Lal Kitab - Effects of Mars (Natal Chart Reading) - CLICK HERE
Lal Kitab - Effects of Mars (Annual Predictions) - CLICK HERE
लाल किताब के अनुसार मंगल एक ऐसा ग्रह है जो अपने नाम के अनुरूप मंगलकारी भी है और नाश करने वाला भी है। हालाँकि मंगल ग्रह को लेकर, लोगों की धारणाएँ ज्यादातर नकारात्मक ही रहती है। लाल किताब में सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति ग्रह को मंगल का मित्र और बुध ग्रह को शत्रु बताया गया है। वैदिक ज्योतिष में जहाँ मंगल ग्रह मेष और वृश्चिक का स्वामी है। वहीं लाल किताब में इसे पहले और आठवें खाने का मालिक कहा गया है।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, मंगल का गोचर क़रीब डेढ़ माह का होता है। मंगल ग्रह (मंगल की उपस्थिति पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें खाने में होने पर) कुंडली में मंगल दोष बनता है, जिससे जातकों के वैवाहिक जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याएँ आती हैं।
लाल किताब के अनुसार मंगल ग्रह साहस, ऊर्जा, पराक्रम, शौर्य आदि का कारक होता है। यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल अच्छा होता है तो जातक के उपरोक्त चीज़ों में वृद्धि होती है। साथ ही मंगल ग्रह नाभि, रक्त, लाल रंग, बंधु, फौजी, वैध, हक़ीम, डॉक्टर, मनुष्य के ऊपर वाला होंठ का प्रतिनिधित्व करता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल कमज़ोर हो तो इसके प्रभाव से रक्त से संबंधित रोग, नासूर, भगंदर जैसी बीमारियाँ होती हैं।
लाल किताब के अनुसार, यदि मंगल ग्रह का संबंध सेना, पुलिस, प्रॉपर्टी डीलिंग, इलेक्ट्रॉनिक संबंधी, इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग, स्पोर्ट्स आदि कार्य-क्षेत्रों से है। जबकि उत्पाद में यह मसूर दाल,, ज़मीन, अचल संपत्ति, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद आदि को दर्शाता है। जबकि मेमना, बंदर, भेड़, शेर, भेड़िया, सूअर, कुत्ता, चमगादड़ एवं सभी लाल पक्षियों का संबंध मंगल ग्रह से है। इसके अलावा रोगों में मंगल ग्रह का संबंध विषजनित, रक्त संबंधी रोग, कुष्ठ, ख़ुजली, रक्तचाप, अल्सर, ट्यूमर, कैंसर, फोड़े-फुंसी आदि से होता है। मंगल ग्रह के शुभ फल पाने के लिए अनंत मूल को धारण किया जाता है। इसके अलावा जातक तीन मुखी रुद्राक्ष या मूंगा रत्न भी धारण कर सकता है।
यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह बलवान होता है तो जातक को इसके बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। मंगल ग्रह अपने मित्र ग्रहों के साथ बली होता है। जबकि इसके विपरीत यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल की स्थिति कमज़ोर होती है अथवा वह पीड़ित हो तो जातक के लिए यह अच्छा नहीं माना जाता है। मंगल अपने शत्रु ग्रहों के साथ कमज़ोर होता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि व्यक्ति के जीवन में मंगल का प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से पड़ता है। आइए जानते हैं मंगल के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव क्या हैं:
