस घर से जाना जाता है।
  8. पिता की दुर्घटना आदि का विश्लेषण करने के लिये चौथे घर से विचार किया जाता है।
  9. चौथा घर, तीसरे घर से द्वितीय घर होने के कारण पराक्रम व साहस में वृद्धि के लिये विशेष रुप से देखा जाता है।
  10. चतुर्थ भाव पंचम भाव का व्यय स्थान होने के कारण संतान सुख में कमी तथा प्रेम प्रसंगों में असफलता के लिए भी देखा जाता है।

घर में इस भाव का स्थान (Place of this House in the Home as Per K.P. Systems)

पढ़ाई का कमरा, पानी रखने की जगह, कुंए आदि चतुर्थ भाव के स्थान माने जाते हैं।

कृष्णमूर्ति पद्धति और पांचवा भाव – KP Astrology and Fifth House

कुण्डली का पांचवा भाव (fifth house) संतान भाव होने के साथ-साथ चतुर्थ भाव से दूसरा भाव भी है। इसलिये भौतिक सुख -सुविधाओं में वृद्धि की संभावनाएं देता है। जबकि छठा घर शत्रु भाव होने के साथ-साथ कोर्ट-कचहरी का स्थान होता है। इन दोनों भावों के विषय में कृष्णमूर्ति पद्धति में और भी बहुत कुछ कहा गया है।

कृष्णमूर्ति पद्धति में जातक की संतान से संबंधित बातों को और जातक की शिक्षा किस प्रकार की रहेगी इस जानकारी के लिए पंचम भाव उसके नक्षत्र स्वामी ग्रह स्वामी इत्यादि को देखा जाता है। इस नक्षत्र के सब-सब लोर्ड के आधार पर पढ़ाई के बारे में बारीकी से विवेचन किया जाता रहा है।

पंचम भाव (Consideration of the Fifth House as per KP System)

पाचवें घर से शरीर के अंगों में दिल, रीढ की हड्डी का विचार किया जाता है। इस भाव से संम्बन्धित शरीर के अंगों की जानकारी प्राप्त करने के पश्चात प्रश्न कुण्डली से रोग को ढूंढने में सहयोग प्राप्त होता है। जिससे रोग की इलाज सरल होता है।

पंचम भाव से देखी जाने वाली मुख्य बातें: (Information of the Fifth House as per KP System)

इस भाव से ईश्वरीय ज्ञान देखा जाता है। किसी व्यक्ति की ईश्वर पर कितनी श्रद्धा है। इसकी जानकारी पंचम घर से ही प्राप्त होती है। पंचम घर से नाटक, फिल्म, कलाकार, तथा फिल्म उद्योग (film industry) से जुड़े विषयों को देखा जाता है। कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें जो विशेष रुप से ही इस भाव से ही देखी जानी जाती है। जो प्रमुख बातें इस प्रकार से देख सकते हैं।

बुद्धि भाव

पंचम भाव बुद्धि का स्थान है, पंचम भाव का प्रभाव व्यक्ति को शिक्षा एवं बौद्धिकता के विकास को दर्शाने वाला होता है। इस भाव की शुभता होने पर जातक का बौद्धिक विकास अच्छा होता है। व्यक्ति अपनी योग्यता से लोगों के मध्य आकर्षक केन्द्र भी बनता है। जातक की जन्म कुण्डली में यह स्थान व्यक्ति की शिक्षा को बताता है। इस भाव की शुभता अच्छी पढ़ाई देने में भी सहयोगात्मक बनती है।

प्रेम और रोमांस का स्थान

जातक के जीवन में प्रेम की स्थिति कैसी होगी, क्या उसे प्रेम में सफलता मिल पाएगी क्या उसके जीवन में एक अच्छा साथी उसे प्राप्त हो पाएगा। इन प्रश्नों का उत्तर भी हमें इस पंचम भाव से मिल सकता है। इस भाव से आपके साथी के गुण का भी पता चल पाता है। आपके प्रेम की सफलता यहां बैठे शुभ ग्रहों पर निर्भर होती है। शुभ प्रभाव युक्त यह भाव जातक को जीवन में अच्छे संबंध भी देता है।

संतान सुख भाव

संतान के सुख को पाने की इच्छा आपकी पूर्ण होगी या संतान होने में देरी होगी। संतान आपके लिए आज्ञाकारी होगी या संतान से आपको दूरी सहनी होगी। इन बातों को भी हम इस भाव से जान पाते हैं। यह भाव यदि आठवें भाव से संबंध बनाता है या इसके स्वामी पर कोई पाप प्रभाव होता है तो संतान होने में विलम्ब की स्थिति भी जातक पर असर डाल सकती है।

पंचम भाव में ग्रहों की स्थिति

  • सूर्य - पांचवें भाव में सूर्य की स्थिति जातक को सजग और अपनी बातों को अमल करने वाला बनाती है। व्यक्ति जिद्दी हो सकता है। मित्रों का साथ मिलता है पर जातक गुस्सैल अधिक हो सकता है। राजनीति के क्षेत्र में व्यक्ति का प्रभुत्व बनता है।
  • चंद्रमा - चंद्रमा की पांचवें भाव में स्थिति होने से व्यक्ति के बौद्धिक स्तर में बेहतर हो सकता है। अगर चंद्रमा शुभ हो और बली हो तो दूसरों के साथ मेल जोल वाला भी बनाता है।
  • मंगल - इस भाव में मंगल की स्थिति के कारण जातक बहुत अधिक उत्तेजित हो सकता है। व्यक्ति में अपने काम के प्रति बहुत जल्दबाजी भी रखता और अपनों का विरोधी भी बन सकता है।
  • बुध - बुध के कारण जातक में मनोविनोद की अधिकता होती है, संतान होने में परेशानी झेलनी पड़ सकती है। जातक के पास अपने लोगों का विरोध अधिक नहीं होता है।
  • गुरु - गुरु के पंचम भाव में होने के कारण जातक ज्ञानवान होता है। शिक्षा में अच्छे प्रयास करता है। बुध के प्रभाव से जातक अभिमानी भी हो सकता है।
  • शुक्र - शुक का पंचम भाव में होना जातक को प्रेम और रोमांस की ओर ले जा सकता है। जातक कला पक्ष की ओर भी बहुत अधिक रुझान रखता है। मित्रों के साथ मेल जोल अधिक रहेगा।
  • शनि - शनि के प्रभाव से जातक को अकेलापन अपने से अलगाव ओर मित्रों का विरोध झेलना पड़ता है। संतान होने में देरी हो सकती है। पढ़ाई में रुझान कम रहता है।
  • राहु-केतु - पंचम भाव में राहु केतु के प्रभाव से जातक के मन मस्तिष्क में विचारों की लम्बी शृंखला बनी रहती है। जातक की सोच का दायरा बहुत ही विस्तृत होता है। इस भाव में जो भी फल मिलते हैं उनकी प्राप्ति में संघर्ष अधिक करना होता है।

पंचम भाव से संबन्धित अन्य बातें:- (Other Information of the Fifth House as per K.P. Systems)

  • पंचम घर अभिनय स्थान होता है।
  • सभी प्रकार के अभिनय स्थलों को इस घर से देखा जाता है।
  • स्टेडियम, खेल का मैदान, सभी प्रकार के खेल तथा खेल के साधन
  • संतान से प्राप्त होने वाला सुख।
  • शयन सम्बन्धी परेशानियां।
  • साझेदारी और समझौता।
  • शेयर बाजार,
  • नृत्य के मंच।
  • प्रेम प्रसंगों के विषय में भी इसी घर से विचार होता है।
  • पंचम भाव से पूर्व जन्म के पुण्य का भी ज्ञान मिलता है।

