जीवन में तीन आवश्यकताएँ महत्त्वपूर्ण होती है रोटी, कपड़ा और मकान। आवासीय मकान में सबसे मुख्य घर होता है रसोईघर। इसी दिशा में अग्नि अर्थात ऊर्जा का वास होता है। इसी ऊर्जा के सहारे हम सभी अपनी जीवन यात्रा मृत्युपर्यन्त तय करते है। अतः इस स्थान का महत्त्व कितना है आप समझ सकते है। कहा जाता है कि व्यक्ति के स्वास्थ्य एवं धन-सम्पदा दोनो को रसोईघर प्रभावित करता है। अतः वास्तुशास्त्र के अनुसार ही रसोईघर बनाना चाहिए।
जीवन में ऊंचाईयां छूने के लिए शरीर का स्वस्थ्य होना जरूरी है और शरीर स्वस्थ्य तभी होगा जब उसे पौष्टिक भोजन मिलेगा। भोजन स्वादिष्ट, स्वच्छ और स्वास्थ्य के लिए हितकर बने, इसके लिए भवन में रसाई घर का वास्तु के अनुसार बना होना अति-आवश्यक है। रसोई घर को जितनी अधिक सकारात्मक उर्जा मिलेगी उतना ही हमारा स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। आइये जानते है कि रसाई घर में कौन सी वस्तु कहां पर रखनी चाहिए जिससे हमें सकारात्मक उर्जा का अधिक से अधिक लाभ मिल सके।
वास्तु के अनुसार रसोई का निर्माण करते समय कई बातें बेहद अहम और खास हो जाती हैं और उन पर अमल किया जाना भी जरूरी होता है। इसमें सबसे पहले रसोई और चूल्हे के लिए सही स्थान का चुनाव किया जाता है। उसके बाद दरवाजों और खिड़कियों के लिए सही दिशा और जगह का भी ख्याल रखना जरूरी है। इसके साथ ही साथ रसोई के चूल्हे, गैस सिलेण्डर, सिंक, फ्रिज और दूसरे इलैक्ट्रानिक गेजेट्स का भी सही जगह पर होना बेहद जरूरी है।
घर में रसोई या किचन का स्थान उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की आपके शरीर के लिए आपके स्वास्थ्य का। आपके भोजन में अगर सात्विक तत्वों की मौजूदगी रहेगी तो आपका स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहेगा। आपके भोजन की सात्विकता और शुद्धता सिर्फ खाना बनाने वाले पर ही निर्भर नही करती है बल्कि यह इस बात पर भी निर्भर करती है कि आपका रसोईघर घर में किस स्थान पर स्थित है। रसोई की सही या गलत अवस्थिति आपके और आपके परिवार के जीवन पर कर तरह से शुभ और अशुभ प्रभाव डालती है।
1- आग्नेय कोण (SE) किचन के लिए सबसे लाभदायक दिशा है।
2- वायव्य कोण (NW) किचन निर्माण के लिए दूसरी श्रेष्ट जगह है।
3- खाना पकाते समय मुंह पूर्व की और रखे।
4- खिडकियां उत्तर व पूर्व की और रखे।
5- किचन में प्रकाश और हवा की पर्याप्त व्यवस्था हो।
6- जल से सम्बंधित वस्तुए किचन के भी ईशान कोण में ही रखे।
7- माइक्रोवेव ओवन, गैस स्टोव इत्यादि आग से सम्बंधित चीजे आग्नेय कोण में रखे।
8- गैस स्टोव हवा की दिशा में ना रखे।
9- किचन का आकार कम से कम 80 वर्ग फीट या इससे से अधिक हो।
10- किचन में दीवारों पर हलके कलर करना।
1- ईशान कोण (NE) में बनी किचन।
2- ब्रह्मस्थान में बनी किचन तो पूर्णतः निषिद्ध है। किसी भी हाल में यहाँ किचन ना बनाये।
3- नैऋत्य कोण (SW) में भी रसोई निर्माण वास्तु सम्मत नहीं होता है।
4- सीढ़ियों के नीचे रसोई बनाना।
