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हिन्दू ज्योतिष में बृहस्पति को देव गुरु कहा जाता है। यह धनु और मीन राशि का स्वामी है और कर्क राशि में उच्च और मकर राशि में नीच का होता है। सूर्य, मंगल और चंद्रमा बृहस्पति के मित्र हैं। वहीं शुक्र, बुध शत्रु और शनि व राहु बृहस्पति के साथ सम-भाव रखते हैं। लाल किताब में बृहस्पति को एक महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है। पीपल, पीला रंग, सोना, हल्दी, चने की दाल, पीले फूल, केसर, गुरु, पिता, वृद्ध पुरोहित, विद्या और पूजा-पाठ यह सब बृहस्पति के प्रतीक माने गये हैं।
चंद्रमा का साथ मिलने पर बृहस्पति की शक्ति बढ़ जाती है। वहीं मंगल का साथ मिलने पर बृहस्पति की शक्ति दोगुना बढ़ जाती है। सूर्य ग्रह के साथ से बृहस्पति की मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है।
बृहस्पति के तीन मित्र ग्रह होने के साथ-साथ तीन शत्रु ग्रह भी हैं। ये ग्रह सदैव बृहस्पति को हानि पहुंचाने के लिए अवसर तलाशते हैं। बृहस्पति का पहला शत्रु बुध है, दूसरा शुक्र और तीसरा शत्रु राहु है।
संसार के हर प्राणी और वस्तु में कोई गुण और अवगुण दोनों होते हैं। ठीक इसी प्रकार आकाश में विचरण कर रहे ग्रहों में भी गुण और अवगुण दोनों होते हैं। बृहस्पति ग्रह मान, प्रतिष्ठा और उत्पत्ति का कारक है लेकिन निर्बल होने पर बृहस्पति के यह सभी गुण पलभर में खत्म हो जाते हैं। जातक अपने कर्मों के द्वारा अपनी जन्म कुंडली के प्रबल और उत्तम बृहस्पति को, जो चतुर्थ भाव में अच्छा फल देने वाला होता है, उसे निर्बल कर लेता है। पिता, बाबा, दादा, ब्राह्मण और बुजुर्गों को निरादर करने से उत्तम बृहस्पति निष्फल हो जाता है।
लाल किताब के अनुसार जब कुंडली में बृहस्पति पीड़ित होता है तो जातक पर निम्न प्रभाव देखने को मिलते हैं-
जब जन्म कुंडली में बृहस्पति की स्थिति कमजोर हो तो, लाल किताब से संबंधित निम्न उपाय अवश्य करना चाहिए।
बृहस्पति ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करने और शुभ फल की प्राप्ति के लिए लाल किताब के अलावा अन्य ज्योतिषीय उपाय भी किये जाते हैं।
बृहस्पति को धर्म, दर्शन और ज्ञान का कारक माना जाता है। न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट, वकील, बैंक मैनेजर, कंपनी का मैनेजिंग डायरेक्टर, ज्योतिषी और शिक्षक आदि बृहस्पति ग्रह के प्रतीक हैं।
शेयर मार्केट, किताबों का बिजनेस, शिक्षा और धर्म संबंधी पुस्तकें, वकालत और शिक्षा संस्थाओं का संचालन आदि बृहस्पति के प्रतीक रूप व्यवसाय हैं। फायनेंस कंपनी और अर्थ मंत्रालय भी बृहस्पति के प्रतीक कहे जाते हैं।
गुरु के बुरे प्रभाव से व्यक्ति के शरीर में कफ और चर्बी की वृद्धि होती है। डायबिटीज, हर्निया, कमजोर याददाशत, पीलिया, पेट, सूजन, बेहोशी, कान और फेफड़ों आदि से संबंधित रोग होते हैं।
बृहस्पति ग्रह की शांति और उससे शुभ फल प्राप्त करने के लिए जिन वस्तुओं का दान करना चाहिए। उनमें चीनी, केला, पीला कपड़ा, केसर, नमक, मिठाई, हल्दी, पीले फूल और पीला भोजन उत्तम माना गया है। इस ग्रह की शांति के लिए बृहस्पति से संबंधित रत्न का दान करना भी श्रेष्ठ होता है। दान करते समय आपको ध्यान रहे कि दिन बृहस्पतिवार हो और सुबह का समय हो। किसी ब्राह्मण, गुरू अथवा पुरोहित को दान देना विशेष फलदायक होता है। बृहस्पतिवार के दिन व्रत भी रखना चाहिए। जिन लोगों का बृहस्पति कमजोर हो उन लोगों को केला और पीले रंग की मिठाईयां गरीबों, पक्षियों विशेषकर कौओं को देना चाहिए। निर्धन और ब्राह्मणों को दही चावल खिलाना चाहिए। पीपल के वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करना चाहिए। गुरू, पुरोहित और शिक्षकों में बृहस्पति का निवास होता है अत: इनकी सेवा से भी बृहस्पति के दुष्प्रभाव में कमी आती है।
