Lal Kitab - Effects of Venus (Natal Chart Reading) - CLICK HERE
Lal Kitab - Effects of Venus (Annual Predictions) - CLICK HERE
शुक्र एक चमकीला और नैसर्गिक रूप से सुन्दर ग्रह है। शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति को भौतिक और समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। लाल किताब के अनुसार शुक्र ग्रह प्रेम, वासना, विवाह, जीवनसाथी, गृहस्थी सुख और जमीन का कारक होता है। मनुष्य के अंदर प्रेम की भावना का नाम शुक्र है। इसके लिए व्यक्ति रुपया, पैसा, भूमि, संपत्ति और धन-दौलत सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार हो जाता है। शुक्र ग्रह को लक्ष्मी जी का प्रतीक माना गया है। कुंडली में शुक्र की शुभ स्थिति जीवन को सुखमय और प्रेममय बनाती है और अशुभ स्थिति चारित्रिक दोष व पीड़ा उत्पन्न करती है।
काल पुरुष कुंडली में शुक्र का स्थान द्वितीय और सप्तम है। जहां द्वितीय भाव संपत्ति, परिवार और मुख का कारक है, जबकि सप्तम भाव से जीवनसाथी, बिजनेस पार्टनर और यात्रा के समय सहयात्री को देखा जाता है। शुक्र ग्रह को वृषभ और तुला राशि का स्वामित्व प्राप्त है। शुक्र मीन राशि में उच्च का माना गया है जबकि कन्या राशि में यह नीच का होता है। लाल किताब में शुक्र ग्रह गाय, पति-पत्नी, धन, लक्ष्मी, दूसरे और सातवें घर का मालिक है। इसलिए दूसरा घर घर-पति-पत्नी या ससुराल का भाव माना गया है और सप्तम भाव गृहस्थ जीवन का भाव होता है। शनि, बुध और केतु शुक्र के मित्र ग्रह होते हैं। वहीं सूर्य, चंद्रमा और राहु इसके शत्रु माने गये हैं। बुध, केतु और शनि के घर में शुक्र बलवान और उत्तम फल देने वाला होता है। वहीं शुक्र ग्रह बृहस्पति से शत्रुता का भाव रखता है। वहीं सूर्य और शनि की दृष्टि शुक्र को प्रभावित करती है। सूर्य और शनि के बीच टकराव में शुक्र हमेशा निर्बल हो जाता है। शुक्र को पुरुष की कुंडली में स्त्री और स्त्री की कुंडली में पुरुष माना जाता है। टेवे में दूसरा, तीसरा, चौथा, सातवां और बारहवें खाने में शुक्र श्रेष्ठ माना जाता है जबकि प्रथम, षष्टम और नवम खाने में यह मंदा होता है। सप्तम भाव में शुक्र जिस ग्रह के साथ संबंध बनाता है उसे अपना प्रभाव प्रदान करता है। शुक्र चंद्रमा के साथ मिलकर नैसर्गिक लक्ष्मी योग बनाता है। जिस जातक की कुंडली में शुक्र और चंद्रमा की युति हो, वह व्यक्ति काम भावना में प्रबल और विलासिता के साधन जुटाने में आगे होता है।
लाल किताब में शुक्र ग्रह कई विषयों का कारक और प्रतीक माना गया है। इनमें देवी लक्ष्मी, धन, भूमि, संपत्ति, किसान, गाय, बैल, कुम्हार, मनियार, पशु पालक, शुक्र ग्रह के प्रतीक हैं। इसके अलावा दही, दही जैसा रंग, कपास, घी, पति-पत्नी, वीर्य, लिंग, कामदेव, फूल, अन्न, मक्खन, चमड़ी, स्थान, भूमि, श्रृंगार का सामान, मिट्टी व मिट्टी से संबंधित कार्य, हीरा, जस्ता, धातु, गोबर और गौ मूत्र सभी वस्तुएँ शुक्र से संबंधित हैं। शरीर में जननांग, वीर्य व नेत्र पर शुक्र का प्रभाव रहता है। शुक्र प्रेम, विवाह, मैथुन, ऐश्वर्य, गायन और नृत्य का अधिपति होता है।