सकारात्मक प्रभाव - मंगल के शुभ प्रभाव से व्यक्ति निडर होता है। वह निडरता वह ऊर्जावान रहता है। इससे जातक उत्पादक क्षमता में वृद्धि होती है। विपरीत परिस्थितियों में भी जातक चुनौतियों को सहर्ष स्वीकार करता है और उन्हें मात भी देता है। बली मंगल का प्रभाव केवल व्यक्ति के ही ऊपर नहीं पड़ता है, बल्कि इसका प्रभाव व्यक्ति के पारिवारिक जीवन पर पड़ता दिखाई देता है। बली मंगल के कारण व्यक्ति के भाई-बहन अपने कार्यक्षेत्र में उन्नति करते हैं।
नकारात्मक प्रभाव - यदि मंगल ग्रह कुंडली में कमज़ोर अथवा पीड़ित हो तो यह जातक के लिए समस्या पैदा करता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को किसी दुर्घटना का सामना करना पड़ता है। पीड़ित मंगल के कारण जातक के पारिवारिक जीवन में भी समस्याएं आती हैं। जातक को शत्रुओं से पराजय, ज़मीन संबंधी विवाद, क़र्ज़ आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
ज्योतिष में लाल किताब के उपाय को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। अतः लाल किताब में मंगल ग्रह की शांति के टोटके जातकों के लिए बहुत ही लाभकारी और सरल होते हैं। अतः इन्हें कोई भी व्यक्ति आसानी से स्वयं कर सकता है। मंगल ग्रह से संबंधित लाल किताब के उपाय करने से जातकों को मंगल ग्रह के सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं। मंगल ग्रह से संबंधित लाल किताब के उपाय निम्नलिखित हैंः
बड़ वृक्ष की जड़ में मीठा दूध-पानी डालकर उसकी गीली मिट्टी नाभि पर लगाएँ
लाल किताब के उपाय ज्योतिष विज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित हैं। अतः ज्योतिष में इस पुस्तक को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। उम्मीद है कि मंगल ग्रह से संबंधित लाल किताब में दी गई यह जानकारी आपके कार्य को सिद्ध करने में सफल होगी।
लाल किताब में मंगल को नेक (शुभ) ग्रह के साथ-साथ बुरा ग्रह भी बताया गया है। वैदिक ज्योतिष के समान लाल किताब के अनुसार मंगल ग्रह का संबंध भी हनुमान जी से है। कुंडली के 12 खानों में मंगल का प्रभाव शुभ और अशुभ दोनो ही रूप में पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के 12 खाने मनुष्य के जन्म से लेकर मरण तक की घटनाओं का बोध कराते हैं। आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं लाल किताब के अनुसार मंगल ग्रह का प्रभाव कुंडली के 12 भाव पर किस प्रकार से पड़ता है:
पहले घर में स्थित मंगल ग्रह जातक को उम्र के 28 वर्ष से अच्छे स्वभाव वाला, सच्चा और अमीर बनाता है। उसे सरकार से सहयोग मिलता है और वह अधिक प्रयास के बिना दुश्मनों पर जीत हासिल करता है। जातक शनि से संबंधित व्यवसायों जैसे लोहा, लकडी और मशीनरी आदि के माध्यम से खूब धनार्जन करता है और शनि से संबंधित रिश्तेदार जैसे, भतीजे, पोते, मामा/चाचा आदि के लिए ऐसे जातक से मिला सहज श्राप कभी बेकार नहीं जाता। शनि और मंगल की युति जातक को शारीरिक कष्ट देती है।
उपाय:
(1) मुफ्त के उपहार या दान स्वीकार नहीं करना चाहिए।
(2) बुरे कामों और झूठ से बचें।
(3) संतों और फकीरों की संगति बहुत हानिकारक साबित होगी,अत: उनसे बचें।