पांचवा घर तीसरे घर से तीसरा भाव होता है इस कारण इस घर से भाई-बन्धुओं की छोटी यात्राओं का आंकलन किया जाता है। जीवनसाथी से लाभ, पिता की धार्मिक आस्था, पिता की विदेश यात्रा, कोर्ट-कचहरी के फैसले के विषय में भी यही घर जानकारी देता है। यह स्थान छठे घर से बारहवां स्थान है जिसके कारण प्रतियोगिता कि भावना कम करता है। नौकरी में बदलाव, उधार लिये गये ऋण की हानि भी दर्शाता है, इन सभी बातों का विचार पंचम घर से किया जाता है।

घर में स्थान:-(Place of the Fifth House in the Home as per K.P. System)

घर में रसोईघर को पंचम भाव का स्थान माना जाता है। इस स्थान में शुभ प्रभाव के कारण ही जातक का जीवन एवं स्वास्थ्य उत्तम होता है। इस भाव की शुभता से आपके खान-पान का स्वरुप भी तय होता है। आपके खानपान की स्थिति भी इसी से प्रभावित भी होती है।

कृष्णमूर्ति पद्धति और षष्टम भाव – KP Astrology and Sixth House

जन्म कुण्डली का छठा भाव एक प्रकार से दु:स्थान भी होता है। इस भाव की राशि, ग्रह प्रभाव इत्यादि के कारण जातक को जीवन में कई तरह के उतार-चढा़व बने ही रहती हैं। इस भाव का प्रभाव जातक को विरोधियों, बीमारी और कर्ज की स्थिति से रुबरु कराता है। कृष्णमूर्ति पद्धति में इस भाव और इसमें बैठे ग्रह नक्षत्र एवं राशि नक्षत्र के आधार पर सूक्ष्म विवेचन द्वारा जातक के जीवन की घटनाओं को समझ कर फलादेश किया जाता है।

जन्म कुण्डली में छठे भाव को ऋण भाव के नाम से भी जाना जाता है। शरीर के अंगों में इस भाव से पेट, पाचन तंत्र आदि देखा जाता है। इसलिए इस घर को पेट से होने वाली बीमारियों का विचार किया जाता है। इस घर के स्वामी के पीड़ित होने पर व्यक्ति के रोग ग्रस्त होने की संभावनाएं बनती है। चिकित्सा शास्त्र के अनुसार भी पाचन-तन्त्र में परेशानी हुए बिना स्वास्थ्य में खराबी आने की संभावनाएं कम ही रहती है।

छठे भाव को समझने के लिए आवश्यक है की इसकी मुख्य बातों को समझा जाए। जब हम किसी चीज की रचना को समझ जाते हैं तो उससे प्राप्त प्रभाव को बेहतर रुप में समझ सकते हैं।

छठे घर की विशेषताएं: (Specialities of the Sixth House as per KP System)

छठे घर से काम के प्रति समर्पण, काम करने का तरीका, नौकरी में स्थायित्व तथा खाने-पीने के आदतों की वजह से होने वाली बीमारियों का आंकलन किया जाता है। जातक की बीमारी जल्द से ठीक होगी या समये लगेगा इस बात को समझने एक लिए इस भाव की स्थिति को देखा जाता है। इस भाव के प्रभाव में यदि लग्न ग्रसित होता है तो जातक की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है और कमजोर होने के कारण जातक व्यक्ति जल्द ही रोगों के प्रभाव में आ सकता है।

छठा घर कोर्ट-कचहरी का होने के कारण जिस भाव का स्वामी इस घर में स्थित होता है। उस भाव से जुडे सम्बन्ध के कारण कोर्ट-कचहरी का सामना करना पड़ता है जैसे:- तीसरे घर का स्वामी, जन्म कुण्डली में अगर छठे घर में हो तथा भाईयों से सम्बन्ध मधुर न हो तो, किसी मामले को लेकर कोर्ट-कचहरी में जाने की स्थिति बन सकती है। छठे घर से प्रतिस्पर्धाओं का विचार किया जाता है। खेल में जीतना, चुनाव में जीतना, तथा प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए भी इसी घर को देखा जाता है।

इसी प्रकार नौकरी के क्षेत्र में भी इस भाव से संबंधित फलों को देखा जाता है। जीवन में मिलने वाली पहली नौकरी को इसी से देखा जा सकता है। यह भाव स्पर्धा का भाव है और जीवन में होने वाली अनेक प्रतियोगिताओं में आप किस प्रकार विजयी होंगे ओर आपको इस क्षेत्र में कैसे लाभ मिलेगा ये बातें समझने के लिए बहुत छठे भाव की आवश्यकता प्राप्त होती है।

इसी प्रकार लग्न का संबंध जब षष्ठम भाव और अष्टम भाव से होता है तो इस स्थिति में जातक को असाध्य रोग होने की संभावना भी अधिक हो जाती है। इस स्थान पर मंगल जैसे पाप ग्रह के होने से व्यक्ति में संघर्ष से लड़ कर आगे बढ़ने की प्रवृत्ति भी जन्म लेती है।

छठे भाव में स्थित ग्रह

सूर्य - कुण्डली के छठे भाव में सूर्य की स्थिति जातक को कष्ट और परेशानी देने वाली होती है। जीवन में वाद-विवाद और तनाव की स्थिति झेलनी पड़ सकती है।

चंद्रमा - चंद्रमा का छटे भाव में होना व्यक्ति के लिए परेशानी और रोग की संभावना में वृद्धि करने वाला होता है। मानसिक रुप से चिंताएं अधिक घेरे रहती हैं।

मंगल - छठे भाव में मंगल का प्रभाव व्यक्ति को साहसी बनाता है। जातक अपने विरोधियों को समाप्त कर सकने कि क्षमता रखता है। व्यक्ति अपने रोग एवं शत्रु को समाप्त करने के काबिल भी होता है।

बुध - छठे भाव में बुध के होने से, जातक व्यर्थ के वाद विवाद से ग्रस्त रह सकता है। मित्रों के साथ अनबन झेलनी पड़ सकती है। त्वचा से जुड़े रोग प्रभावित कर सकते हैं।

बृहस्पति - छठे भाव में बृहस्पति के होने से जातक को संघर्ष अधिक करना पड़ता है। अपने लोगों का विरोध भी सहन करना पड़ सकता है।

शुक्र - छठे भाव में शुक्र होने के कारण व्यक्ति नशे से जल्द ही प्राभ्वित हो सकता है। मित्रों की संख्या भी अधिक होती है।

शनि - शनि का छठे भाव में होना व्यक्ति को रोग दे सकता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित होती है।

अन्य बातें: (Other Information as per KP System)

इस घर से देखी जाने वाली अन्य बातों में सफाई, सफाई विभाग, मजदूर यूनियन, नौकर, दुश्मनी, परेशानियां, ऋण, ओवर ड्राफ्ट सुविधा तथा पालतू पशुओं का विचार किया जाता है। ये भाव उन स्थितियों को दर्शाता है जहां संघर्ष अधिक करने की आवश्यकता होती है। किसी भी काम को जातक कितनी सक्ष्मता से आगे बढ़ते हुए ले जाता है वह हमे इस भाव के द्वारा पता चल पाता है।

इस घर से संबन्धित लोगों से मिलने वाले फल: (Results from Other People are Related to this House as per KP System)

छठा घर, तीसरे घर से चतुर्थ घर होने के कारण इस घर से छोटे-भाई बन्धुओं की भौतिक सुख-सुविधाओं को देखा जाता है। इस घर से इनकी शिक्षा भी देखी जाती है। भाईयों के द्वारा घर या वाहन लेने की संभावनाओं का विचार भी इसी घर से होता है। छोटी यात्राएं, घर बदलना, संतान की आर्थिक स्थिति, जीवनसाथी का विदेश जाना, पिता का मान-सम्मान, शोहरत का विचार भी इस घर से किया जाता है।

इस भाव में व्यक्ति को अपने घर, सुख, का , किसी पर विजय पाने इत्यादि बातों के लिए इस भाव की मदद चाहिए होती है। यहां स्थिति कोई शुभ ग्रह अपने प्रभाव से हार सा जाता है। उसकी स्थिति कमजोर हो जाती है और अपनी शुभता को नहीं दे पाता है।