जर (पैसा), जोरु (स्त्री) और जमीन का मिश्रण शुक्र कहलाता है, इसलिए इन तीनों के मालिक व्यक्ति के घर में शुक्र (लक्ष्मी) का वास माना जाता है। अतः शुक्र ग्रह को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है।
अगर कुंडली में शुक्र योग कारक ग्रह होते हुए भी अच्छे फल प्रदान नहीं कर रहा है तो लाल किताब के उपाय अवश्य करना चाहिए-
लाल किताब में शुक्र ग्रह के संबंध में मन और इंद्रियों को नियंत्रित रखने पर विशेष बल देता है।
शुक्र को प्रमुखता से दो रूपों में देखा जाता है। एक स्त्री या लक्ष्मी के रूप में और दूसरा दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य के रूप में। एक ओर जहां शुक्र समस्त सांसारिक सुख-साधन प्रदान करता है। वहीं दूसरी ओर साहस और शक्ति भी देता है, इसलिए कुंडली में शुक्र की शुभ स्थिति हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण होती है।
हम आशा करते हैं कि लाल किताब में शुक्र ग्रह पर आधारित यह जानकारी आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
पढ़ें लाल किताब के अनुसार शुक्र ग्रह से संबंधित प्रभाव और उपाय। ज्योतिष में शुक्र को एक शुभ ग्रह माना गया है। लाल किताब जो कि पूरी तरह से उपाय आधारित ज्योतिष पद्धति है। इसमें शुक्र ग्रह के विभिन्न भावों में फल और उनके प्रभाव के बारे में विस्तार से व्याख्या की गई है।
पहले घर का शुक्र जातक को अत्यधिक सुंदर, दीर्घायु, मॄदुभाषी, और विपरीत लिंगियो के बीच लोकप्रिय बनाता है। जातक की पत्नी बीमार रहती है। धर्म, जाति, पंथ जातक को किसी के साथ यौन संबंध बनाने में बाधक नहीं बनेंगे। आमतौर पर ऐसा जातक स्वाभाव से बहुत रोमांटिक होता है और अन्य महिलाओं के साथ प्यार और सेक्स के लिए लालायित रहता है। कमाई शुरू करने से पहले ही जातक की शादी हो जाती है। ऐसा जातक हमउम्र लोगो का नेता बन जाता है, लेकिन परिवार के सदस्यों का नेतृत्व करना मुसीबतों का कारण बनता है। ऐसा जातक कपडों के व्यापार से बहुत लाभ कमाता है। आमतौर पर ऐसे जातक की रुचि धार्मिक गतिविधियों में नहीं होती। जब वर्षफल में शुक्र सातवें भाव में आता है तो यह जीर्ण ज्वर और खूनी खाँसी का कारण बनता है।
उपाय:
(1) 25 वर्ष की उम्र में शादी न करें।
(2) हमेशा दूसरों की सलाह लेकर ही किसी नये काम की शुरुआत करें।
(3) काले रंग की गाय की सेवा करें।
(4) दिन के समय सेक्स करने से बचें।
(5) दही मिलाकर स्नान करें।
(6) गोमूत्र का सेवन बहुत उपयोगी होगा।
