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ज्योतिष विज्ञान के क्षेत्र में लाल किताब अपने आसान उपाय के लिए अधिक प्रचलित है। हालाँकि ज्योतिष से संबंधित इस किताब में विस्तृत ज्ञान है। परंतु यह वैदिक ज्योतिष से भिन्न है। लाल किताब के अनुसार राहु ग्रह सब कुछ नष्ट करने वाला ग्रह है। परंतु यह अच्छे और बुरे विचारों को जन्म देने वाला ग्रह है।
वहीं वैदिक ज्योतिष के अनुसार, राहु एक छाया ग्रह है जिसका कोई भी भौतिक स्वरूप नहीं है। हिन्दू ज्योतिष में राहु को एक पापी ग्रह माना गया है। ज्योतिष में राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन मिथुन राशि में यह उच्च होता है और धनु राशि में यह नीच भाव में होता है।
लाल किताब के अनुसार, सूर्य के साथ शनि या शुक्र हो तो राहु का प्रभाव मंदा हो जाता है। हालाँकि कमजोर राहू चंद्रमा के उपाय के लिए सहायक है। क्योंकि चंद्रमा से राहु शांत होता है। परंतु राहु को शांत करने में चंद्रमा का प्रभाव कमज़ोर हो जाता है।
यदि किसी जातक की टेवा में मंगल मजबूत हो तो वह राहू को दबाकर रखेगा। लाल किताब के अनुसार, बुध शनि और केतु राहु के मित्र ग्रह हैं। जबकि सूर्य, मंगल और शुक्र राहु के दुश्मन ग्रह माने जाते हैं।
मनुष्य के मस्तिष्क में राहु अच्छे-बुरे विचारों को जन्म देता है। इसका वर्ण नीला है। इसलिए नीले रंग का विष, नीला थोथा आदि जो अपना प्रभाव दिखाकर नीला रंग देते हैं वे सभी राहु का प्रतिनिधित्व करते हैं। हाथी, बिल्ली, सिक्का, शत्रु, बिजली, मक्कारी व नीचता ये सभी राहु ग्रह के प्रतीक माने जाते हैं।
लाल किताब के अनुसार, राहु ग्रह का संबंध विद्या की देवी माँ सरस्वती से है। इसके साथ ही राहु ख़ुफ़िया पुलिस, ख़ुफ़िया महकमा, जेल, ससुराल, भूचाल, जौं, सरसों, जंगली चूहा, चालबाज़, कच्चा कोयला, काला कुत्ता, गंदी नाली, लोहे में लगने वाली जंग, काना, लंगड़ा, प्लेग, बुखार, भय आदि चीज़ों का संबंध राहु ग्रह से दर्शाया जाता है। राहु का संबंध गोमेद रत्न, आठ मुखी रुद्राक्ष और नागरमोथा की जड़ी से है।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु ग्रह मजबूत होता है तो जातक को इसके बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। यह व्यक्ति को आध्यात्मिक क्षेत्र में सफलता दिलाता है तथा मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। राहु ग्रह अपने मित्र ग्रहों के साथ बली होता है। जबकि इसके विपरीत यदि किसी जातक की कुंडली में राहु की स्थिति कमज़ोर होती है अथवा वह पीड़ित है तो जातक के लिए यह अच्छा नहीं माना जाता है।
राहु अपने शत्रु ग्रहों के साथ कमज़ोर होता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि व्यक्ति के जीवन में राहु का प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से पड़ता है। आइए जानते हैं राहु के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव क्या हैं:
सकारात्मक प्रभाव - यदि राहु किसी जातक की कुंडली में शुभ हो तो व्यक्ति के मस्तिष्क में शुभ विचार उत्पन्न होते हैं जिससे वह अच्छे कार्यों को अंजाम देता है। यदि किसी जातक की बुद्धि सही दिशा में लगे वह ऊँचाइयों को प्राप्त कर सकता है। राहु के सकारात्मक प्रभाव से व्यक्ति बुद्धि से काम लेता है और यदि कोई व्यक्ति अपनी बुद्धि के कार्य करता है तो बड़े से बड़ा पहाड़ हिला सकता है।
नकारात्मक प्रभाव - किसी व्यक्ति के टेवा में कमज़ोर राहु के कारण उसे कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये समस्याएँ मानसिक और शारीरिक रूप से भी हो सकती हैं। पीड़ित राहु के कारण हिचकी, पागलपन, आँतों की समस्या, अल्सर, गैस्ट्रिक आदि की समस्याएँ जन्म लेती हैं। अतः कुंडली में राहु ग्रह को मजबूत करना चाहिए।
ज्योतिष में लाल किताब के उपाय को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। अतः लाल किताब में राहु ग्रह की शांति के टोटके जातकों के लिए बहुत ही लाभकारी और सरल होते हैं। अतः इन्हें कोई भी व्यक्ति आसानी से स्वयं कर सकता है। राहु ग्रह से संबंधित लाल किताब के उपाय करने से जातकों को राहु ग्रह के सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं। राहु ग्रह से संबंधित लाल किताब के उपाय निम्नलिखित हैंः
लाल किताब के उपाय ज्योतिष विज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित हैं। अतः ज्योतिष में इस पुस्तक को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। उम्मीद है कि राहु ग्रह से संबंधित लाल किताब में दी गई यह जानकारी आपके कार्य को सिद्ध करने में सफल होगी।
लाल किताब में राहु ग्रह को नष्टकारी ग्रह बताया गया है। राहु का प्रभाव टेवा (कुंडली) के 12 खानों में भिन्न-भिन्न रूप से पड़ता है। परंतु ऐसा नहीं है कि राहु व्यक्ति को सदैव बुरे फल देता है। यदि यह ग्रह कुंडली में उत्तम हो तो जातक को इसके अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि कुंडली के 12 भाव व्यक्ति के जीवन से लेकर मरण तक की यात्रा को बताते हैं। इसलिए हमारे लिए यह जानना आवश्यक हो जाता है कि लाल किताब के अनुसार राहु का 12 भावों में प्रभाव किस प्रकार से पड़ता है :-
पहला घर मंगल और सूर्य से प्रभावित होता है, यह घर किसी सिंहासन की तरह होता है। पहले घर में बैठा ग्रह सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। जातक अपनी योग्यता से बडा पद प्राप्त करेगा। उसे सरकार से भी अच्छे परिणाम मिलेंगे। इस घर में राहू उच्च के सूर्य के समान परिणाम देगा। लेकिन सूर्य जिस भाव में बैठा है उस भाव के फल प्रभावित होंगे। यदि मंगल, शनि और केतू कमजोर हैं तो राहू बुरे परिणाम देगा अन्यथा यह पहले भाव में अच्छे परिणाम देगा। यदि राहू नीच का हो तो जातक को कभी भी ससुराल वालों से बिजली के उपकरण या नीले कपडे नहीं लेने चाहिए, अन्यथा उसके पुत्र पर बुरा प्रभाव पडता है। राहू के दुष्परिणाम 42 साल की उम्र तक मिलते हैं।
उपाय:
(1) बहते पानी में 400 ग्राम सुरमा बहाएं।
(2) गले में चांदी पहनें।
(3) 1:4 के अनुपात में जौ में दूध मिलाए और बहते पानी में बहाएं।
(4) बहते पानी में नारियल बहाएं।