छठे भाव का घर में स्थान:(Place of the Sixth House in the Home as per K P Systems)

अनाज या पका हुआ खाना रखने की जगह, नौकरों का कमरा, जानवरों के रहने का स्थान घर में छठे भाव का स्थान माना जाता है। प्रश्न लग्न में खोई हुई वस्तु का संबन्ध इस भाव से आने पर वस्तु को इन स्थानों पर तलाशने से खोई वस्तु मिलने की संभावना रहती है।

छठा घर, सप्तम भाव का व्यय स्थान होने के कारण जीवनसाथी के व्ययों की जानकारी देता है। वैवाहिक मामलों को लेकर कोर्ट-कचहरी में जाने की संभावनाएं इस घर से देखी जाती है। साझेदारी व्यापार का टूटना भी इस घर का प्रभाव होता है।

कृष्णमूर्ति पद्धति और सप्तम भाव – KP Astrology and Seventh House

परम्परागत ज्योतिष (Traditional astrology) हो या कृष्णमूर्ति पद्धति (Krishnamurthy Paddhati) सभी में फलादेश के लिये आधारभूत नियमों को समझना बेहद जरूरी होता है। दोनों ही पद्धति में आधारभूत नियमों में समानता है। जब हम विवाह, वैवाहिक जीवन तथा साझेदारी व्यवसाय की बात करते हैं तो परम्परागत ज्योतिष हो या कृष्णमूर्ति पद्धति दोनों में ही सप्तम भाव से विश्लेषण किया जाता है। इसी प्रकार से दोनों ही पद्धति में अष्टम भाव का भी विश्लेषण किया जाता है।

सप्तम भाव को विवाह या जया भाव के नाम से भी जाना जाता है। इस भाव से विवाह, जीवनसाथी, साझेदारी, विदेशी व्यापार तथा अन्तर्राष्ट्रीय मामलों का आंकलन किया जाता है। इस भाव से वैवाहिक जीवन के सुख तथा विवाह से संबन्धित सभी विषयों को देखा जाता है। शीघ्र विवाह, विवाह में विलम्ब तथा विवाह की आयु ज्ञात करने के लिये भी सप्तम भाव को देखा जाता है। कानूनी साझेदारों, कारोबार के लेन-देन इत्यादि के लिये भी इसी घर को देखा जाता है।

सप्तम भाव से देखी जाने वाली अन्य बातें: (Other Information of the Seventh House as per KP System)

कारोबार की स्थिति, व्यापार केन्द्र, विवाह मंडल, विदेश में प्रतिष्ठा व सभाओं में प्राप्त होने वाले सम्मान भी इस घर से देखा जाता है। विवाह कराने वाली संस्थाएं भी सप्तम भाव से देखी जाती है। अगर आप शिक्षा के उद्देश्य से छोटी यात्रा करना चाहते हैं तो इस विषय में भी सातवें भाव से विचार किया जाएगा। यह भाव चतुर्थ भाव से चौथा होने के कारण माता की माता अर्थात नानी के विषय में भी ज्ञान प्रदान करता है। सप्तम घर से कानूनी नोटिस का भी विचार किया जाता है।

इस भाव की महत्ता आपके समक्ष खड़े विपक्षी व्यक्ति को दिखाती है। जहां कुण्डली में लग्न स्थिति को आपकी स्वयं की स्थिति कहा जाता है वही सातवें भाव को आपके सामने आपके प्रतिद्वंदी कहें या फिर आपका विपरीत रुप जो आपके समक्ष खड़ा हुआ होता है। सातवां भाव जातक को उसकी कमियां दिखाता है।

विवाह विचार - इस भाव का संबंध विवाह रीति से भी होता है। आपका विवाह सुख कैसा होगा, विवाह बाद की आपकी स्थिति, विवाह समय इत्यादि बातें इस भाव से देखी जाती हैं। इस भाव के नक्षत्र स्वामी की स्थिति भी ये बताती है की विवाह संबंधों की मजबूती किस प्रकार व्यक्ति को प्रभाव में डालती हैं ये भी देखा जा सकता है।

पार्टनरशिप का काम - सातवां भाव कारोबार की जानकारी भी देता है। बहुत से लोग अपने काम को अकेले शुरु नहीं कर पाते जिसमें कई कारण हो सकते हैं जैसे पैसों का न होना, निर्भरता की प्रवृत्ति या रिस्क न ले पाना इत्यादि। ऎसे में व्यक्ति का दूसरों के साथ काम करने के बारे में अधिक सोचता है। ऎसे में उसकी दूसरों के साथ सहभागिता कैसी रहेगी। उसका काम चल पाएगा या नही, या वो अपने काम में दूसरों के साथ सही से तालमेल बिठा पाएगा या नहीं इन सभी बातों के लिए सातवें भाव को समझने की आवश्यकता होती है।

सामाजिक स्थिति - इस भाव से सामाजिक रुप से आपकी स्थिति भी स्पष्ट होती है। आपके लोगों के साथ कैसे संबंध रहेंगे, आपके विरोधियों पर आपका प्रभाव कितना मजबूत होगा। ये सभी बातें इस भाव से समझने में मदद मिलती है। ये एक प्रकार से पब्लिक फिगर का घर भी कहा जा सकता है।

सप्तम में स्थित राशि

सूर्य - इस भाव में स्थिति सूर्य एवं भाव नक्षत्र की स्थिति के अनुसार दांपत्य जीवन में परेशानी देखने को मिल सकती है। व्यक्ति गुस्सा अधिक होता है, वह अपनी इच्छा के अनुरुप काम करना चाहता है। नेतृत्व की इच्छा भी अधिक रहती है।

चंद्रमा - प्रेम और रोमांस की इच्छा अधिक रहती है। चंचलता अधिक रहती है। लोगों के साथ मिलकर काम करने की प्रवृत्ति भी व्यक्ति होती है।

मंगल - जातक ऊर्जा से भरा होता है। जल्दबाजी में काम करता है, इस कारण अपनी चलाने के चक्कर में परेशानी झेलनी पड़ती है।

बुध - बुध के कारण जातक मनमर्जी अधिक करने वाला है। वह अपने काम को निकालने के लिए हर संभव प्रयास करता है।

बृहस्पति - जातक के लिए गुरु का इस स्थान में अनुकूलता लाता है। जातक दूसरों के मध्य में आकर्षक व्यक्तित्व रखता है। जातक काम काज में अपनी ओर से ईमानदारी निभाता है। दांपत्य जीवन को सफल बनाने के लिए भी स्वयं प्रयास भी करता है।

शुक्र - शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति के मन में प्रेम ओर रोमांस को लेकर उत्साह अधिक रहता है। लोगों के साथ मेल-जोल बना रहता है। काम के क्षेत्र भी जातक की प्रसिद्धि रहती है। अपनी कार्यशैली से वह सभी के साथ ताल मेल बिठाने की कोशिश भी अधिक करता है। दांपत्य जीवन में प्रेम ओर सुख को पाता है। कला के क्षेत्र में व्यक्ति की रुचि अधिक रह सकती है।

शनि ग्रह - शनि के प्रभाव से व्यक्ति दांपत्य जीवन में काफी तनाव झेल सकता है। अपने से बड़े वर्ग के व्यक्तियों के साथ संपक अधिक बनते हैं। लोगों के मध्य अधिक मेल जोल नही देख पाता है। विवाह परंपरा से हट कर या गैर कास्ट में भी हो सकता है। किसी के साथ सहभागिता में किए गए काम में ध्यान अधिक बनाए रखने की आवश्यकता होती है।

राहु-केतु - परंपरा से हट कर काम करने वाला होता है। प्रेम के प्रति अधिक उत्सुकता हो सकती है। रिश्तों को लेकर कन्फयूजन भी बनी रह सकती है। किसी अपनाएं और किसे छोड़ा जाए इसी का विचार अधिक रहता है। काम में व्यवधान होने से विलम्ब और धोखा भी झेलना पड़ सकता है।