(4) हाथीदांत की चीजें बहुत प्रतिकूल प्रभाव देंगी, अतः उनसे बचाव करें।
दूसरे भाव में स्थित मंगल वाला जाता आमतौर पर अपने माता पिता की बडी संतान होता है अन्यथा उसके साथ बडे के जैसे बर्ताव किया जाएगा। लेकिन रहने एक छोटे भाई की तरह रहना और बर्ताव करना जातक के बहुत फायदेमंद और कई बुराइयों को अपने आप नष्ट करता है। इस घर का मंगल जातक को ससुराल से बहुत धन-संपदा दिलवाता है। यहां पर स्थित अशुभ मंगल ग्रह जातक को इंशान के रूप में दूसरों के लिए साँप सदृश बनाता है और यह स्थिति किसी युद्ध या झगड़े में जात्क की मृत्यु का कारण बनता है। दूसरे घर में बुध के साथ स्थित मंगल जातक की इच्छा शक्ति को कमजोर और उसके महत्त्व को कमजोर करने वाला बनाता है।
उपाय:
(1) चंद्रमा से जुडे व्यवसाय जैसे कपड़े का व्यापार आदि करने से चंद्रमा मजबूत होता है जिससे जातक को ऐसे व्यापार में बडी समृद्धि मिलती है।
(2) सुनिश्चित करें कि आपके ससुराल वाले आम लोगों के लिए पीने के पानी की सुविधा और व्यवस्था करें।
(3) घर में हिरण त्वचा रखें।
तीसरा भाव मंगल और बुध से प्रभावित भाव होता है, जो जातक को भाइयों और बहनों की प्राप्ति करवाता है। वह अपने माता-पिता की अकेली संतान नहीं होगा। दूसरो को जातक से खूब लाभ मिलेगा लेकिन स्वयं जातक को दूसरों से लाभ नहीं मिलेगा। अपनी विनम्रता के कारण जातक लाभान्वित और पुरस्कृत होगा। जातक की शादी के बाद जातक के ससुराल वाले अमीर और अमीर होते जाएंगे। जातक खाओं पियो और मस्त रहो के सिद्धांत में विश्वास करेगा लेकिन रक्त विकारों से ग्रस्त रहेगा।
उपाय:
(1) नरम दिल बनें और अहंकार से बचें। समृद्धि प्राप्ति के लिए भाइयों के लिए अच्छे बनें।
(2) आप के साथ हाथीदांत की वस्तुएं रखें।
(3) बाएं हाथ में चांदी की अंगूठी पर पहनें।
चौथा घर समग्र चंद्रमा की संपत्ति है। इस घर में मंगल ग्रह की आग और गर्मी चंद्रमा के ठंडे पानी को जला देती है। चंद्रमा के गुण प्रतिकूल प्रभावी हो जाते हैं। जातक अपने मन की शांति खो देता है और दूसरों से ईर्ष्या करने लगता है। वह हमेशा अपने छोटे भाई के साथ बुरा बर्ताव करता है। जातक की बुरी योजना बहुत बडी विनाशकारी शक्तियां प्राप्त कर लेती है। इस प्रकार का जातक अपनी माँ, पत्नी, सास आदि के जीवन के लिए बहुत प्रतिकूल प्रभावी होता है। जातक का गुस्सा उसके जीवन के विभिन्न पहलुओं के विनाश का कारण बन जाता है।
उपाय:
(1) किसी बरगद के पेड़ की जड़ों पर मीठा दूध चढाएं और वहां की गीली मिट्टी को अपनी नाभि पर लगाएं।
(2) आग से तबाही से बचने के लिए, अपने घर, दुकान या कारखाने की छत पर चीनी की खाली बैग (बोरे) रखें।
(3) हमेशा आपने साथ चांदी का एक चौकोर टुकड़ा रखें।
(4) काले, काने और विकलांग व्यक्ति से दूर रहें।
पांचवां घर मंगल के नैसर्गिक मित्र सूर्य का घर होता है। इसलिए इस घर में मंगल बहुत अच्छे परिणाम देता है। जातक के पुत्र उसकी प्रसिद्धि और धनार्जन के माध्यम बनते हैं। जातक की समृधि पुत्र प्राप्ति के बाद कई गुना बढ़ जाती है। शुक्र और चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुएं और रिश्तेदार को हर तरीके से फायदेमंद साबित होंगे। जातक के पूर्वजों में से कोई चिकित्सक या वैद्य रहा होगा। जातक की उम्र के साथ उसकी समृधि भी बढती जाती है। लेकिन विपरीत लिंगी के साथ भावनात्मक लगाव और रोमांस जातक के लिए अत्यधिक विनाशकारी साबित होंगे और जातक की मानसिक शांति और रातों की नीद खराब करने के कारण बनेंगे।
