लाल किताब आधुनिक ज्योतिष जगत में काल सर्प के पहले सर्वाधिक चर्चित विषय रहा है, लाल किताब को भारतीय ज्योतिष का फ़ारसी भाषा में उप्लब्ध यवन संस्करण माना जा सकता है ।
लाल किताब जैसे महत्वर्पूण ज्योतिष साहत्यि का फारसी एवं उर्दु में लिखा होना इस बात का पुख्ता सबूत है कि भारतीय ज्योतिष का सफर बगदाद आदि खाड़ी देशों से होता हुआ पुन: यवनों के प्रभाव से भारत आया । यवनों का ज्योतिष ज्ञान उस समय में काफी सराहनीय था, इसका उहेख लगभग इ. सन् ५०० में भारतीय ज्योतिष के पितृ पुरुष वराहमिहरि नें कुछ इस तरह से उद्घृ त किया था :-
ऋषि तुल्य पूजने का सुझाव देने के पीछे इब्राहीम अलफजारी के मुस्लिम चान्द्र वर्ष सारणी एवं सिंद हिंद जैसे ग्रंथ रहे हैं। रमल और ताजिक जैसे ज्योतिष के अंग अरब के प्रभाव को प्रस्तुत करते ही हैं । इकबाल, अशरफ जैसे यवनाचायो को भारतीय ज्योतिष के सभी मूल सिद्धांत ज्ञात थे इन्होनें इसे फारसी भाषा में लिख कर इस ज्ञान के प्रसार में योगदान किया। इन्हीं विद्वानों की तरह किसी गुमनाम लेखक नें फरमानों एवं शायरी के रुप में जो ज्ञान एवं सिद्धांत प्रस्तुत किया वह वर्षो से उत्तर भारत में अधिकारिक रुप से स्वीकार किया जाता रहा है। दक्षिण भारत में विगत कुछ वर्षों से इसके अनुवाद के प्रकाशन के बाद इसके टोटके एवं उपायों का प्रयोग प्रारंभ हुआ ।
इस सिद्धांत के टोटके एवं ग्रह शांति के उपाय, गोचर अनुसार ग्रहों के जातक पर पड़नें वाने अनिष्ट प्रभावों से मुक्ति हेतु सामान्य सिद्धांत के अनुसार रत्न धारण एवं ग्रह शांति पूजन के भारी भरकम खचे से अवश्य ही निजात दिलाता है एवं ग्रहों के अनिष्टों से मुक्ति प्रदान करने का सहज एवं सुगम रास्ता प्रदान करता है ।
इस सिद्धांत के अनुसार जन्म कुण्डली में लग्नादि बारह भावों में राशियों का स्थान निश्चित है किन्तु ग्रह वैदिक सिद्धांत के अनुसार जन्म कुण्डली में जिस भाव में बैठे हों वहां बैठाया जाता है। इसे स्पस्ट रुप से समझाने के लिए ज्योतिष का सामान्य ज्ञान आवश्यक है, किन्तु यदि आपको ज्योतिष का सामान्य ज्ञान भी नहीं है तो चिंता की कोइ बात नहीं। ग्रहों के गति के अनुसार जन्म कुण्डली में ग्रहों की स्थिति भावों में निश्चित होती है और ग्रहों की यही स्थि ति भावानुसार ग्रहों की शुभता या अशुभता को जीवनकाल में सुख व दुख के रुप में प्रदर्शित करती है ।
ग्रह अपनें अनिष्ट प्रभाव को जीवन में दो रुप में प्रस्तुत करता है, प्रथमत: जन्मकालिक स्थितियों के द्वारा एवं द्वितियत: कालभ्रमणानुसार अपने विमशोत्तरी या योगिनी दशा में। इन दोनों परिस्थितियों में मनुष्य के जीवन में ग्रहों के प्रभाव से अन्य अरिष्ट के अतिरिक्त कुछ ऐसे लक्षण पैदा होते हैं जिससे कि हम जान सकते हैं कि वर्तमान में दुख देने वाला ग्रह कौन सा है।