5- शौचालय के सामने रसोई का निर्माण।
6- प्रकाश व हवा की पर्याप्त व्यवस्था ना होना।
7- अत्यधिक छोटी रसोई बनाना।
8- पानी से सम्बंधित वस्तुए रसोई के आग्नेय कोण में रखना।
9- खाना बनाते समय मुंह दक्षिण दिशा में होना।
10- खाना बनाते समय पश्चिम दिशा में मुंह करके खाना बनाना।
11- बहुमंजिला घर में रसोई के ठीक ऊपर शौचालय बनाना भी अशुभ होगा।
12- गैस स्टोव या चूल्हे के ठीक ऊपर सामान रखने के लिए अलमारी बनाना।
13- सामान भण्डारण के लिए अलमारियां उत्तर या पूर्व दिशा में रखना वास्तु के प्रतिकूल होगा।
* यदि रसोईघर नैऋत्य कोण में हो तो यहां रहने वाले हमेशा बीमार रहते हैं।
* यदि घर में अग्नि वायव्य कोण में हो तो यहां रहने वालों का अक्सर झगड़ा होता रहता है। मन में शांति की कमी आती है और कई प्रकार की परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है।
* यदि अग्नि उत्तर दिशा में हो तो यहां रहने वालों को धन हानि होती है।
* यदि अग्नि ईशान कोण में हो तो बीमारी और झगड़े अधिक होते हैं। साथ ही धन हानि और वंश वृद्धि में भी कमी होती है।
* यदि घर में अग्नि मध्य भाग में हो तो यहां रहने वालों को हर प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
* यदि रसोईघर से कुआं सटा हुआ होे तो गृहस्वामिनी चंचल स्वभाव की होगी। अत्यधिक कार्य के बोझ से वह हमेशा थकी-मांदी रहेगी।
* रसोईघर हमेशा आग्नेय कोण में ही होना चाहिए।
* रसोईघर के लिए दक्षिण-पूर्व क्षेत्र सर्वोत्तम रहता है। वैसे यह उत्तर-पश्चिम में भी बनाया जा सकता है।
* यदि घर में अग्नि आग्नेय कोण में हो तो यहां रहने वाले कभी भी बीमार नहीं होते। ये लोग हमेशा सुखी जीवन व्यतीत करते हैं।
* यदि भवन में अग्नि पूर्व दिशा में हो तो यहां रहने वालों का ़ज़्यादा नुक़सान नहीं होता है।
* रसोईघर हमेशा आग्नेय कोण, पूर्व दिशा में होना चाहिए या फिर इन दोनों के मध्य में होना चाहिए। वैसे तो रसोईघर के लिए उत्तम दिशा आग्नेय ही है।
* उत्तर-पश्चिम की ओर रसोई का स्टोर रूम, फ्रिज और बर्तन आदि रखने की जगह बनाएं।
* रसोईघर के दक्षिण-पश्चिम भाग में गेहूं, आटा, चावल आदि अनाज रखें।
* रसोई के बीचोंबीच कभी भी गैस, चूल्हा आदि नहीं जलाएं और न ही रखें।
* कभी भी उत्तर दिशा की तरफ़ मुख करके खाना नहीं पकाना चाहिए। स़िर्फ थोड़े दिनों की बात है, ऐसा मान कर किसी भी हालत में उत्तर दिशा में चूल्हा रखकर खाना न पकाएं।
* भोजन कक्ष (डाइनिंग रूम) हमेशा पूर्व या पश्चिम में हो। भोजन कक्ष दक्षिण दिशा में बनाने से बचना चाहिए।
1- वास्तु विज्ञान के अनुसार रसोईघर आग्नेय कोण में होना शुभ फलदायी होता है। यदि ऐसा नहीं है तो इससे घर में रहने वाले लोगों की सेहत, खासतौर पर महिलाओं की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अन्न-धन की भी हानि होती है। इससे पाचन संबंधी अनेक बीमारियां हो सकती हैं।