उपाय:
(1) अपना नैतिक चरित्र अच्छा बनाए रखें।
(2) रात को अपने बिस्तर के सिरहने एक बर्तन में पानी रखें और सुबह उसे किसी गमले में डाल दें।
(3) अपने पूर्वजों की श्राद्ध करें और घर में एक नीम के पेड़ लगाएं।
यह भाव बुध और केतू का होता है। दोनो आपस में शत्रु है और मंगल के लिए हानिकारक हैं। इस लिए इस भाव में सूर्य अपने आपको इन दोनो ग्रहों से दूर रखता है। इसलिए जातक साहसी, जोखिम उठाने वाला न्यायप्रिय और पानी में आग लगाने के लिए पर्याप्त शक्ति रखने वाला होता है। बुध से संबंधित व्यापार-व्यवसाय जातक के लिए अत्यधिक लाभकारी सिद्ध होंगे। उसकी कलम में तलवार से ज्यादा ताकत होगी। यदि सूर्य, शनि और मंगल इसी घर में साथ हैं तो जातक के भाई, मां, बहन और पत्नी पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा।
उपाय:
(1) बेटे के जन्म के समय मिठाई की जगह पर नमक बांटें।
(2) जातक के भाइयों को चाहिए कि अपनी सुरक्षा और समृद्धि के लिए वो जातक को खुश रखें और इसके लिए वो जातक को कोई वस्तु या और कुछ देते रहें। लेकिन यदि जातक ऐसी चीजें स्वीकार नहीं करता तो वो चीजें पानी में फेंक देनी चाहिए।
(3) जातक के लड़कों को सोना नहीं पहनना चाहिए।
(4) परिवारिक सुख के लिए शनि के उपाय अपनाएं। माता पिता के स्वास्थ्य और दुश्मनों के विनाश के लिए गणेश जी की पूजा करें।
यदि घर में शुक्र और बुध, के प्रभाव के अंतर्गत आता है जो कि आपस में मिलकर सूर्य का फल देते हैं। यदि मंगल सातवें भाव में है तो सातवां भाव मंगल और सूर्य के प्रभाव के अंतरगत आएगा जो यह सुनिश्चित करता की जातक की महत्वाकांक्षा पूरी हो जाएगी। धन संपत्ति, और परिवार में वृद्धि होगी। लेकिन अगर बुध भी मंगल ग्रह के साथ स्थित है तो बुध से संबंधित बातों और रिश्तों जैसे, बहन, भाभी, नर्सों, नौकरानी, तोता, बकरी आदि प्रतिकूल प्रभावी होंगी अत: इनसे दूर रहना बेहतर होगा।
उपाय:
(1) समृद्धि के लिए घर में चांदी का ठोस टुकड़ा रखें।
(2) हमेशा बेटी, बहन, भाभी और विधवाओं को मिठाई भेंट करें।
(3) बार बार एक छोटी सी दीवार बनाएं और गिराएं।
यह घर मंगल और शनि, के संयुक्त गुणों से प्रभावित होता है। इस घर में कोई ग्रह अच्छा नहीं माना जाता है। यहां स्थित मंगल ग्रह जातक के छोटे भाई पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। लाभ या हानि की परवाह किए बिना जातक अपने द्वारा बनाई गई प्रतिबद्धताओं से चिपका रहता है।
उपाय:
(1) विधवाओं का आशीर्वाद प्राप्त करें और गले में एक चांदी की चेन पहनें।
(2) तंदूर की बनी मीठी रोटी कुत्तों को दें।
(3) भोजन रसोई घर में ही करें।
(4) अपने घर के अत में एक छोटा से अंधेरा कमरा बनाएँ और उसमें सूर्य की रोशनी न आने दें।
(5) धार्मिक स्थानों में चावल, गुड़ और चने की दाल भेंट करें।
(6) किसी मिट्टी के बर्तन में ‘देशी खांड’ भरें और श्मशान भूमि के पास दफनाएं।