हम आपकी सुविधा के लिए लाल किताब के सिद्धांत के अनुसार संक्षिप्त में ग्रह दोष से उत्पन्न सांकेतिक लक्षणों एवं उपायों की जानकारी यहां प्रस्तुत कर रहे हैं साथ ही उक्त ग्रह के ताप से मुक्ति हेतु ऐसे अचूक एवं अनुभव सिद्ध टोटके भी दे रहे हैं :-
सुर्य (Sun): सूर्य के अशुभ होने पर या कुण्डली में सुर्य के दूषित प्रभाव होने पर पेट, आंख, हृदय का रोग होवे, सरकारी बाधा आवे । ऐसे में तांबा, गेंहू एवं गुड का दान करें, आग को दूध से बुझावें, प्रत्येक कार्य का प्रारंभ मीठा खाकर करें, हरिवंश पुराण का पाठ करें, ताबें का बराबर दो तुकडा काटकर एक को पानी में बहा दें एक को जीवन भर साथ रखें।
चंद्र (Moon): चंद्र के कुण्डली में अशुभ होने पर दुधारी पशु की मृत्यु हो जावे, स्मरण शक्ति का ह्रास हो, धर में पानी की कम पड़ जावे। ऐसे में भगवान शिव की आराधना करें, दो मोती या दो चांदीं का तुकड़ा लेकर एक तुकड़ा पानी में बहा दें एक को अपने पास रखें। चंद्र यदि कुण्डली में छठे भाव में हो तो दूध या पानी का दान कदापि न करें, यदि वारहवां हो तो धमात्मा या साधु को भोजन न करावें न ही दूध पिलावें यदि ऐसा करेंगे तो जीवन भर कष्ट भोगेंगे ।
मंगल (Mars): मंगल के अशुभ होने पर बच्चे जन्म होकर मर जावे, आंख में रोग होवे, बात गठिया रोग दुख देवे, रक्त की कमी या खराबी वाला रोग हो जावे, हर समय क्रैंध आवे, लड़ाइ झगड़ा होवे तब हनुमान जी की आराधना एवं उपवास रखें, तंदूर की मीठी रोटी दान करें, बहते पानी में रेवड़ी व बताशा बहायें, मसूर की दाल दान में देवें ।
बुध (Mercury): बुध की अशुभता पर दांत टूट जाये, सूंघनें की शक्ति कम हो जावे, गुप्त रोग होवे उपाय में नांक छिदवायें, ताबें के प्लेट में छेद कर बहते पानी में बहायें, दुगा उपासना करें, अपने भोजन में से एक हिस्सा गाय को एक हिस्सा कुत्तों को दें ।
गुरु (Jupiter): देव गुरु वृहस्पति के अशुभ प्रभाव में आने पर सिर के बाल झड़ने लगे, सोना खो जाये या चोरी हरे जावे, शिक्षा में बाधा आवे, अपयश होवे तब माथे पर केशर का तिलक लगावें, कोइ भी अच्छा काय करने के पूर्व अपना नांक साफ करें । दान में हल्दी, दाल, केसर आदि देवें व ब्रम्हा जी की पूजा करें ।
शुक्र (Venus): दानवों के गुरु शुक्र के अशुभ प्रभाव में होने पर अंगूठे का रोग हो जावे, चलते समय अगूंठे को चोट पहुंचे, चर्म रोग होवे, स्वप्न दोष होता हो तो अपने खानें में से गाय को प्रतिदिन कुछ हिस्सा अवश्य देवें, गाय, ज्वांर दान करें, नि:सहाय व्यक्ति का पालन पोषण का जिम्मा लेवें, लक्ष्मी उपासना करें ।
शनि (Saturn): शनि के अशुभ प्रभाव में होने पर मकान या मकान का हिस्सा गिर जावे या क्षति होवे, अंगों के बाल झड़ जावे, काले संपत्ति का नाश होवे, आग लग जावे व धन संपत्ति का नाश हो तब कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलावे, तेल में अपना मुख देख वह तेल दान करें, लोहा, काला उडद, चमड़ा, काला सरसों आदि दान दें । भगवान शिव की आराधना करें। यदि कुण्डली में शनि लग्न में हो तो भिखारी को तांबे का सिक्का या बर्तन कभी न दें यदि देंगे तो पुत्र को कष्ट होगा । यदि शनि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला आदि न बनवायें।