दूसरों का बुरा या बुराई करना जातक के लिए हानिकारक साबित होगा। साठ वर्ष की उम्र तक पैसा, धन और संपत्ति बढते जाएंगे। शेरमुखी घर (सामने से व्यापक पीछे से कम) जातक के लिए विनाशकारी साबित होगा। सोने और आभूषणों से संबंधित व्यवसाय या व्यापार अत्यंत हानिकारक होगा। मिट्टी के सामान से जुडा व्यवसाय, कृषि और पशु बेहद फायदेमंद साबित होंगे। स्त्री जातक की कुण्डली में दूसरे भाव में स्थित शुक्र संतान की समस्या देता है जबकि पुरुष जातक की कुण्डली में ऐसी स्थित पुत्र संतान की प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करती है।
उपाय:
(1) संतान की समस्या के लिए जातक को मंगल से संबंधित चीजें जैसे शहद, सौंफ अथवा देशी खांड का इस्तेमाल करना चाहिए।
(2) गायों को हल्दी के पीले रंग से रंगे दो किलोग्राम आलू खिलाएं।
(3) मंदिर में दो किलोग्राम गाय का घी भेंट करें।
(4) व्यभिचार से बचें।
यहाँ स्थित शुक्र जातक को एक आकर्षक व्यक्तित्व देता है जिससे हर स्त्री उसकी ओर आकर्षित होती है। आम तौर पर सभी उसे प्यार करते हैं। यदि जातक किसी और स्त्री से संबंध रखता है तो जातक को अपनी पत्नी की चापलूसी करनी पडती है। अन्यथा वह हमेशा अपनी पत्नी पर हावी रहता है। हालांकि जातक की पत्नी सब पर हावी रहेगी लेकिन यदि जातक पराई स्त्री से संबंध नही रखता हो वह उस पर हावी रहेगा। जातक की पत्नी साहसी, समर्थक और बैलगाड़ी के दूसरे बैल की तरह जातक के लिए सहयोगी होगी। वह जातक को छल, चोरी और नुकसान से बचाने वाली होगी। अन्य महिलाओं के साथ संपर्क जातक के लिए हानिकारक साबित होगा और दीर्घायु पर प्रतिकूल असर डालने वाल होगा। यदि नवम और एकादश भाव में शुक्र के शत्रु ग्रह स्थित हों तो प्रतिकूल परिणामों की प्राप्ति होगी। जातक के कई बेटियां होंगी।
उपाय:
(1) अपनी पत्नी का सम्मान करें और अतिरिक्त वैवाहिक मामलों से बचें।
(2) पराई औरतों के साथ छेड़खानी (फ्लर्ट) करने से बचें।
चौथे भाव में स्थित शुक्र दो पत्नियों की संभावना को मजबूत करता है और जातक को धनवान बनाता है। यदि बृहस्पति दसम भाव में हो और शुक्र चौथे भाव में हो और जातक धार्मिक बनने की कोशिश करेगा तो हर तरफ से प्रतिकूल परिणाम मिलेंगे। यदि जातक ने कुएं के ऊपर छ्त बना रखी है या मकान बना रखा है तो चौथे भाव में बैठा शुक्र पुत्र प्राप्ति की संभावना को कमजोर करता है। बुध से संबंधित व्यापार भी नुकशान देय होता है। यदि जातक शराब पीता है तो शनि विनाशकारी प्रभाव देगा। मंगल से संबंधित व्यापार जातक के लिए फायदेमंद साबित होगा। चौथे घर का शुक्र और पहले घर का बृहस्पति सास से झगडा करवाता है।
उपाय:
(1) अपनी पत्नी का नाम बदलें और उससे औपचारिक रूप से पुनर्विवाह करें।
(2) चावल, चांदी और दूध बहते पानी में बहाएं अथवा खीर या दूध माँ समान महिलाओं को खिलाने से सास और बहू के बीच होने वाले झगड़े शांत होंगे।
(3) पत्नी के स्वास्थ्य के लिए घर की छत को साफ और स्वच्छ बनाए रखें।
(4) बृहस्पति से सम्बन्धित चीजें जैसे चना, दालें, और केसर की तरह नदी में बहाएं।