आप से सम्बन्धित लोगों के लिए सातवें घर का फल: (Results of the Seventh House for Your Friends and Relatives as per KP System)

सप्तम घर से छोटे-भाई बहनों तथा मित्रों की संतान को देखा जाता है। मित्रों के प्रेम-प्रसंगों के लिये भी इस घर को देखा जाता है। शिक्षा में आने वाली बाधाएं, कला, माता के घर, वाहन को खरीदना, संतान के मित्र, जीवनसाथी का स्वास्थ्य, पिता के व्ययों के लिये सप्तम घर का विचार किया जा सकता है। भाई-बन्धुओं को प्राप्त होने वाले सम्मान, अचानक से मिलने वाले प्रमोशन के लिये भी सातवें घर को देखा जाता है।

सप्तम भाव से घर के स्थानों का विचार:- (Place of the Sevenrth House in the Home as per KP System)

बडे कमरे, पलंग, गद्दा रखने का स्थान सप्तम भाव से पता चलता है। यह एक प्रकार से आपके कम्फर्ट को भी दिखाता है। आप अपनी चीजों से कितना सुख पाएंगे सातवें स्थान से इन बातों की जानकारी में मदद मिलती है।

अन्य बातें:- (Other Information)

यह स्थान अष्टम से बारहवां भाव होने के कारण, अष्टम भाव से प्राप्त होने वाले लाभों में कमी करता है। इस घर से घर-परिवार से प्राप्त होने वाली वसीयतें, नुकसान की भरपाई, बोनस, फंड, ग्रेच्युटी में आने वाली मुश्किलों को भी देखा जाता है।

कृष्णमूर्ति पद्धति और अष्टम भाव – KP Astrology and Eighth House

अष्टम भाव मृत्यु स्थान के रुप में विशेष रुप से जाना जाता है। जन्म से लेकर तमाम उम्र जो चीज़ व्यक्ति को सबसे अधिक परेशान करती है, वह है मृ्त्यु। मृ्त्यु से संबन्धित प्रश्न के लिये अष्टम भाव का विचार किया जाता है। अष्टम भाव से छुपी हुई या गुप्त बातें देखी जाती है। मृत्यु भाव होने के कारण इस भाव को शुभ नहीं समझा जाता है इसलिये जिस घटना से इस भाव का संबन्ध बनता है। उसमें शुभ फल कम मिलने की संभावना रहती है।

कुण्डली का ये भाव एक प्रकार से दु:स्थान भी होता है। जीवन में अचानक से होने वाले बदलावों को इसी भाव से देखा जाता है। इस लिहाज से व्यक्ति के जीवन में आने वाले कुछ ऎसे घटना क्रम जो उसकी लाइफ के मेजर प्वाइंट बन जाते हैं वो इसी भाव की बदौलत सम्भव हो पाता है। ये घटनाएं इस प्रकार से देखने को मिलती है कि जीवन में अचानक से आर्थिक क्षेत्र में घाटा हो जाना, किसी बड़ी दुर्घटना में अपनी महत्वपूर्ण वस्तुओं को खो देना इत्यादि बातें इस भाव के अन्तर्गत समझ में आती हैं।

आठवें भाव में ग्रहों का प्रभाव

आठवें भाव में ग्रह की स्थिति को अनुकूल नही माना जाता है। यहां आकर सभी ग्रह अपनी ऊर्जा को उतने बल से सामने नहीं ला पाते हैं। इस स्थान में शनि की स्थिति को ही अच्छा कहा गया है।

सूर्य ग्रह - अष्टम भाव में स्थित सूर्य की चमक का रंग कुछ धीमा हो जाता है। व्यक्ति को अपने जीवन में अपने वरिष्ठ जनों एवं उच्च पदों पर आसीन लोगों की ओर से बहुत अधिक सहायता नही मिल पाती है। आग से जलने का भय एवं पित्त से प्रभावित रोग अधिक परेशान कर सकते हैं।

चंद्र ग्रह - जन्म कुण्डली में चंद्रमा की आठवें भाव में स्थिति अच्छी नही कही जाती है। यह स्थिति जातक को जल से प्रभावित होने वाले रोग एवं मानसिक रुप से परेशानी दे सकती है।

मंगल ग्रह - आठवें भाव में मंगल के होने पर व्यक्ति को पेट से संबंधित रोग एवं रक्त विकार भी हो सकते हैं। क्रोध की अधिकता हो सकती है। अचानक से होने वाली दुर्घटना भी परेशान कर सकती है।

गुरू ग्रह - व्यक्ति में अपने मामले में बहुत अधिक अहंकार से भरा हो सकता है। अपनी जिद के कारण दूसरों की बातें सुनना उसे पसंद नही होता। खर्च अधिक रह सकते हैं।

शुक्र ग्रह - आठवें भाव में शुक्र आपको आकर्षक बनाता है, आर्थिक क्षेत्र में व्यक्ति को उतार-चढा़व अधिक झेलने पड़ते हैं। यात्राओं की अधिकता रह सकती है

शनि ग्रह - यहां शनि का प्रभाव कुछ सकारात्मक देने वाला होता है। आर्थिक क्षेत्र में धन की हानि की संभावना भी अधिक होती है। जायदाद से जुड़े मसले भी जीवन पर असर डाल सकते हैं।

राहु-केतु - स्वास्थ्य कुछ खराब रह सकता है, व्यवहार में कठोरता हो सकती है। व्यक्ति अपने में अधिक रहने वाला होता है जिस कारण उसे घमंडी भी समझा जा सकता है। बातों में छल अधिक होता है।

अष्टम भाव से विचार की जाने वाली बातें:(Other Information of the Eighth House as per K P Systems)

अष्टम भाव गुप्त शत्रुओं (enemies) के विषय में बताता है, साजिश, छुपी योजनाएं, प्यार के छुपे मामले, दुर्घटना, आपरेशन, गर्भपात, शरीर के हिस्से बेकार हो जाना, अपयश व नैतिक पतन इस भाव से देखा जाता है। इस भाव से मृत्यु के समय शरीर की स्थिति की भी जानकारी मिलती है तथा अचानक होने वाली हानि व लाभों के लिये भी अष्टम घर को देखा जाता है। इस घर के बली होने पर शेयर बाजार, रेस से आय की प्राप्ति होती है।

आठवां भाव एक प्रकार की गहरा स्थान है जो अंधेरे से भरा हुआ है, इसे गड्ढा भी कहा गया है जिसमें जीवन की अच्छी वस्तुएं समाकर परेशानी का सबब बनती हैं। इसी के कारण जीवन में मिलने वाले सुख होने पर भी उन सबका सुख नहीं मिल पाना ही इस परेशानी का सबब मिलता है।

आठवें भाव से लॉटरी या कोई ऎसी चीज जो अचानक से आपके जीवन में आकर दिशा बदल देती है। पैतृक संपत्ति में अधिकारी की प्राप्ति को लेकर भी इस भाव की भूमिका आती है।

अष्टम भाव की विशेषताएं: (Specialties of the Eighth House as per K P Systems)

अष्टम भाव से प्राप्त होने वाली आय के पीछे कष्ट या दुख प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है।

गुप्त रुप से मिलने वाला धन भी इस भाव से देखने को मिल जाता है।

इस भाव से विवाह के बाद प्राप्त होने वाले धन की जानकारी प्राप्त होती है। इसी के साथ मांगल्य सुख की स्थिति भी देखने को मिलती है। यह भाव आपके जीवन साथी के साथ सुख को दर्शाता है।

अष्टम भाव से धन की प्राप्ति की संभावना तो रहती है, परन्तु इसमें भी अशुभ प्रभाव बना रहता है जैसे:- नौकरी छुटने पर ग्रेच्युटी की प्राप्ति, किसी अपने की मृत्यु के बाद वसीयत की प्राप्ति, दुर्घटना के बाद मुआवजे की प्राप्ति में बाधा आती है।

अन्य बातें:- (Other Information as per K P Systems)