राहु (Rahu): राहु के अशुभ होने पर हांथ के नाखून अपने आप टूटने लगे, राजक्ष्यमा रोग के लक्षण प्रगट होवे, दिमागी संतुलन ठीक न रहे, शत्रुओं के चाल पे चाल से मुश्किल बढ़ जावे ऐसी स्थिति में जौं या अनाज को दूध में धो कर बहते पानी में बहायें, कोयला को पानी में बहायें, मूली दान में देवें, भंगी को शराब,मांस दान में दें। सिर में चुटैया रखें, भैरव जी की की उपासना करें ।
केतु (Ketu): इसके अशुभ प्रभाव में होने पर मूत्र एवं किडनी संबंधी रोग होवे, जोड़ों का रोग उभरे, संतान को पीड़ा होवे तब अपने खाने में से कुत्ते को हिस्सा देवें, तिल व कपिला गाय दान में दें, कान छिदवायें व श्री विघ्नविनायक की आराधना करें।
लाल किताब अपने अनूठे टोटकों के लिए विशेष रूप से जानी जाती है। 'लाल किताब' में राशियों के आधार पर विभिन्न टोटके दिये गये हैं। अतः राशि अनुसार दिये गये उपायों को अपनाकर सुखी जीवन बिताया जा सकता है।
मेष
किसी से कोई वस्तु मुफ्त में न लें।
गज-दंत से निर्मित वस्तु जातक के लिए हानिकारक है।
लाल रंग का रुमाल हमेशा प्रयोग करें।
घर में सोने की जगह मृगचर्म का प्रयोग करें।
दिन ढलने के पश्चात् गेहूं व गुड़ बच्चों में बांटें।
बायें हाथ में चांदी का छल्ला धारण करें।
साधु-संतों, मां व गुरु की सेवा करें।
काले, काने एवं अपाहिज व्यक्तियों से दूर रहें।
मीठी वस्तुओं का व्यापार न करें।
आंगन में नीम का वृक्ष लगाएं।
सदाचार का सदा पालन करें।
रात्रि में सिरहाने एक गिलास पानी भरकर रखें।
सुबह उस जल को किसी गमले में डाल दें।
पुत्र-रत्न के जन्म दिन पर नमकीन वस्तु विशेष रूप से बांटें।
वैदिक नियमों का पालन करें।
बहन, बेटी व बुआ को उपहार में मिठाई दें।
विधवाओं की सहायता करें और आशीर्वाद लें।
मीठी रोटी गाय को खिलाएं।
वृष
परस्त्री का संग न करें।
अति काम-वासना का परित्याग करें।
मूंग की दाल दान करें।
शनिवार को सरसों, अलसी या तिल का तेल दान करें। गौ-दान करें।
अर्द्धांगिनी प्रतिदिन कुछ न कुछ दान करे।
शुक्रवार का उपवास रखें।
दूध, दही, घी व कपूर धर्म स्थानों पर चढ़ाएं।
मुक्तक या वज्रमणि धारण करें।
वस्त्रों में इत्रादि का प्रयोग करें।
सलीकेदार कपड़े धारण करें।
नया जूता-चप्पल जनवरी-फरवरी माह में न खरीदें।
चांदी का छल्ला/प्लेटिनम धारण करें।
चावल-चांदी हमेशा पास रखें।
चांदी का टुकड़ा नीम के पेड़ के नीचे दबाएं।
झूठी गवाही न दें।
प्रतिदिन एक नेक काम करें।
किसी से धोखाधड़ी न करें।
घर में मनी प्लांट लगाएं।
मिथुन
तामसिक भोजन का परित्याग करें।
मछलियों को कैदमुक्त करें।
फिटकरी से दांत साफ करें।