यदि दूसरे घर में राहू शुभ अवस्था में हो तो जातक पैसा एवं प्रतिष्ठा प्राप्त करता है और किसी राजा की तरह जीवन जीता है। जातक दीर्घायु होता है। दूसरा भाव बृहस्पति और शुक्र से प्रभावित होता है। यदि बृहस्पति शुभ हो तो जातक अपनी प्रारंभिक अवस्था में धन से युक्त व आराम भरी जिन्दगी जीता है। यदि राहू नीच का हो तो जातक गरीब होता है, उसका पारिवारिक जीवन खराब होता है। वह पेट के विकारों से परेशान होता है। जातक पैसे बचाने में असमर्थ होता है और उसकी मृत्यु किसी हथियार से होती है। उसके जीवन के दसवें, इक्कीसवें और बयालीसवें वर्ष में चोरी आदि माध्यमों से उसका धन खो जाता है।
उपाय:
(1) चांदी की एक ठोस गोली अपनी जेब में रखें।
(2) बृहस्पति से सम्बंधित चीजें जैसे सोना, पीले कपड़े और केसर आदि उपयोग में लाएं।
(3) माँ के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध रखें।
(4) शादी के बाद ससुराल वालों से कोई बिजली का उपकरण न लें।
यह राहु का पक्का घर है। तीसरा घर बुध और मंगल से प्रभावित होता है। यदि यहां राहू शुभ हो तो, बहुत धन दौलत वाला और दीर्घायु होता। वह एक निडर और वफादार दोस्त होता है। वह सपनों के माध्यम से भविष्य देख सकेगा। वह कभी नि:संतान नहीं होगा। वह शत्रुओं पर विजय पाने वाला होगा। वह कभी भी कर्जदार नहीं रहेगा। वह अपने पीछे सम्पत्ति छोड जाएगा। अपने जीवन के 22वें वर्ष में वह प्रगति करेगा। लेकिन अगर राहू तीसरे घर में अशुभ है तो उसके भाई और रिश्तेदार अपने पैसे बर्बाद करेंगे। वह किसी को पैसे उधार देगा तो वापस नहीं मिलेंगे। जातक में वाणी दोष होगा और वह नास्तिक होगा। यदि सूर्य और बुध भी राहू के साथ तीसरे घर में हों तो उसकी बहन अपनी उम्र के 22वें या 32वें साल में विधवा हो सकती है।
उपाय:
(1) घर में कभी भी हाथीदांत या हाथीदांत की वस्तुएं न रखें।
यह घर चंद्रमा का है जो कि राहू क शत्रु है। जब इस घर में रहु शुभ हो तो जातक बुद्धिमान, अमीर और अच्छी चीजों पर पैसे खर्च करने वाला होगा। तीर्थ यात्रा पर जाना जातक के लिए फायदेमंद होगा। यदि शुक्र भी शुभ हो तो शादी के बाद जातक के ससुराल वाले भी अमीर हो जाते हैं और जातक को उनसे भी लाभ मिलता है। यदि चंद्रमा उच्च का हो तो जातक बहुत अमीर हो जाता है और बुध से संबंधित कामों से बहुत लाभ कमाता है। यदि राहू नीच का या अशुभ हो और चंद्रमा कमजोर हो तो जातक गरीब होता है और जातक की मां परेशान होती है। कोयले का एकत्रीकरण, शौचालय फेरबदल, जमीन में तंदूर बनाना और छ्त में फेरबदल करना हानिकारक होगा।
उपाय:
(1) चांदी पहनें।
(2) 400 ग्राम धनिया या बादाम दान करें अथवा दोनो को पानी में बहाएं।
पांचवां घर सूर्य का होता है जो पुरुष संतान का संकेतक है। यदि राहू शुभ हो तो जातक अमीर, बुद्धिमान और स्वस्थ होता है। वह अच्छी आमदनी और अच्छी प्रगति का आनंद पाता है। जातक भक्त या दार्शनिक होता है। यहां स्थित नीच का राहू संतान में बाधा दिखाता है। पुत्र के जन्म के बाद जातक की पत्नी को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी संभव है। यदि बृहस्पति भी पांचवें भाव में स्थित हो तो जातक के पिता को कष्ट होगा।