बृहस्पति को अन्य सभी ग्रहों का गुरु और ब्रह्मा जी का प्रतीक माना गया है। बृहस्पति की कृपा से जीवन में ज्ञान, धर्म, संतान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, इसलिए कुंडली में बृहस्पति की स्थिति प्रबल होने बहुत आवश्यक है।
पढ़ें लाल किताब के अनुसार बृहस्पति ग्रह से संबंधित प्रभाव और उपाय। ज्योतिष में बृहस्पति को एक शुभ ग्रह माना गया है। लाल किताब जो कि पूरी तरह से उपाय आधारित ज्योतिष पद्धति है। इसमें बृहस्पति ग्रह के विभिन्न भावों में फल और उनके प्रभाव के बारे में विस्तार से व्याख्या की गई है।
पहले घर में स्थित बृहस्पति निश्चय ही जातक को अमीर बनाता है, भले ही वह सीखने और शिक्षा से वंचित हो। जातक स्वस्थ और दुश्मनों निर्भीक रहने वाल होगा। जातक अपने स्वयं के प्रयासों, मित्रों की मदद और सरकारी सहयोग से हर आठवें साल में बडी तरक्की पाएगा। यदि सातवें भाव में कोई ग्रह न हो तो विवाह के बाद सफलता और समृद्धि मिलती है। विवाह या अपनी कमाई से चौबीसवें या सत्ताइसवें साल में घर बनवाना जातक की पिता की उम्र के लिए ठीक नहीं होगा। बृहस्पति पहले भाव में हो और शनि नौवें भाव में हो तो जातक को स्वाथ्य से संबंधित परेशानियां होती हैं। बृहस्पति पहले भाव में हो और राहू आठवें भाव में हो तो जातक के पिता की मृत्यु दिल के दौरे या अस्थमा के कारण होती है।
उपाय:
(1) बुध, शुक्र और शनि से सम्बंधित वस्तुएं धार्मिक स्थानों में बांटे।
(2) गायों की सेवा करें और अछूतों की मदद करें।
(3) यदि शनि पांचवे भाव में हो तो घर का निर्माण न करें।
(4) यदि शनि नवमें भाव में हो तो शनि से सम्बंधित चीजें जैसे मशीनरी आदि न खरीदें।
(5) यदि शनि ग्यारहवें या बारहवें भाव में हो तो, शराब, मांस और अंडे का प्रयोग बिलकुल न करें।
(6) नाक में चांदी पहनने से बुध का दुष्प्रभाव दूर होता है।
इस घर के परिणाम बृहस्पति और शुक्र से प्रभावित होते हैं भले ही शुक्र कुण्डली में कहीं भी बैठा हो। शुक्र और बृहस्पति एक दूसरे के शत्रु हैं। इसलिए दोनों एक दूसरे पर प्रतिकूल असर डालते हैं। नतीजतन, यदि जातक सोने के या आभूषणों के व्यापार में संलग्न होता है, तो शुक्र से संबंधित चीजें जैसे धन और संपत्ति आदि प्रभावित होंगी। यदि जातक का जीवनसाथी भी उसके साथ है तो जातक सम्मान और धन कमाता जाएगा बावजूद इसके उसका जीवनसाथी और परिवार के लोग स्वास्थ्य समस्या या अन्य परेशानियों से ग्रस्त रहेंगे। जातक विपरीत लिंग के लोगों में प्रशंसनीय होगा और अपने पिता की संपत्ति विरासत में प्राप्त करेगा। यदि 2, 6 और 8वां घर शुभ हैं और शनि दसवें घर में नहीं है तो जातक लॉटरी या किसी नि:संतान से सम्पत्ति अर्जित करेगा।
उपाय:
(1) दान-दक्षिणा देने से समृद्धि बढ़ेगी।
(2) दशम भाव में स्थित शनि के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए सांपों को दूध पिलायें।
(3) यदि आपके घर के सामने की सड़क में कोई गड्ढा है तो उसे भर दें।
तीसरे भाव का बृहस्पति जातक को समझदार और अमीर बनाता है, जातक अपने पूरे जीवन काल में सरकार से निरंतर आय प्राप्त करता रहेगा। नवम भाव में स्थित शनि जातक को दीर्घायु बनाता है। यदि शनि दूसरे भाव में हो तो जातक बहुत चतुर और चालाक होता है। चतुर्थ भाव में स्थित शनि यह इशारा करता है कि जातक का पैसा और धन उसके अपने दोस्तों के द्वारा लूट लिया जाएगा। यदि बृहस्पति तीसरे भाव में किसी पापी ग्रह से पीडित है तो जातक अपने किसी करीबी के कारण बरबाद हो जाएगा और कर्जदार हो जाएगा।
