नैऋत्यमुखी घर के लिए वास्तु - Vastu For South West Facing House -
वास्तु शास्त्र के अनुसार नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम दिशा) दक्षिण व पश्चिम दिशा के बीच में स्थित एक महत्वपूर्ण दिशा है। राहु इस दिशा का स्वामी ग्रह है। राहु को एक छायाग्रह के रूप में जाना जाता है। नैऋत्य दिशा (दक्षिण-पश्चिम) में पड़ने वाली सौर किरणों की प्रकृति राहु के समान होती है।
दोपहर के बाद और सांध्यकाल में सूर्य से निकलने वाली रेडियोधर्मी किरणे नैऋत्य कोण में पड़ती है। ये रेडियोंधर्मी किरणें अत्यधिक हानिप्रद होती है। फलतः नैऋत्य में भारी व ठोस दीवारों का निर्माण कराया जाता है और वही ईशान दिशा को वास्तु शास्त्र के अनुसार बिलकुल खुला रखा जाता है क्योंकि ईशान कोण सूर्य की सबसे लाभदायक और शुभ पराबैंगनी किरणों को प्राप्त करने वाला पहला स्थान होता है।
घर की दिशा का पता लगाना -
जिस सड़क से आप घर में प्रवेश करते है अगर वो घर के नैऋत्य दिशा में स्थित हो तो आपका घर नैऋत्यमुखी कहलाता है।
नैऋत्यमुखी घर में मुख्य द्वार का स्थान –
मुख्य द्वार की अवस्थिति का वास्तु शास्त्र में विशेष महत्व है। इस महत्व को देखते हुए वास्तु शास्त्र में एक भूखंड को 32 बराबर भागों या पदों में विभाजित किया जाता है। इन 32 भागों में से कुल 8 पद बेहद शुभ होते है जिन पर मुख्य द्वार का निर्माण उस घर के निवासियों को कई प्रकार के लाभ पहुंचाता है।
यहाँ एक ध्यान देने वाली बात है कि किसी भी भवन में Diagonal दिशाओं (ईशान, आग्नेय, नैऋत्य, वायव्य) में मुख्य द्वार नहीं बनाना चाहिए। नैऋत्यमुखी भवन में दक्षिण के चौथे पद या फिर पश्चिम के 4, 5 पद में ही मुख्य द्वार बनाना चाहिए।
नैऋत्यमुखी घर के लिए शुभ वास्तु –
नैऋत्यमुखी घर के लिए अशुभ वास्तु –
अन्य सावधानियां –
वास्तु दोष निवारण के कुछ सरल उपाय -
जिस घर का वास्तु सही होता हैं वहां शांति और समृद्धि का स्थाई निवास होता है। अगर आप घर में चाकू-कैंची, झाडू और डस्टबीन पर ध्यान दें तो जल्दी ही मालामाल बन सकते हैं।
वास्तु के अनुसार पौधे लगाने से घर सकारात्मक उर्जा से भर जाता है। हरियाली आंखों को शांति देती है। घर में भी यदि वास्तु के अनुसार पौधे लगाए जाएं तो घर में शांति के साथ ही सुख, समृद्धि भी बढऩे लगती है।
झाड़ू घर में किसी ऐसे कोने में रखें जो एकदम दिखाई ना दें।
घर में कोई भी बंद घड़ी ना लगी रहे। जो घड़ी काम ना कर रही हो उसे घर में ना रखें।
मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए चंदन आदि से बनी अगरबत्ती जलाएं। इससे मानसिक बेचैनी कम होती है। साथ ही घर में सुख समृद्धि बढऩे लगेगी।
घर के डस्टबीन में ज्यादा कचरा इकठ्ठा ना होने दें।
कभी भी किचन के सिंक में ज्यादा समय के लिए गंदे बर्तन ना रखें क्योंकि इससे घर में अलक्ष्मी का निवास होता है साथ ही घर के सदस्यों में असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है।
नुकीले औजार जैसे- कैंची, चाकू आदि कभी भी इस प्रकार नहीं रखे जाने चाहिए कि उनका नुकीला बाहर की ओर हो।
हर रोज कम से कम पच्चीस मिनट के लिए खिड़की जरुर खोलें, इससे कमरे से रात की उर्जा बाहर निकल जाएगी और साथ ही सूरज की रोशनी के साथ घर में सकारात्मक उर्जा का प्रवेश हो जाए।
ईशान्य कोण यानी उत्तर-पूर्व में तुलसी का पौधा लगाएं।
घर की बैठक में जहां घर के सदस्य आमतौर पर एकत्र होते हैं, वहां बांस का पौधा लगाना चाहिए। पौधे को बैठक के पूर्वी कोने में गमले में रखें।
शयन कक्ष में पौधा नहीं रखना चाहिए, किन्तु बीमार व्यक्ति के कमरे में ताजे फूल रखने चाहिए। इन फूलों को रात को कमरे से हटा दें।
तीन हरे पौधे मिट्टी के बर्तनों में घर के अंदर पूर्व दिशा में रखें। बोनसाई व कैक्टस न लगाएं क्योंकि बोनसाइ प्रगति में बाधक एवं कैक्टस हानिकारक होता है।
यदि इन उपायों को आप करते है तो वास्तुदोष दूर होने के साथ ही आपके घर में किसी प्रकार के अन्य निर्माण का बिना तोड़-फोड़ किए सुख-समृद्धि एवं स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।
निष्कर्ष –
ईशान और नैऋत्य दोनों ही विपरीत दिशाओं में स्थित दो महत्वपूर्ण दिशाएं है। ये दोनों दिशाएं ना सिर्फ एक दुसरे के विपरीत स्थित है बल्कि निर्माण के वक्त भी दोनों में एक दुसरे के विपरीत प्रकृति का निर्माण होता है। जैसे कि – ईशान को जहाँ खाली छोड़ना शुभ होता है तो वही नैऋत्य में निर्माण करना आवश्यक होता है, जहाँ ईशान दिशा का नीचा होना अच्छे परिणाम लाता है तो वही नैऋत्य दिशा का ऊँचा व भारी होना घर के सदस्यों के लिए लाभदायक होता है।
हालाँकि दोनों ही दिशाओं में किसी भी प्रकार का वास्तु दोष गंभीर नतीजें प्रदान करने वाला होता है। अतः यह आवश्यक हो जाता है कि गृहनिर्माण के वक्त जितना ध्यान ईशान पर दिया जाता है उसी प्रकार से ध्यानपूर्वक नैऋत्य में भी वास्तु सम्मत निर्माण कराया जाए। कहा जा सकता है कि जिस व्यक्ति ने ईशान और नैऋत्य को वास्तु सम्मत बनाया है उसके लिए भाग्य के द्वार खुल जाते है। अतः अपने घर के वास्तु सम्मत निर्माण के लिए और शुभ फलो की प्राप्ति के लिए आप किसी वास्तु विशेषज्ञ की सलाह जरुर ले।
Engineer Rameshwar Prasad(B.Tech., M.Tech., P.G.D.C.A., P.G.D.M.) Vaastu International
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