इस घर को गोपनीय विषयों के लिये देखा जाता है। इसलिए पुलिस विभाग, जासूसी, आडिट डिपार्टमेन्ट, किसी भी विभाग में पूछताछ के काम, अग्निशमन दल, सफाई विभाग, सर्जरी, जन्म-मृत्यु पंजीकरण का दफ्तर, जहर, बडी असफलता, बीमा ऎजेंट आदि का भी इसी इस घर से देखा जाता है।

इस भाव और इस भाव से संबंधित ग्रह के नक्षत्र का विचार भी करना अत्यंत आवश्यक होता है। ग्रह नक्षत्र के पद को जान कर उसका सूक्ष्म आंकलन करके इस भाव से मिलने वाली स्थिति से अवगत हुआ जा सकता है।

इस भाव की महादशा जातक के लिए बदलावों का दौर लाने वाली होती है। व्यक्ति को अपने जीवन में बहुत प्रकार के चेंज देखने होते हैं। कई बार स्वास्थ्य के चलते तो कई बार आर्थिक स्थिति की उठा-पटक के कारण।

इस भाव से संबन्धित अन्य फल:- (Other Results of the Eighth House as per K P Systems)

अष्टम भाव से छोटे भाई-बहनों के स्वास्थ्य में खराबी, नौकरी, धन अर्जन और ऋण, मां की नौकरी में बदलाव, लम्बी अवधि की बीमारियां, संतान की शिक्षा, घर और वाहन खरीदना, जीवनसाथी का धन कमाना, पिता का नुकसान, मोक्ष, भाई-बहन या दोस्तों का प्रमोशन, यश, सम्मान। इन सभी बातों का विचार किया जाता है।

अन्य भावों से संबन्धित फल: (Relationship of the Eighth House with other House and Its Results as per K P Systems)

अष्टम भाव नवम भाव से बारहवां भाव होने के कारण पिता के स्वास्थ्य में कमी का कारण हो सकता है। भाग्य में आने वाली बाधाओं को जानने के लिए भी अष्टम भाव को देखा जाता है। धर्म-कर्म में मन नहीं लगने का कारण भी आठवें घर से जाना जाता है। पर इसके साथ ही यह भाव एक गहन आध्यात्मिक ज्ञान भी देने में सक्षम होता है। अत: यह दोनों तरफ के झुकाव को लेकर चलता है अत: ग्रह और नक्षत्र के प्रभाव से ही समझा जा सकता है की कौन सी दिशा पर आगे बढ़ना होगा। उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में मिलने वाले विरोध का कारण भी यही घर होता है।

व्यवसाय के लिये की जाने वाली यात्राओं में लाभ की स्थिति का विचार भी आठवें घर से किया जाता है। आठवां भाव अस्पताल का भी भाव होता है इसलिए जब छठे घर का संबन्ध, अष्टम भाव से बनता है तो व्यक्ति लम्बे समय तक रोग से पीड़ित होगा यह जानकारी मिलती है।

कृष्णमूर्ति पद्धति और नवम भाव – KP Astrology and Ninth House

ज्योतिषशास्त्र में नवम भाव को भाग्य का घर कहा जाता है जबकि दसवें घर को को आजीविका स्थान के रूप में जाना जाता है। किसी भी व्यक्ति के जीवन में ये दोनों ही चीजें बहुत मायने रखते हैं। अगर आप जानना चाहते हैं कि कुण्डली के नवम भाव का आपके जीवन पर क्या प्रभाव है तथा दसवां घर आपको किस प्रकार का फल दे रहा है तो सबसे पहले आपको यह जानना चाहिए कि इन घरों की क्या-क्या विशेषताएं हैं।

नवम भाव से विचार की जाने वाली बातें: (Other Information of the Ninth House as per K P Systems)

नवम भाव को भाग्य भाव तथा धर्म का घर भी कहते है। इस भाव से पैरो के ऊपरी हिस्से अर्थात पिंडलियों को देखा जाता है। काल पुरुष की कुण्डली के अनुसार इस भाव में गुरू की धनु राशि आती है। यह भाव धर्म का भाव होने के कारण इस भाव से व्यक्ति के धार्मिक आचरण को देखा जाता है। यह भाव बलवान होने पर व्यक्ति धर्मिक कार्यों में अधिक रूचि लेता है। नवम भाव को पिता का घर भी माना जाता है अत: पिता के विषय में जानने के लिए भी नवम भाव को देखा जाता है।

नवम भाव की विशेषताएं: (Specialties of the Ninth House as per K P Systems)

यह भाव मित्रों व छोटे भाई-बहनो के लिए विवाह स्थान होता है। इस भाव से इनके विवाह के समय का आंकलन किया जा सकता है। जीवनसाथी के छोटे-भाई बहनों के लिये भी नवम भाव का विचार किया जाता है। उच्च शिक्षा, व अनुसंधान कार्य के लिए भी नवम भाव को देखा जाता है। देश और विदेश यात्रा के विषय में जब आप कुण्डली का विश्लेषण करते है तब भी नवम भाव का विश्लेषण किया जाता है। व्यक्ति का झुकाव आध्यात्म कि ओर देखने के लिये इस घर पर केतु व गुरु का प्रभाव होना जरूरी समझा जाता है। नवम भाव नई खोज का भाव है। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में यह भाव बलवान होता है उन्हें कुछ नया करने की चाह रहती है।

अन्य बातें:- (Other Information as per K P Systems)

यह भाव बडे पैमाने के विज्ञापनों का भाव है। धर्म ग्रन्थों को जानने में यह भाव सहयोगी होता है। समाज में व्यक्ति की छवि नवम भाव से ज्ञात की जा सकती है। किसी व्यक्ति के साथ समाज है या नहीं इसका निर्णय चतुर्थ व नवम भाव से ही किया जाता है। मुख्य रुप से इस भाव को ईश्वरीय आस्था-प्रेम के लिये देखा जाता है तथा अगले जन्म को समझने के लिये भी इसी भाव का आंकलन किया जाता है।

नवम भाव से संबन्धित अन्य फल:- (Other Results of the Ninth House as per K P Systems)

नवम भाव छोटे-भाई बहनों के विवाह का स्थान है। तथा माता की बीमारियां जानने के लिये भी इस भाव का विश्लेषण किया जाता है। नवम भाव को धन भाव भी कहते है। इस भाव से संतान की शिक्षा भी देखी जाती है तथा नवम भाव में राहु ग्रह के होने पर गैर पारम्परिक कलाओं में रुचि लेता है। नवम भाव जीवनसाथी की यात्राओं का भाव होता है। पिता का भाव होने के कारण इस भाव से पिता के स्वास्थ्य को देखा जाता है। एकादश भाव से एकादश होने के कारण यह भाव भाई-बहनों के लाभ के लिए भी देखा जाता है।

नवम भाव से संबन्धित फल: (Relationship of the Ninth House with other House and Its Results as per K P System)

यह भाव दशम भाव से बारहवां भाव है। इसलिये श्रम में कमी की ओर संकेत करता है। प्रमोशन में आ रही रुकावटों के लिये इस भाव को देखा जा सकता है। व्यक्ति की अधिकार सीमा में किसी प्रकार की आने वाली बाधाओं के लिये भी यह भाव मह्त्वपूर्ण समझा जाता है। न्याय स्थान होने के कारण कोर्ट-कचहरी के विषय के लिए भी इस भाव का विश्लेषण किया जा सकता है। इस भाव से अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय सम्बन्धी विषयों को भी देखा जाता है।

नवम भाव से घर के स्थानों का विचार:- (Place of the Ninth House in the Home as per KP System)

घर का पूजा स्थल नवम भाव का स्थान माना जाता है। घर में देवी देवताओं की तस्वीरों का स्थान भी नवम भाव ही होता है।