उपाय:
(1) देवी दुर्गा की पूजा करें और कन्याओं अर्थात छोटी लड़कियों को मिठाई और फल देते हुए उनके पैर छू कर उनका आशीर्वाद लें।
(2) चापलूसों से दूर रहें।
चौथा घर बृहस्पति के मित्र चंद्रमा का है। बृहस्पति इस घर में उच्च का होता है। इसलिए बृहस्पति यहाँ बहुत अच्छे परिणाम देता है और जातक को दूसरों के भाग्य भविष्य तय करने की शक्तियां प्रदान करता है। जातक पैसा, धन, और बहुत सम्पत्ति के साथ साथ सरकार की ओर से सम्मान का अधिकारी होता है। जातक को संकट के समय में दैवीय सहायता प्राप्त होगी। जैसे-जैसे उसकी उम्र बढती जाएगी जातक समृद्धि और धन में भी वृद्धि होगी। लेकिन यदि जातक घर के भीतर मंदिर बनवा लेता है तो उपरोक्त परिणाम नहीं मिलेंगे साथ ही गरीबी और परेशानी पूर्ण वैवाहिक जीवन का सामना करना पड़ेगा।
उपाय:
(1) घर में मंदिर न बनायें।
(2) बड़ों की सेवा करें।
(3) सांप को दूध पिलायें।
(4) कभी भी नंगे बदन न रहें।
यह घर बृहस्पति और सूर्य से संबंधित होता है। जातक के समृद्धि में वृद्धि पुत्र प्राप्ति के पश्चात होगी। वास्तव में जातक के जितने अधिक पुत्र होंगे वह उतना ही अधिक समृद्धशाली होगा। पांचवां घर सूर्य का अपना घर होता है और इस घर में सूर्य, केतू और बृहस्पति मिश्रित परिणाम देंगे। लेकिन यदि बुध, शुक्र और राहू दूसरे, नौवें, ग्यारहवें और बारहवें भाव में हों तो सूर्य, केतू और बृहस्पति खराब परिणाम देंगे। यदि जातक ईमानदार और श्रमसाध्य है तो बृहस्पति अच्छे परिणाम देगा।
उपाय:
(1) किसी भी तरह का दान या उपहार स्वीकार न करें।
(2) पुजारियों और साधुओं की सेवा करें।
छठवा घर बुध का होता है और केतु का भी इस घर पर प्रभाव माना गया है। इसलिए यह घर बुध, बृहस्पति और केतु का संयुक्त प्रभाव देगा। यदि बृहस्पति शुभ होगा तो जातक पवित्र स्वभाव का होगा। उसे बिना मांगे जीवन में सब कुछ मिल जाएगा। बड़ों के नाम पर दान-दक्षिणा उसके लिए फायदेमंद होगा। यदि बृहस्पति छठवें घर में हो और केतु शुभ हो तो जातक स्वार्थी हो जाएगा। हालांकि, यदि केतु छठवें घर में अशुभ है और बुध भी हानिकर है तो जातक उम्र के 34 साल तक दुर्भाग्यशाली रहेगा। यहाँ स्थित बृहस्पति जातक पिता के अस्थमा रोग का कारण बनता है।
उपाय:
(1) बृहस्पति से संबंधित वस्तुएं मन्दिर में भेंट करें।
(2) मुर्गों को दाना डालें।
(3) पुजारी को कपडे भेंट करें।
सातवां घर शुक्र का होता है, अत: यह मिश्रित परिणाम देगा। जातक का भाग्योदय शादी के बाद होगा और जातक धार्मिक कार्यों में शामिल होगा। घर के मामले में मिलने वाला अच्छा परिणाम चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करेगा। जातक देनदार नहीं हो सकता है लेकिन उसके अच्छे बच्चे होंगे। यदि सूर्य पहले भाव में हो तो जातक एक अच्छा ज्योतिषी और आराम पसंद होगा। लेकिन यदि बृहस्पति सातवें भाव में नीच का हो और शनि नौवें भाव में हो तो जातक चोर हो सकता है। यदि बुध नौवें भाव में हो तो जातक के वैवाहिक जीवन परेशानियों से भरा होगा। यदि बृहस्पति नीच का हो तो जातक को भाइयों से सहयोग नहीं मिलेगा साथ ही वह सरकार के समर्थन से भी वंचित रह जाएगा। सातवें घर में बृहस्पति पिता के साथ मतभेद का कारण बनता है। ऐसे में जातक को चाहिए कि वह कभी भी किसी को कपड़े दान न करे, अन्यथा वह बडी गरीबी की चपेट में आ जाएगा।
उपाय:
(1) भगवान शिव की पूजा करें।
(2) घर में किसी भी देवता की मूर्ति न रखें।