पांचवां घर सूर्य का पक्का घर है जहां शुक्र सूर्य की गर्मी से जल जाएगा। नतीजन जातक रसिक मिज़ाज होगा। उसे अपने जीवनकाल में बडे दुर्भाग्य का सामना करना पडेगा। हालांकि, यदि जातक अपने चरित्र को अच्छा बनाए रखता है तो वह जीवन की कठिनाइयों को पार कर जाएगा और धनवान बनेगा। शादी के पांच साल के बाद उसे पदोन्नति मिलेगी। आम तौर पर ऐसा जातक अनुभवी और शत्रुओं को परास्त करने वाला होता है।
उपाय:
(1) अपने माता पिता की मर्जी के खिलाफ शादी न करें।
(2) गायों और माँ के समान स्त्रियों की सेवा करें।
(3) विवाहेत्तर संबंधों से बचें।
(4) जातक दूध या दही से अपना गुप्तांग साफ करें।
यह घर बुध और केतू का माना गया है जो एक दूसरे के शत्रु हैं। लेकिन शुक्र दोनों का मित्र है। इस घर में शुक्र नीच का होता है। लेकिन यदि जातक विपरीत लिंगी को प्रसन्न रखता है और सारे और सुविधा उपलब्ध करवाता है तो उसके धन और पैसे में बृद्धि होगी। जातक की पत्नी को पुरुषों के जैसे कपडे नहीं पहनने चाहिए और न ही पुरुषों के जैसे बाल रखने चाहिए अन्यथा गरीबी बढती है। ऐसे जातक को उसी से विवाह करना चाहिए जिसके भाई हों। इसके अलावा, जातक कोई भी पूरा किए बिना काम बीच में नहीं छोडता।
उपाय:
(1) पत्नी के बालों में सोने की हेयर क्लिप का उपयोग करवाएं।
(2) खयाल रखें कि पत्नी नंगे पैर न चले।
(3) निजी अंगों को लाल दवा से धोएं।
यह घर शुक्र का ही होता है अत: यहां स्थित शुक्र बहुत अच्छे परिणाम देता है। अगर यह इस घर में रखा गया है। पहले भाव में स्थित ग्रह सातवें भाव पर इस प्रकार प्रभाव डालता है मानो वह सातवें भाव में स्थित हो। यदि पहले भाव में स्थित ग्रह शुक्र का शत्रु ग्रह जैसे राहू हो तो जातक की पत्नी और घरेलू मामले बुरी तरह से प्रभावित होंगे। जातक बडे पैमाने पर अपने पैसे महिलाओं पर खर्च करता है। विवाह से संबंधित व्यापार-व्यवसाय जैसे टेन्ट हाउस और ब्यूटी पार्लर आदि का काम जातक के लिए फायदेमंद रहेगा। एक आँख और काली औरत के साथ एसोसिएशन उपयोगी साबित होगा। काने व्यक्ति या काली औरत की संगति फायदेमंद रहेगी।
उपाय:
(1) सफेद गाय न पालें।
(2) लाल गायों की सेवा करें।
(3) जीवन साथी के बजन के बराबर किसी मन्दिर में जौ दान करें।
(4) गंदी नाली या नहर में 43 दिनों तक नीले फूल फेंकें।
इस घर में कोई ग्रह शुभ नहीं माना जाता है यहां तक कि शुक्र भी इस घर में बिगड जाता है और जहरीला हो जाता है। ऐसे जातक की पत्नी गुस्सैल और अत्यधिक चिड़चिडी हो जाती है। उसके मुँह से निकली बुरी बातें निश्चित रूप से सच साबित होती हैं। जातक स्वयं की सहानुभूति से पीडित हो जाएगा। किसी की गारंटी या जामानत लेना विनाशकारी साबित होगा। यदि दूसरे भाव में कोई ग्रह न हो तो 25 साल से पहले शादी न करें अन्यथा पत्नी मर जाएगी।
उपाय:
(1) कोई भी वस्तु दान के रूप में स्वीकार न करें।
(2) नियमित रूप से मन्दिर जाएं और पूजा स्थलों तथा मंदिरों में सिर झुकाएं।
(3) तांबे के सिक्के या नीले फूल लगातार दस दिनों तक गटर या गंदे नाले में फेंकें