कृष्णमूर्ति पद्धति और दशम भाव – KP Astrology and Tenth House

जन्म कुण्डली में दशम भाव से काम यानी कर्म क्षेत्र के बारे में पता चलता है। जीवन में कार्य क्षेत्र में आप किस प्रकार अपनी ओर से प्रयत्न करते हैं और कैसे आप इस स्थिति के सामने अपने जीवन को किस प्रकार बेहतर रुप में आगे ले कर चल पड़ते हैं। कुंडली के दसवें घर से जातक के काम काज और व्यवसाय में आने वाले उतार चढा़वों का पता चल पाता है। कार्य क्षेत्र से संबंधित उतार-चढ़ाव और सफलता व असफलताएं व्यक्ति के जीवन को प्रभावित भी करता है। जातक अपने व्यवसायिक क्षेत्र में कितनी सफलताएं उसके आगे आएंगी या उसे कब अपने जीवन में असफलताएं दिखाई देती हैं इन बातों को जानकर ही व्यक्ति अपने लिए बेहतर भविष्य निर्माण को कर सकता है।

दशम भाव को कर्म स्थान के नाम से भी जाना जाता है। शरीर के अंगों में दशम भाव घुटनों का प्रतिनिधित्व करते है। घुटनों में होने वाली किसी भी तरह की पीडा का सम्बन्ध शनि देव व दशम भाव से होता है। शनि देव को कर्म करने के लिये प्रेरित करने वाला ग्रह कहा जाता है। यह भाव कर्म भाव होने के कारण व्यक्ति कि मेहनत संघर्ष का उल्लेख करता है। धन कमाने के लिये किया गया कोई भी कार्य दशम भाव से देखा जाता है।

दशम भाव की विशेषताएं: (Specialties of the Tenth House as per K P Systems)

यह भाव काम कि सफलता के लिये भी देखा जाता है। इस भाव से व्यक्ति के कार्यक्षेत्र का विश्लेषण किया जाता है तथा सफलता प्राप्ति के लक्ष्य को पाने के लिये व्यक्ति की चाह भी इसी घर से देखी जाती है।

दशम भाव से हर प्रकार का सम्मान देखा जा सकता है। व्यक्ति अपने काम के कितना कुशल होगा और किसी प्रकार उसे जीवन में सफलता के साथ साथ सम्मान की भी प्राप्ति हो सकेगी ये बातें हमें दशम भाव की गणना से ही आती है। दसवें भाव में ग्रहों की स्थिति एवं राशि के प्रभाव से व्यक्ति के काम में उत्पन्न होने वाले गुण दोषों को जाना जा सकता है। जातक को मिलने वाले अधिकार इत्यादि की जानकारी भी इस भाव से मिलती है।

दशम भाव सत्ता पक्ष का भाव भी कहा जाता है। इस भाव के अधिकार से ही कोई व्यक्ति राजनिति में अपने स्थान को बेहतर ढंग से जान सकता है। अधिकार व अधिकारों का प्रयोग करने की प्रवृति भी दशम भाव से देखी जाती है। राजनीति के क्षेत्र में यहां शनि की स्थिति भी मजबूत होने पर सत्ता पर जातक की अच्छी पकड़ भी बन सकती है।

दशम भाव से हमारे कर्म हैं। ऎसे में जब जन्म कुण्डली से मृत्य के बारे में जाना जाता है तो कहा जाता है की दशम भाव के स्वामी की दशा भी देखी जा सकती है, क्योंकि ये हमारे कर्मों के समापन को दिखाती है। कर्म की समाप्ति ही जीवन कि भी समाप्ति होती है।

दशम भाव से विचार की जाने वाली अन्य बातें: (Other Information of the Tenth House as per K P Systems)

इस भाव से देखी जाने वाली अन्य बातों में अधिकारी व सत्ता पद पर आसीन उच्च अधिकारियों का नाम लिया जाता है जैसे प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, सरकार, सरकारी दफ्तर। जबकि राजनीति में विपक्षी पक्ष के लिए चतुर्थ भाव को देखा जाता है।

इस भाव की जानकारी में जातक को अपने जीवन में आने वाले उतार-चढा़व भी देखने को मिलते हैं। सत्ता के गलियारों की चमक से लेकर आपके जीवन में फैशन, कला विज्ञान इत्यादि में अपनी भूमिका को समझने के लिए इस भाव को समझना पड़ता है।

दशम भाव में ग्रहों का प्रभाव

सूर्य ग्रह

दशम भाव में सूर्य बली होता है, सूर्य व्यवसाय व नौकरी के लिए शुभ माना जाता है। व्यक्ति साहस और उत्साह के साथ काम भी करता है। उच्च पद पर आसिन व सरकार से पद पाने वाला बनता है। इस भाव में सूर्य की स्थिति जातक को सरकारी क्षेत्र में सहयोग देने वालि होती है।

चंद्रमा ग्रह

दसवें भाव में चंद्रमा की राशि स्थिति या स्वयं के होने के कारण जातक अपने काम को बेहतर काम करने वाला बनता है। अपने काम में एक प्रकार से बेहतर काम करने वाला होता है और लोगों के मध्य सम्मान भी मिल पाता है।

मंगल ग्रह

मंगल की दशम भाव में स्थिति भी अनुकूल मानी जाती है। व्यक्ति साहस के साथ अपने कामों में आगे बढ़ता जाता है। अपने काम में वह परिश्रम में कमी नही करता है। जातक ऎसे क्षेत्र में बेहतर कर सकता है जो काम जमीन एवं संपत्ति से जुड़े होते है। इस काम में मंगल को पृथ्वी से जुड़ा माना है ऎसे में भूमि से संबंधित काम उसके लिए सकारात्मक होते है।

बुध ग्रह

बुध राशि स्वामी या ग्रह होने पर व्यक्ति को ऎसी चीजों की ओर आकर्षित करता है जिनमें शारीरिक बल के बदले मानसिक बल की मांग ज्यादा हो। बौद्धिकता से संपन्न काम में जातक को सफलता प्राप्त होती है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को लेखन एवं शिक्षण इत्यादि क्षेत्रों में सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।

बृहस्पति ग्रह

दसवें घर में बृहस्पति भी उच्च स्तर के कार्य की ओर व्यक्ति का झुकाव लाता है। व्यक्ति के समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाने में भी सहायक बनता है। इसमें जातक अपनी बुद्धि विवेक से काम करते हुए आगे बढ़ता है। नान टेक्निकल काम में ज्यादा रुचि ले सकता है।

शुक्र ग्रह

शुक्रे के दसवें भाव में राशि स्वामी या ग्रह होने पर का फल जातक को कला के क्षेत्र से धन कमाने के लिए प्रेरित करता है। संगीत और कला क्षेत्र में व्यक्ति के भीतर लगाव भी बहुत गहरा होता है। इसके अलावा फैशन से संबंधित काम भी उसे प्रभावित कर सकते हैं।

शनि ग्रह

जातक को ऎसे क्षेत्रों में काम करने की चाह होती है जो सेवा से जुड़े होते हैं। शनि का प्रभाव राजनीति का काम देता है। शनि की राशि और शनि की उपस्थिति एवं शनि नक्षत्र का प्रभाव जातक को भागदौड़ अधिक देता है।

राहु - केतु

राहु-केतु के प्रभाव से व्यक्ति को टेक्निकल से जुड़े काम मिल सकते हैं। अपने कार्य क्षेत्र में उसे अधिक प्रयास भी करने पड़ते है। विरोधियों को दबाने में सक्षम हो सकता है। आपने काम के लिहाज से वह यात्राएं भी कर सकता है। विदेश संबंधी कार्य भी उसके काम में आते हैं।

सम्बन्धित लोगों के लिए दशम भाव का फल: (Results of the Tenth House for Your Friends and Relatives as per KP System)