(3) हमेशा अपने साथ किसी पीले कपडे में बांध कर सोना रखें।
(4) पीले कपडे पहने हुए साधु और फ़कीरों से दूर रहें।
बृहस्पति इस घर में अच्छे परिणाम नहीं देता लेकिन जातक को सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। संकट के समय जातक को ईश्वर की सहायता मिलेगी। धार्मिक होने से जातक के भाग्य में वृद्धि होगी। यदि जातक सोना पहनता है तो दुखी या बीमार नहीं होगा। यदि बुध, शुक्र या राहू दूसरे, पांचवें, नौवें, ग्यारहवें या बारहवें भाव में हों तो जातक के पिता बीमार होंगे और स्वयं जातक को प्रतिष्ठा की हानि का सामना करना होगा।
उपाय:
(1) राहु से संबंधित चीजें जैसे गेहूं, जौ, नारियल आदि पानी में बहाएं।
(2) श्मशान में पीपल का पेड़ लगाएं।
(3) मंदिर में घी, आलू और कपूर दान करें।
नौवां घर बृहस्पति से विशेष रूप से प्रभावित होता है। इसलिए इस भाव वाला जातक प्रसिद्ध है, अमीर और एक अमीर परिवार में पैदा होगा। जातक अपनी जुबान का पाक्का और दीर्घायु होगा, उसके बच्चे बडे अच्छे होंगे। यदि बृहस्पति नीच का हो तो जातक में उपरोक्त गुण नहीं होंगे और वह नास्तिक होगा। यदि बृहस्पति का शत्रु ग्रह पहले, पांचवें या चौथे भाव में हो तो बृहस्पति बुरे परिणाम देगा।
उपाय:
(1) हर रोज मंदिर जाना चाहिए।
(2) शराब पीने से बचें।
(3) बहते पानी में चावल बहाएं।
यह भाव शनि का घर होता है। इसलिए जातक जब खुश होगा तो शनि के गुणों को आत्मसात करेगा। यदि जातक चालाक और धूर्त होगा तभी बृहस्पति के अच्छे परिणाम का आनंद ले पाएगा। यदि सूर्य चौथे भाव में बृहस्पति बहुत अच्छा परिणाम देगा। चौथे भाव के शुक्र और मंगल जातक के कई विवाह सुनिश्चित करते हैं। यदि 2, 4 और 6 भावों में मित्र ग्रह हों तो पैसों और आर्थिक मामलों में बृहस्पति अत्यधिक लाभकारी परिणाम प्रदान करता है। यदि दसम में स्थित बृहस्पति नीच का हो तो जातक उदास और गरीब होता है। वह पैतृक सम्पत्ति, पत्नी और बच्चों से वंचित रहता है।
उपाय:
(1) कोई भी काम शुरू करने से पहले अपनी नाक साफ करें।
(2) नदी के बहते पानी में 43 दिनों के लिए तांबे के सिक्के बहाएं।
(3) धार्मिक स्थानों में बादाम बाटें।
(4) घर के भीतर मंदिर बनाकर मूर्तियां स्थापित न करें।
(5) माथे पर केसर का तिलक लगाएं।
इस घर में बृहस्पति अपने शत्रु ग्रहों बुध, शुक्र और राहु से सम्बंधित चीजों और रिश्तेदारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। नतीजतन, जातक की पत्नी दुखी रहेगी। इसी तरह, बहनें, बेटियां और बुआ भी दुखी रहेंगी। बुध सही स्थिति में तो भी जातक कर्जदार होता है। जातक तभी आराम से रह पाएगा जब वह पिता, भाइयों, बहनों और मां के साथ साथ एक संयुक्त परिवार में रहे।
उपाय:
(1) हमेशा अपने शरीर पर सोना पहनें।
(2) तांबे का कडा पहनें।
(3) पीपल के पेड़ में जल चढाएं।
बारहवा घर बृहस्पति और राहु के संयुक्त प्रभाव में होता है जो कि एक दूसरे के शत्रु होते हैं यदि जातक अच्छा आचरण करता है, धार्मिक प्रथाओं को मानता है और सभी के लिए अच्छा चाहता है तो वह खुशहाल होगा और रात में आरामदायक नींद का आनंद ले पाएगा। जातक अमीर और शक्तिशाली होगा। शनि के दुष्कर्मों से बचाव करने पर मशीनरी, मोटर, ट्रक और कार से सम्बंधित काम फायदेमंद रहेंगे।
उपाय:
(1) किसी भी मामले में झूठी गवाही से बचें।
(2) साधुओं, गुरुओं और पीपल के पेड़ की सेवा करें।
(3) रात में अपने बिस्तर के सिरहनें पानी और सौंफ रखें।
Engineer Rameshwar Prasad(B.Tech., M.Tech., P.G.D.C.A., P.G.D.M.) Vaastu International
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