उपाय:
(1) अपने घर में चांदी से बना हाथी रखें।
(2) शराब, मांशाहार, अण्डे के सेवन और व्यभिचार से बचें।
(3) अपनी जीवनसाथी से ही दो बार शादी करें।
इस घर बुध या केतु से प्रभावित होता है। राहू यहां उच्च का होता है और अच्छे परिणाम देता है। जातक सभी प्रकार की झंझटों या मुसीबतों के मुक्त होगा। जातक कपड़ों पर पैसा खर्च करेगा। जातक बुद्धिमान और विजेता होगा। जब राहु अशुभ हो तो वह अपने भाइयों या दोस्तों को नुकसान पहुंचाएगा। जब बुध या मंगल ग्रह बारहवें भाव में हों तो राहु बुरा परिणाम देता है। जातक विभिन्न बीमारियों या धनहानि से ग्रस्त होता है। किसी काम पर जाते समय छींक का होना जातक के लिए अशुभफलदायी होगा।
उपाय:
(1) एक काला कुत्ता पालें।
(2) अपनी जेब में काला सुरमा रखें।
(3) भाइयों / बहनों को कभी नुकसान न पहुंचाएं।
जातक अमीर होगा लेकिन पत्नी बामार होगी। वह अपने दुश्मनों पर विजयी होगा। उम्र के इक्कीस साल से पहले शादी का होना अशुभ होगा। जातक के सरकार के साथ अच्छे संबंध होंगे। लेकिन यदि जातक राहू से संबंधित व्यवसाय जैसे बिजली के उपकरणों के व्यापार से जुडेगा तो उसे नुकसान होगा। जातक सिर दर्द से पीड़ित होगा। यदि बुध शुक्र अथवा केतू ग्यारहवें भाव में हों तो राहू बहन, पत्नी या बेटे को नष्ट करेगा।
उपाय:
(1) 21 साल की उम्र के पहले शादी न करें।
(3) नदी में छह नारियल प्रवाहित करें।
आठवें घर का संबध शनि और मंगल ग्रह से होता है। इसलिए इस भाव का राहू अशुभ फल देता है। जातक अदालती मामलों में बेकार में पैसे खर्च करता है।परिवारिक जीवन भी प्रतिकूलता से प्रभावित होता है। यदि मंगल ग्रह शुभ हो तथा पहले या आठवें घर में हो अथवा शुभ शनि आठवें घर में हो तो जातक बहुत अमीर होगा।
उपाय:
(1) चांदी का एक चौकोर टुकड़ा पास रखें।
(2) सोते समय तकिये के नीचे सौंफ रखें।
(3) बिजली का काम या बिजली विभाग में काम न करें।
नौवां घर बृहस्पति से प्रभावित होता है। यदि जातक का अपने भाइयों और बहनों के साथ अच्छा संबंध है तो यह यह फायदेमंद होगा, अन्यथा जातक पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा। यदि जातक धार्मिक स्वभाव का नहीं है तो जातक की संतान जातक के लिए बेकार रहेगी। शनि से संबम्धित व्यापार फायदेमंद रहेगा। यदि बृहस्पति पांचवें या ग्यारहवें घर में हो तो यह निष्प्रभावी होगा। यदि राहू अशुभ होकर नौवें भाव में हो तो पुत्र प्राप्ति की संभावनाएं कम रहती हैं, खासकर तब और जब जातक अपने किसी सगे रिश्तेदार कि खिलाफ कोई अदालती मामला दायर करता है। यदि राहू नौवें भाव में हो और पहला भाव खाली हो तो जातक का स्वास्थ्य पीडित होता है और जातक उम्र में बडे लोगों के द्वारा अपमानित होता है और मानसिक रूप से प्रताडित होता है।
उपाय:
(1) प्रतिदिन केसर का तिलक लगाएं।
(2) सोना पहनें।
(3) हमेशा घर में एक कुत्ता पालें (इससे आपकी संतान का बचाव होगा)।
(4) ससुराल वालों से अच्छे संबंध बनाकर रखें।