पशु-पक्षी न पालें।
अक्षत और दुग्ध धर्मस्थान में चढ़ाएं।
माता का पूजन करें। 12 वर्ष से छोटी कन्याओं का आशीर्वाद लें।
मूंग भिगोकर कबूतरों को दें। दमे की दवा मुफ्त अस्पताल में दें।
तोता, भेड़ या बकरी न पालें।
सूर्य संबंधी उपचार करें।
गुरु से संबंधित उपचार हर कार्य में सफल होंगे।
घर में मनी प्लांट न लगाएं।
हरे रंगों का इस्तेमाल न करें।
बेल्ट का प्रयोग न करें।
बायें हाथ में चांदी का छल्ला धारण करें।
मिट्टी के बर्तन में दूध भरकर निर्जन स्थान में गाड़ें।
हरे रंग की बोतल में गंगा जल भरकर सुनसान जगह में दबाएं।
कर्क
नदी पार करते समय उसमें तांबे का सिक्का प्रवाहित करें।
माता से चांदी-चावल लेकर पास रखें।
पलंग में तांबे का टुकड़ा लगाएं।
24 वर्ष तक नौकरानी या गाय रखें।
24 वर्ष से पहले गृह-निर्माण करें।
चांदी के बर्तन में दूध-पानी पीएं।
घर की नींव में चांदी की ईंट लगवाएं।
चावल, चांदी व दूध, बेटी या संतान को दें।
गेहूं, गुड़ और तांबा दान करें।
दुर्गा पाठ करें।
कन्यादान में सामान दें।
सफेद वस्तुओं से निर्मित चीजों का व्यापार न करें।
माता की सलाह का पालन करें।
धार्मिक कृत्यों को हमेशा कार्यरूप दें।
तीर्थ स्थानों की यात्रा करने से किसी को न रोकें।
अपना रहस्य किसी को कभी न बताएं।
घर में खरगोश न पालें।
सार्वजनिक तौर से पानी पिलाएं।
सदाचार का पालन करें।
27 वर्ष से पूर्व विवाह न करें।
पितरों के नाम का खाना चिड़ियों को खिलाएं।
सूर्य से संबंधित चीजें धर्म स्थान में दें।
धर्म स्थानों में नंगे पांव जाएं।
यदि आप डॉक्टर हों तो रोगियों को मुफ्त दवा दें।
सिंह
घर के अंतिम हिस्से के बायीं ओर का कमरा अंधेरा रखें।
घर में हैडपंप का प्रयोग करें।
चावल, चांदी व दूध का दान दें।
मुफ्त की कोई चीज न लें।
अखरोट व नारियल-तेल धर्म स्थान में दें।
माता व दादी से कृपा प्राप्त करें।
सूरदास को भोजन कराएं। मद्य-मांसादि का सेवन न करें।
तांबे का सिक्का खाकी धागे में डालकर धारण करें।
सदा सत्य बोलें।
किसी का अहित न करें।
अपने वायदे को निभायें।
वैदिक एवं सदाचार के नियमों का पालन करें।
साला, दामाद एवं भांजे की सेवा करें।
लाल बंदरों को गुड़-गेहूं का भोजन कराएं।
चांदी हमेशा साथ रखें।
कन्या
बेटी को मां जैसा प्यार व स्नेह दें।
पन्ना धारण करें।
पुत्री को चांदी की नथ पहनायें।
छत पर वर्षा का जल रखें।
नवीन वस्त्र धारण करने से पहले उसे नदी के जल से धोयें।
हरे रंग का रुमाल पास रखें।
घर में हरे रंगों का प्रयोग न करें।
घर में तुलसी या मनी प्लांट के पौधे न लगाएं।
मद्यपान का निषेध करें।
शनि से संबंधित उपचार करें।
चौड़े पत्ते वाले पेड़ घर में न लगाएं।
ढक्कन सहित घड़ा नदी में प्रवाहित करें।
भूरे रंग का कुत्ता न पालें।
दुर्गा सप्तमी का पाठ करें।
छोटी कन्याओं से आशीर्वाद लें।
किये गये वायदे को याद रखें और उनका पालन करें।