छोटे भाई-बहनों की दुर्घटनाओं के लिए दशम भाव का विश्लेषण किया जाता है। दशम भाव आजिविका का भाव है होने के साथ ही साथ भाव नवम से द्वितिय भाव होने के कारण पिता के संचित धन का घर भी माना जाता है। संतान की बीमारियों को समझने के लिये दशम भाव का प्रयोग किया जा सकता है। जीवनसाथी को वाहन मिलेगा अथवा नहीं इस विषय में भी नवम भाव का विचार किया जाता है। घर खरीदने से पूर्व इस घर पर भी ग्रहों का प्रभाव देखना चाहिए। बडे भाई-बहनों की विदेश यात्रा का संबन्ध दशम घर से होता है। देश की राजनीति का आपके जीवन पर प्रभाव का आंकलन भी दशम घर से किया जाता है। राजनैतिक व्यवस्था के लिये भी यह भाव देखा जाता है। कारोबार की तरक्की का संबन्ध भी दशम घर से होता है।

दशम भाव से घर के स्थानों का विचार:- (Place of the Tenth House in the Home as per KP System)

घर की छत को दशम भाव का स्थान माना जाता है। यह एक ऎसा स्थान है जो जीवन को वो संभाले रख सकने में बहुत सहयोगात्म्क है।

कृष्णमूर्ति पद्धति और एकादश भाव – KP Astrology and Eleventh House

जीवन के आधारभूत तत्वों में से आय और व्यय महत्वपूर्ण होता है। हम सभी यह जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि हमारी आमदनी कैसी होगी तथा संचय की स्थिति क्या होगी। इन सभी बातों की जानकारी क्रमश: ग्यारहवें और बारहवें घर से मिलती है। ग्यारहवां भाव आय का घर माना जाता है तो बारहवां व्यय का। इन दोनों भावों के विषय में कृष्णमूर्ति पद्धति क्या कहती है आईये इसे दखें।

एकादश भाव (Qualities of the Eleventh house As per Krishnamurthy System)

एकादश भाव को आय का घर कहा जाता है। यह घर दशम भाव में किये गये कर्मों का फल होता है। यह भाव बलवान होने पर व्यक्ति को अपने किये कर्यों का पूरा लाभ मिलता है। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है। व्यक्ति के मन में आशा का संचार होता रहता है। जीवन की सामान्य आवश्यकताओं को पूरा करना आसान होता है।

एकादश भाव की विशेषताएं: (Specialties of the Eleventh House As per Krishnamurthy System)

आज का युग अर्थ युग कहा जाता है। इसलिए जीवन में धन की अहमियत बढ़ गयी है।, इसलिए आय भाव यानी ग्यारहवें घर का महत्व भी ज्यादा हो गया है। सभी लोग यह जानना चाहते हैं कि उनकी आय कैसी होगी। इस विषय की जानकारी ग्यारहवें भाव से ही मिलती है। हमारे शरीर में ग्यारहवें भाव का स्थान कान तथा पैर की पिण्डलियों को माना जाता है।

एकदश भाव के कार्य: (Acts of the Eleventh House As per Krishnamurthy System)

कृष्णमूर्ति पद्धति में लाभ स्थान को महत्वपूर्ण माना जाता है। कृष्णमूर्ति पद्धति में प्रश्न कुण्डली का प्रयोग करने के लिये जब भी किसी घटना के घटित होने या न होने की संभावना देखी जाती है। उस स्थिति में लाभ स्थान को देखा जाता है। इस स्थान से बडी उम्र के दोस्त, सभी प्रकार के लाभ, इच्छापूर्ति की संभावना, दया, सलाहकार, अनुयायी, चाहने वाले, दोस्त, शुभ चिन्तक का आंकलन किया जाता है। एकादश भाव बड़े भाई का घर होता है। लाभ स्थान से सभी प्रकार की संभावित प्राप्तियों को भी देखा जाता है।

इस भाव से संबन्धित अन्य पक्ष:- (Other Prospects of the Eleventh House As per Krishnamurthy System)

एकादश भाव छोटे-भाई बहनों की उच्च शिक्षा (high education) व विदेश यात्रा के लिये देखा जाता है। मां की लम्बी अवधि की बीमारी के विषय में इस स्थान से विचार किया जाता है क्योंकि एकादश भाव माता के स्थान यानी चतुर्थ भाव से आठवां घर होता है। माता के साथ होने वाली किसी प्रकार की दुर्घटना के विषय में भी इस घर से विचार किया जाता है। पिता की कम दूरी की यात्रा का संबन्ध भी इस भाव से होता है। वाहन को बदलने का विचार हो तो उस स्थिति में भी एकादश भाव का आंकलन किया जाता है। संतान की सफलता के विषय में जानने के लिए इस भाव को देख सकते हैं।

एकादश भाव देश-प्रदेश:- (Relationship of Countries through the Eleventh House As per KP System)

इस भाव से देश के उत्पाद का आकंलन किया जाता है। सरकार को टैक्स के रुप में प्राप्त होने वाले धन को भी इसी भाव से देखा जाता है। सफलता व सम्मान प्राप्ति में एकादश भाव महत्वपूर्ण हो सकता है। दोस्ती व समझौते में भी यह भाव प्रमुख भूमिका निभाता है। एकादश भाव से मित्र देश भी देखे जा सकते है। इस भाव को मुख्य रुप से लाभ के लिये देखा जाता है।

इस भाव से संबन्धित अन्य पक्ष :- (Other Fields of the Eleventh House As per KP System)

यह भाव बारहवें स्थान से बारहवां होने के कारण व्ययों में कमी के लिए भी देखा जाता है। बारहवें स्थान को अस्पताल का घर कहते है। मृत्युशैय्या के लिये बारहवें घर को देखा जाता है। परन्तु एकादश भाव से रोग से मुक्ति का विचार किया जाता है। कोई वस्तु खो गई हो अथवा कोई व्यक्ति घर छोड़कर चला गया हो तो इस विषय में सम्बन्धित बातों को जानने के लिए ग्यारहवें घर को देखा जाता है। बारहवां स्थान दु:ख का स्थान होता। इस भाव से मिलने वाले सभी विषयों में ग्यारहवां घर कमी लाता है।

एकादश भाव का घर में स्थान (Place of the Eleventh House in the Home As per Krishnamurti System)

एकादश भाव को घर के बरामदे या टेरिस में स्थान दिया गया है। आय भाव के बाधित होने पर घर के बरामदे में रखी वस्तुओं में दिशा दोष आने की संभावना रहती है।

कृष्णमूर्ति पद्धति और बारहवां स्थान – KP Astrology and Twelfth House

कृष्णमूर्ती पद्धति में नक्षत्रों के आधार पर ज्योतिषी आंकलन किया जाता है। नक्षत्रों पर आधारित होने पर इसमें सभी भाव के नक्षत्र और उपनक्षत्र के स्वामियों का अध्य्यन करने की आवश्यकता होती है। प्रत्येक भाव के नक्षत्र और उस उपनक्षत्र स्वामी का अध्ययन बारीकी से करने पर ज्योतिष की महत्वपूर्ण भविष्यवाणियां की जा सकती हैं। यहां सभी भावों की अपनी एक पहचान और उनके गुण धर्म होते हैं।

जन्म कुण्डली का बारहवां भाव कई तरह के बदलावों और विशेषताओं को दर्शाता है। हर एक भाव का एक दूसरे के साथ ताल मेल ओर निर्भरता का आधार इस प्रकार है जिसके द्वारा जातक को अपने जीवन में हर प्रकार के सुख दुख की अभिव्यक्ति भी प्राप्त होती है। जहां वैदिक ज्योतिष में कुण्डली भाव और उनके स्वामी, ग्रह, कारक, दृष्टि इत्यादि से बहुत सी बातों का विचार किया जाता है। परन्तु कृष्णमूर्ती प्रणाली में सभी भावों तथा ग्रहों के नक्षत्र, उपनक्षत्र तथा उप-उपनक्षत्र स्वामी को अधिक महत्व दिया गया है।

कृष्णमूर्ती पद्धति में वैदिक ज्योतिष के अनुरुप फल भी होते हैं लेकिन उनका निर्णय नक्षत्रों के द्वारा किया जाता है।