सिर के ऊपर कुछ न पहनना दसम भाव में स्थित दुर्बल राहु का प्रभाव देता है। राहू का अच्छा या बुरा परिणाम शनि की स्थिति पर निर्भर करेगा। यदि शनि शुभ है तो जातक बहादुर, दीर्घायु, और अमीर होता है तथा उसे सभी प्रकार से सम्मान मिलता है। यदि दसवें भाव में राहू चन्द्रमा के साथ हो तो यह राज योग बनाता है। जातक अपने पिता के लिए भाग्यशाली होता है। यदि यहां पर राहू अशुभ हो तो जातक की मां पर बुरा असर पडता है और जातक का स्वास्थ्य भी खराब होगा। यदि चंद्रमा चतुर्थ भाव में अकेला हो तो जातक की आंखों पर बुरा प्रभाव पडेगा। जातक सिर दर्द से पीड़ित होगा और उसे किसी काले व्यक्ति के द्वारा धन हानि होगी।
उपाय:
(1) नीली या काली टोपी पहनें।
(2) सिर को ढक कर रखें।
(3) किसी मंदिर में 4 किलो या 400 ग्राम खांड चढाएं अथवा पानी में बहाएं।
(4) अंधे लोगों को खाना खिलाएं।
ग्यारहवां घर शनि और बृहस्पति दोनो के प्रभाव में होता है। जब तक जातक के पिता जीवित हैं तब तक जातक अमीर होगा। वैकल्पिक रूप से, बृहस्पति की वस्तुएं रखना सहयोगी सिद्ध होंगी। जातक के दोस्त अच्छे नहीं होंगे। उसे मतलबी लोगों से पैसा मिलेगा। पिता की मृत्यु के बाद जातक को गले में सोना पहनना चाहिए। यदि राहू के साथ नीच का मंगल ग्यारहवें भाव में हो तो जातक के जन्म के समय घर में सारी चीजें होंगी लेकिन धीरे धीरे करके सारी चीजें बरबाद होनें लगेंगी। यदि ग्यारहवें भाव में अशुभ राहू हो तो जातक के अपने पिता सम्बंध ठीक नहीं होंगें यहां तक की जातक उन्हें मार भी सकता है। दूसरे भाव में स्थित ग्रह शत्रु की तरह कार्य करेंगे। यदि बृहस्पति या शनि तीसरे या ग्यारहवें भाव में हों तो शरीर में लोहा पहनें और चांदी की गिलास में पानी पिएं। पांचवें भाव में स्थित केतू बुरे परिणाम देगा। कान, रीढ़, मूत्र से संबंधित समस्याएं या रोग हो सकते हैं। केतु से संबंधित व्यापार में नुकसान हो सकता है।
उपाय:
(1) लोहा पहनें और पीने के पानी के लिए चांदी का गिलास का प्रयोग करें।
(2) कभी भी कोई बिजली का उपकरण उपहार के रूप में न लें।
(3) नीलम, हाथीदांत या हाथी का खिलौने से दूर रहें।
बारहवां घर बृहस्पति से संबंधित होता है। यह शयन सुख का घर होता है। यहां स्थित राहु मानसिक परेशानियां और अनिद्रा देता है। यह बहनों और बेटियों पर अत्यधिक व्यय भी करवाता है। यदि राहु शत्रु ग्रहों के साथ हो तो आप कितनी भी मेहनत कर लें आपके खर्चे आपकी आमदनी से अधिक ही रहेंगे। यह झूठे आरोप भी लगवाता है। जातक आत्महत्या की चरमसीमा तक जा सकता है। जातक मानसिक चिंताओं से घिरा रहता है। झूठ बोलना, दूसरों को धोखा आदि देना राहु को और भी हानिकर बानाता है। किसी भी नए काम की शुरुआत में अशुभ परिणाम मिलते हैं। चोरी, बामारी और झूठे आरोपों के लगने का भय रहता है। यदि यहां राहू के साथ मंगल भी हो तो अच्छे परिणाम मिलते हैं।
उपाय:
(1) रसोई में बैठ कर ही भोजन करें।
(2) रात में अच्छी नींद के लिए तकिये के नीचे सौंफ और खांड रखें।
Engineer Rameshwar Prasad(B.Tech., M.Tech., P.G.D.C.A., P.G.D.M.) Vaastu International
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