(4) दही से अपने गुप्तांगों को धोएं।
इस घर में स्थित शुक्र अच्छे परिणाम नहीं देता। जातक धनवान हो सकता है लेकिन अपनी रोटी के लिए उसे कडी मेहनत करनी पडेगी। उसे अपने प्रयासों का उचित पुरस्कार नहीं मिलेगा। घर में पुरुष सदस्यों, पैसा, धन और संपत्ति की कमी हो जाएगी। यदि शुक्र बुध या किसी अशुभ ग्रह के साथ है तो जातक सत्रह साल की उम्र से नशे और किसी रोग का शिकार हो जाएगा।
उपाय:
(1) घर की नींव चांदी और शहद दबाएं।
(2) पत्नी (या स्त्री है तो स्वयं) लाल चूड़ियाँ पहनें जिनमें चांदी की धारियां हों अथवा चांदी चूड़ियाँ जिन पर लाल रंग की डिजाइनिंग हो।
(3) किसी नीम के पेड़ के नीचे 43 दिनों के लिए चांदी का टुकड़ा दबाएं।
इस घर में शुक्र जातक को लालची, संदिग्ध और हस्तकला में रुचि लेने वाला बनाता है। जातक अपनी पत्नी के मार्गदर्शन के तहत कार्य करेगा। जब तक पत्नी जातक के साथ होगी हर मुसीबत जातक से दूर रहेगी। कोई मोटर कार दुर्घटना या अन्य कोई नुकशान नहीं होगा। शनि से जुड़े व्यापार और चीजें फायदेमंद साबित होंगी।
उपाय:
(1) निजी अंगों को दही से धुलें।
(2) घर की पश्चिमी दीवार मिट्टी की होनी चाहिए।
(3) शराब, अण्डा और मांशाहारी भोजन न करें।
(4) बीमार होने की दशा में काले रंग की गाय का दान करना चाहिए।
इस घर में शुक्र शनि और बृहस्पति से प्रभावित होता है, क्योंकि यह घर बृहस्पति और शनि के अंतर्गत आता है। यह घर तीसरे भाव से देखा जाता है जो कि मंगल और बुध का घर है। जातक की पत्नी अपने भाई के माध्यम से, बहुत फायदेमंद साबित होगी।
उपाय:
(1) बुध का उपाय उपयोगी रहेगा।
(2) शनिवार को तेल का दान करें।
(3) आम तौर पर जातक के वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है। ऐसे में जातक को दूध में सोने के गरम टुकडे को बुझाकर दूध पीना चाहिए।
इस घर उच्च का शुक्र बहुत लाभकारी परिणाम देता है। जातक के पास ऐसी पत्नी होगी जो मुसीबत के समय में किसी ढाल की तरह कार्य करेगी। महिलाओं से मदद लेना जातक के लिए अत्यधिक फायदेमंद साबित होगा। जातक को सरकार से सहयोग मिलेगा। शुक्र की बृहस्पति से शत्रुता के कारण पत्नी को स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं। दूसरे या छठवें भाव में स्थित बुध जातक को रोगी बनाता है लेकिन जातक को साहित्यिक और काव्य प्रतिभा प्रदान करता है। ऐसा जातक 59 साल की उम्र में उच्च आध्यात्मिक शक्तियों प्राप्त करता है और 96 वर्षों तक जीवित रहता है।
उपाय:
(1) पत्नी (स्त्री) नीला फूल या फल सूर्यास्त (शाम) के समय किसी सुनसान जगह पर खोद कर दबाए, इससे स्वास्थ अच्छा रहेगा।
(2) यदि पत्नी दूसरों को दान देती है तो वह पति के लिए किसी रक्षा की दीवार की तरह काम करेगी।
(3) गाय पालें और दान भी करें।
(4) पत्नी को प्यार, इज्जत और सम्मान दें।
Engineer Rameshwar Prasad(B.Tech., M.Tech., P.G.D.C.A., P.G.D.M.) Vaastu International
|