अपशब्द न बोलें और नही क्रोध करें। बुधवार का उपवास रखें।
हरी वस्तुएं नदी के जल में प्रवाहित करें।
तुला
अपने हिस्से का भोजन पशु-पक्षियों और गाय को खिलाएं।
सास-ससुर से चांदी लेकर रखें।
गौ-मूत्र का पान करें।
पत्नी हमेशा टीका लगाए रखे।
परम पिता पर पूर्ण आस्था रखें।
चौपाये जानवर का व्यवसाय करें।
मक्खन, आलू और दही दान करें।
पत्नी से पुनः पाणिग्रहण करें।
घर में संगीत, बाद्य व नृत्य का परित्याग करें।
वैदिक नियमों का पालन करें।
गौ-ग्रास रोज दें।
माता-पिता की आज्ञा से ही विवाह करें।
पति-पत्नी गुप्त स्थानों (गुप्तांग) को दूध से साफ करें।
स्त्री का हमेशा सम्मान करें।
परिवार की कोई भी स्त्री नंगे पांव न चले।
सफेद गौ को छोड़कर अन्य को ग्रास दें।
दहेज में कांसे के बर्तन अवश्य लें।
परमात्मा के नाम पर कोई दान स्वीकार न करें।
धर्म स्थानों पर जाकर नतमस्तक हों।
घर की बुनियाद में चांदी और शहद डालें।
मद्यपान निषेध रखें।
तवा, चिमटा, चकला और बेलन धर्म स्थान में दें।
घर में पश्चिम दिशा की दीवार कच्ची रखें।
वृश्चिक
तंदूर की मीठी रोटी बनाकर गरीबों को खिलाएं।
पीपल व कीकर के वृक्ष न काटें।
तंदूर की रोटी न खाएं।
किसी से मुफ्त का माल न लें।
भाभी की सेवा करें।
बड़े भाई की अवहेलना न करें।
लाल रुमाल का प्रयोग करें।
मृग व हिरण पालें।
दूध उबलकर जलने न पाये।
अलग-अलग मिट्टी के बर्तनों में शहद और सिंदूर रखकर घर में स्थापित करें।
प्रातःकाल शहद का सेवन करें।
मंगलवार को उपवास रखें।
हनुमान जी को सिंदूर और चोला चढ़ाएं।
शहद, सिंदूर और मसूर की दाल नदी में प्रवाहित करें।
बड़ों की सेवा करें।
मृगचर्म पर रात्रि को शयन करें।
शुद्ध चांदी के बर्तन में भोजन करें।
घर में लाल रंग का प्रयोग अवश्य करें।
गुड़, चीनी या खांड़ चीटिंयों को डालें।
लाल गुलाव दरिया में प्रवाहित करें।
धर्म स्थान में जाकर बूंदी या लड़डू का प्रसाद चढ़ाकर बांटें।
धनु
पीतांबरधारी संतों से दूर रहें।
आभूषण निःसंदेह धारण करें।
धर्म स्थानों में घी, दही, आलू और कपूर दान दें।
भिखारी को निराश न लौटने दें।
गंगाजल का सेवन व उससे स्नान करें।
तीर्थ यात्रा करें। तीर्थ यात्रा के लिए दूसरों की मदद करें।
सदा सत्य बोलें और धार्मिकता का पालन करें।
कार्य शुरु करने से पहले नाक साफ करें।
43 दिन बहते पानी में तांबे का सिक्का प्रवाहित करें।
पीला रुमाल हमेशा साथ रखें।
पिता के पलंग व कपड़ों का प्रयोग करें।
झूठी गवाही न दें।
पीपल की सेवा करें।
किसी को न ठगें।
गुरु, साधु तथा पीपल का पूजन करें।
बृहस्पतिवार को व्रत रखें।
हरिवंश पुराण का पाठ करें।
चांदी के बर्तन में हल्दी लगाकर रखें।
पीले फूल वाले पौधे लगाएं।
गरुड़ पुराण का पाठ करें।
ब्राह्मण, साधु एवं कुलगुरु की सेवा करें।
मकर
बंदरों की सेवा करें।
गीली मिट्टी से तिलक करें।
दूध में चीनी मिलाकर बरगद के वृक्ष में डालें।