यह घर मंगल ग्रह के मित्र बृहस्पति का है। इस भाव में स्थित मंगल ग्रह बडों का आशिर्वाद और मदद दिलाकर जातक के लिए हर ढंग से अच्छा साबित होगा। जातक के भाइयों की पत्नियां जातक के लिए भाग्यशाली रहेंगी। सामान्यत: उसके अपने पिता की तरह कई भाई होंगे। भाइयों के साथ एक संयुक्त परिवार में रहने पर जातद के सुख में हर ओर से वृद्धि होगी। जातक अपनी उम्र के 28 वें वर्ष तक एक अत्यंत प्रतिष्ठित प्रशासनिक पद प्राप्त कर लेगा। जातक युद्ध से जुड़े सामान के व्यापार में भारी मुनाफा कमा सकता है।
उपाय:
(1) अपने बड़े भाई की आज्ञा मानें।
(2) अपनी भाभी यानी भाई की पत्नी की सेवा करें।
(3) नास्तिक न बनें और अपने पारंपरिक और धार्मिक रीति - रिवाजों का पालन करें।
(4) धार्मिक और पूजा स्थलों पर चावल, दूध और गुड़ चढ़ाएं।
कुंडली में यह मंगल ग्रह की सबसे अच्छी स्थिति है, यह मंगल की उच्च की जगह है। यदि जातक किसी गरीब परिवार में पैदा हुआ है तो उसके जन्म के बाद उसका परिवार अमीर और संपन्न हो जाएगा। यदि वह किसी अमीर परिवार में पैदा हुआ है, तो उसके जन्म के बाद उसका परिवार अमीर और अमीर होता जाएगा। यदि जातक अपने भाइयों में सबसे बडा है तो वह समाज में एक अतिविशिष्ट होगा और खूब मान प्रतिष्ठा हासिल करेगा। जातक निर्भीक, साहसी, स्वस्थ और समाज में परंपराओं, मानदंडों और नियमों को निर्धारित करनें में पर्याप्त सक्षम होगा। हालांकि, यदि दूसरे भाव में राहु, केतु और शनि या शुक्र और चंद्रमा जैसे हनिकर ग्रह हों तो पूर्वोक्त लाभकारी प्रभाव कम हो जाते हैं। इसके अलावा यदि तीसरे भाव में कोई मित्र ग्रह भी स्थित है तो भी दसवें घर में स्थित मंगल ग्रह के परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। यदि शनि तीसरे घर में स्थित है तो जातक अपने जीवन के अंतिम भाग में खूब धन और बहुत सारी जमीन जायदाद प्राप्त करेगा। साथ ही वह एक राजसी पद भी प्राप्त करेगा। मंगल दसम में हो और पांचवें घर में कोई भी ग्रह न हो तो चारों तरफ से समॄद्धि और खुशियां आती हैं।
उपाय:
(1) पैतृक संपत्ति और घर का सोना न बेचें।
(2) घर में हिरण पालें।
(3) दूध उबालते समय इस बात का खयाल रखें कि दूध उफन कर आग पर न गिरने पाए।
(4) काने और निःसंतान व्यक्तियों की मदद करें।
क्योकि यह घर बृहस्पति और शनि ग्रह से प्रभावी होता है इसलिए इस घर में मंगल अच्छे परिणाम देता है। यदि बृहस्पति उच्च का हो तो मंगल बहुत अच्छे परिणाम देता है। जातक साहसी और आम तौर पर व्यापारी होता है।
उपाय:
(1) पैतृक संपत्ति कभी भी न बेचें।
(2) किसी मिट्टी के बर्तन में शहद या सिंदूर रखना अच्छे परिणाम देगा।
यह घर बृहस्पति से प्रभावित घर होता है। इसलिए यहां पर मंगल और और बृहस्पति दोनों के अच्छे परिणाम मिलते हैं। यह राहू का पक्का घर भी कहा गया है इसलिए मंगल के यहां स्थित होने के कारण राहू का दुष्प्रभाव भी नहीं मिलता।
उपाय:
(1) सुबह खाली पेट शहद का सेवन करें।
(2) मिठाई खाना और दूसरों को भी देने से जातक के धन की बृद्धि होती है।
Engineer Rameshwar Prasad(B.Tech., M.Tech., P.G.D.C.A., P.G.D.M.) Vaastu International
|