प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी व्यय भाव अर्थात द्वादश भाव का उपनक्षत्र स्वामी है तो उसे बहुत देर तक सोना पसन्द होता है। आलसी होता है, उसे अकेला रहना पसन्द होता है। वह घूमना -फिरना पसन्द करता है। विदेश जाना जातक का आकर्षण केन्द्र बना होता है। उसकी सोच बैरागियों जैसी होती है।

बारहवें स्थान को व्यय स्थान कहते है। जीवन में सभी प्रकार की कमियों के लिये इस भाव को देखा जाता है। कालपुरुष की कुण्डली में इस भाव में गुरु की मीन राशि होती है। इसलिये इस स्थान को मोक्ष स्थान के रुप में भी देखा जाता है। बारहवें स्थान से शरीर के अंगों में पैरों के तलवे, आँख आदि का ज्ञान होता है।

बारहवें स्थान की विशेषताएं (Specialties of the Twelfth House as per KP Systems)

बारहवां भाव होने के कारण इस भाव से विदेश यात्राएं देखी जाती है। यह भाव बंधन का भाव भी है। हर प्रकार की पांबन्दियां तथा रोक-टोक इस भाव से देखी जाती है। जेल, सजा इत्यादि के लिये बारहवां भाव देखा जाता है। लम्बी अवधि के लिये विदेश में निवास, लम्बी अवधि के लिये अस्पताल में रहना, सभी प्रकार के व्यय, निवेश, धन संबन्धी चिन्ताएं, ऋण का भुगतान, व्यावसायिक हानियां व कार्यक्षेत्र में मिलने वाली असफलता बारहवें घर से देखी जाती हैं। दूसरों को दु:ख देने वाले विषय बारहवें घर से देखे जा सकते है।

लम्बी यात्राएं भी इसी भाव से देखी जाती है। जातक का विदेश में जाना वहां निवास करने कि योजना कितनी सफल रहेगी हम इस भाव से समझ सकते हैं। यह भाव जब अपनी दशा काल में होता है तो इस समय जातक को ट्रैवलिंग पर अधिक रहना पड़ सकता है। किसी न किसी कारण से या तो अपने लिए या दूसरों के लिए उसे यात्राएं करनी पड़ सकती हैं।

इस स्थान से व्यक्ति की विदेश या बाहरी यात्राओं की स्थिति कैसी रहेगी। लम्बी यात्राएं क्या सुखद होंगी या उनमें परेशानियां झेलनी पड़ेंगी इन बातों को समझने के लिए बारहवें भाव की मदद लेनी पड़ती है।

बारहवां भाव और मारक प्रभाव

बारहवां भाव एक प्रकार से संकट और तनाव को दिखाता है। जीवन में किसी भी प्रकार की कमी को देखने के लिए इस भाव के सूक्षम अध्य्यन की जरुरत होती है। यह कुण्डली का ऎसा स्थान है जहां से व्यक्ति की आयु की समाप्ति का विश्लेषण भी किया जा सकता है। एक प्रकार से यह मारक भाव भी बन जाता है। इससे ही किसी व्यक्ति के जीवन में आने वाले संकट और परेशानियों का आगमन होता है। इस की दशा का प्रभाव जीवन में की असफलता और कठीनाई को दिखाने वाला होता है। यह व्यक्ति की निद्रा को भी प्रभावित करता है। जीवन में बढ़ रहे व्यय अर्थात खर्च चाहे वे किसी भी रुप में रहे हों व्यक्ति के सुख-चैन को अवश्य ही प्रभावित करते हैं।

जीवन में होने वाले संकट किसी भी प्रकार की दुर्घटना एवं प्राणों पर संकट आने की स्थिति को हम इसी भाव से समझ सकते हैं। मृत्यु तुल्य कष्ट देने में भी इस भाव की भूमिका होती है। ऎसे में इस भाव से संबंधित नक्षत्र स्वामी की दशा जातक के जीवन में कष्ट ओर व्यर्थ की भागदौड़ ला सकती है।

अन्य विशेषताएं (Other Characteristics of the Twelfth House as per KP Systems)

इस भाव से ज्ञात होने वाली अन्य बातों में गुप्त विद्याएं जैसे तन्त्र-मन्त्र, गुप्त साधनाएं, श्मशान, परलोक इत्यादि विषयों की जानकारी भी बारहवें स्थान से होती है। यह भाव दर्शाता है मोक्ष के महत्व को, इसके द्वारा जातक को जीवन में किस प्रकार से मोक्ष एवं मुक्त्ति का मार्ग मिल पाएगा इसे समझने की जरुरत होगी। कई बार इस स्थन पर केतु के नक्षत्र की स्थिति व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त करने में सहायक बनती है। जातक के स्वयं के प्रयासों से उसे अपने कार्यों की परिणीति भी प्राप्त होती है।

इसके अतिरिक्त यह भाव आराम का घर होता है, जैसा कि हम पहले ही इस बात को बता चुके हैं कि निद्रा व शयन कक्ष के विषय में भी इस घर से जाना जाता है। यहां हमे कितनि शांति मिलेगी और किस प्रकार हम अपना सुकून को पा सकेंगे क्योंकि य्ह ऎसा स्थान है जहां हम मानसिक रुप से अपने लिए कुछ शांति के पल चाहते हैं। पर अगर इस समय पर ही हमें उलझनें मिलें और तनाव बरकरार रहे तो जातक के लिए एक अच्छी नींद प्राप्त कर पाना भी आसान नही हो पाता है।

इस स्थिति को हम इस तरह से भी समझ सकते हैं कि प्रथम भाव का उपनक्षत्र स्वामी व्यय भाव अर्थात द्वादश भाव का उपनक्षत्र स्वामी है तो उसे बहुत देर तक सोना पसन्द होता है। कई बार जातक एकांत भी पसंद होता है। जातक को ट्रैवलिंग करना पसंद आता है। विदेश जाना जातक का आकर्षण केन्द्र बना होता है।

बारहवें भाव से संबन्धित अन्य बातें (Other Information of the Twelfth House as per KP Systems)

बारहवें भाव को विदेशों से संबन्ध का विश्लेषण करने के लिये भी देखा जाता है। द्वादश भाव में मीन राशि होने पर उसमें केतु की उपस्थिति मोक्ष दिलाने वाली कही गई है। इस भाव से छोटे-भाई बहनों का प्रमोशन देखा जाता है तथा भाई-बन्धुओं के सम्मान के लिये भी इस भाव का विचार किया जाता है।

माता की विदेश यात्राओं के लिये बारहवें भाव को देख सकते हैं। संतान की चिन्ताओं व परेशानियों को जानने के लिये यह भाव देखा जा सकता है। जीवनसाथी के साथ वैवाहिक जीवन में आ रही दिक्कतों को समझने के लिये यह भाव सहयोगी हो सकता है। बारहवें भाव से प्रतियोगिताओं में सफलता का भी विचार किया जाता है।

घर में स्थान (Place of the Twelfth House in the Home as per KP Systems)

बारहवें स्थान को घर के आस-पास की जगहों के रुप में देखा जाता है। जातक का बाहरी माहौल कैसा है उसकी अभिव्यक्ति भी हमें इस भाव से समझने में मिलती है। कई बार बाहरी रुप से स्थितियां हमारे लिए बहुत अधिक अनुकूल नही हो पाती हैं या इसके विपरित हमें बाहरी माहौल अधिक अनुकूल लगता है और हम घर से अधिक बाहर रहना पस्म्द करते हैं। इन सभी बातों को समझने के लिए हमें इस भाव को समझने की आवश्यकता होती है।

बारहवें भाव की दशा और उसकी स्थिति को जानकर उसके नक्षत्र स्वामी ओर उप नक्षत्र की स्थिति को देख कर इस भाव से मिलने वाले शुभाशुभ फलों की जान पाने में सफलता प्राप्त हो सकती है। कृष्णमूर्ती के द्वारा हम भावों की शक्ति को नक्षत्र के प्रभाव एवं उसके गुणों से और भी अधिक बेहतर रुप में जान सकते हैं।

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