परायी स्त्री पर नजर न डालें।
असत्य भाषण न करें।
स्लेटी रंग की भैंस पालें।
सर्प को दूध पिलाने के लिए सपेरे को पैसे दें या स्वयं दूध पिलाएं।
मद्यपान का निषेध रखें।
घर के किसी हिस्से को अंधेरा न रखें।
पूर्व दिशा वाले मकान में निवास करें।
केतु संबंधी उपाय कर सकते हैं।
कुएं में दूध डालें।
भैंसों, कौओं और मजदूरों को भोजन दें।
नदी में शराब प्रवाहित करें।
काला, नीला व फिरोजी कपड़ा न धारण करें।
हमेशा अपने पास स्वर्ण या केसर रखें।
अखरोट धर्म स्थान में चढ़ाएं और थोड़ा-बहुत घर में लाकर रखें।
48 वर्ष से पहले घर न बनवाएं।
चमड़े या लोहे की बनी नयी वस्तु न खरीदें।
मिट्टी के बर्तन में शहद भरकर निर्जन स्थान में दबाएं।
बांसुरी में चीनी भरकर सुनसान जगह में गाड़ें।
कुंभ
अपने पास चांदी का टुकड़ा रखें।
सांपों को दूध पिलाने के लिए सपेरे को पैसे दें।
मुखय द्वार पर थोड़ा-बहुत अंधेरा रखें।
छत पर ईंधन आदि न रखें।
बृहस्पति से संबंधित उपाय करें।
48 वर्ष से पहले अपना मकान न बनवाएं।
मांस का भक्षण न करें।
दक्षिण दिशा वाले मकान का परित्याग करें।
मकान में चांदी की ईंट रखें।
घर के अंतिम हिस्से की दीवार पर खिड़की न लगवाएं।
असत्य भाषण न करें।
शनिवार को व्रत रखें।
भैरव मंदिर में शराब चढ़ायें, लेकिन खुद न पिएं।
तेल और शराब का दान करें।
सरसों का तेल रोटी में लगाकर गाय को खिलवाएं।
जेब में छोटी-छोटी चांदी की गोलियां रखें।
दूध से स्नान करें। गेहूं, गुड़ तथा कांसा मंदिर में दान करें।
चांदी का चौकोर टुकड़ा गर्दन में बांधें।
केसर या हल्दी का तिलक करें।
सोना धारण करें।
मीन
किसी से दान या मदद स्वीकार न करें।
अपने भाग्य पर भरोसा करें।
सड़क के सामने गड्ढा न रखें।
केसर और हल्दी का तिलक करें।
बुजुर्गों की सेवा करें व दुर्गा पाठ करें।
किसी के सामने स्नान न करें।
धर्म स्थान में जाकर पूजन करें।
कुल पुरोहित का आशीर्वाद प्राप्त करें।
पीपल के वृक्ष का पूजन करें।
सिर पर शिखा रखें।
संतों की सेवा करने के साथ-साथ धर्म स्थान की सफाई करें।
बृहस्पति से संबंधित वस्तुओं का दान करें।
स्त्री की सलाह से व्यापार करें।
मंदिर में वस्त्र दान करें।
घर में तुलसी व देव प्रतिमा न रखें।
दीवारों पर चित्र लगा सकते हैं।
सोने को पीले वस्त्र में लपेटकर रखें।
उपरोक्त टोटके लाल किताब के अनुभव सिद्ध टोटके हैं । ग्रहों के द्वारा कष्ट प्रदान किये जाने पर उपरोक्तानुसार कार्य करने से उक्त ग्रह प्रशन्न होते हैं एवं शुभ प्रभाव में आकर उन्नति प्रदान करते हैं। इन टोटकों का प्रयोग कम से कम ४० दिन तक करना चाहिए तब ही फल प्राप्ति संभव होता है। लाल किताब के इन निदान उपायों को पाठक प्रयोग करें और गोचरवश आपके कुण्डली में अशुभ प्रभाव में स्थित ग्रहों को शुभ प्रभाव में ले आवें।
Er. Rameshwar Prasad invites you to the Wonderful World of Lal Kitab (Red Book).