2- जिस घर में रसोईघर दक्षिण-पूर्व यानी आग्नेय कोण में नहीं हो तब वास्तु दोष को दूर करने के लिए रसोई के उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में सिंदूरी गणेशजी की तस्वीर लगानी चाहिए। यदि आपका रसोईघर अग्निकोण में न होते हुए किसी ओर दिशा में बना है तो वहां पर यज्ञ करते हुए ऋषियों की चित्राकृति लगाएं।
3- चूल्हा आग्नेय में, प्लेटफॉर्म पूर्व व दक्षिण को घेरता हुआ होना चाहिए। वॉश बेसिन उत्तर में हो। भोजन बनाते समय मुख पूर्व की ओर हो, उत्तर व दक्षिण में कतई नहीं।
1- रसोईघर में पीने का पानी उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
2- रसोईघर में पानी और आग को कभी भी पास पास नहीं रखना चाहिए।
3- रसोईघर में गैस दक्षिण-पूर्व दिशा में रखनी चाहिए।
4- रसोईघर में भोजन करते समय आपका मुख उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।
5- डाइनिंग टेबल दक्षिण-पूर्व में होनी चाहिए। मकान में अलग डायनिंग हॉल की व्यवस्था की है तो वास्तु अनुसार किसी मकान में डायनिंग हॉल पश्चिम या पूर्व दिशा में होना चाहिए।
6- भवन के ईशान व आग्नेय कोण के मध्य पूर्व में स्टोर का निर्माण किया जाना चाहिए।
7- माइक्रोवेव, मिक्सर या अन्य धातु उपकरण दक्षिण-पूर्व में रखें। रेफ्रिजरेटर या फ्रीज उत्तर-पश्चिम में रख सकते हैं।
8- रसोईघर में यदि झाडू, पौंछा या सफाई का कोई सामान रखना है तो नैऋत्य कोण में रख सकते हैं।
9- डस्टबिन को रसोईघर से बाहर ही रखें।
1- रसोईघर खुला-खुला और चौकोर होना चाहिए।
2- इसके फर्श और दीवारों का रंग पीला, नारंगी या गेरूआं रखें।
3- नीले या आसमानी रंग के प्रयोग से बचना चाहिए।
4- रसोईघर आग्नेय कोण में होना चाहिए।
5- पूर्व में खिड़की और उजालदान होना चाहिए।
6- प्लेटफार्म का रंभ भी वास्तु के अनुसार होना चाहिए।
7- ईशान कोण में जल को रखने का स्थान बनाएं।
8- रसोईघर में पूजा का स्थान बनाना शुभ नहीं होता।
9- मॉड्यूलर किचन बनाएं तो किसी वास्तुशास्त्री से पूछकर बनाएं।
10- रसोईघर के पास बाथरूप या शौचालय कतई ना बनाएं।
11- रसोइघर में टूटे फूटे बर्तन, अटाला या झाडू ना रखें।
12- रसोईघर में एग्जॉस्ट फैन जरूर लगाएं।
13- रसोई में हरा, मेहरून या फिर सफेद रंग के पत्थरों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
14- सिंक और चूल्हा एक ही प्लेटफार्म पर न हो और खिड़की के नीचे चूल्हा न हो।
15- चूल्हा के उपर किसी तरह का शेल्फ नहीं होना चाहिए।
1- रसोईघर में में स्टील या लोहे के बर्तन के बजाय पीतल, तांबे, कांसे और चांदी के बर्तन होना चाहिए।
2- लोहे के बर्तन खाना पकाने के लिए सबसे सही पात्र माने जाते हैं। शोधकर्ताओं की माने तो लोहे के बर्तन में खाना बनाने से भोजन में आयरन जैसे जरूरी पोषक तत्व बढ़ जाते हैं।
3- पीतल के बर्तन में भोजन करना, तांबे के बर्तन में पानी पीना अत्यंत ही लाभकारी होता है। हालांकि बाल्टी और बटलोई पीतल की होना चाहिए। एक तांबे का घड़ा भी रखें।
4- इसके अलावा घर में पीतल और तांबे के प्रभाव से सकारात्मक और शांतिमय ऊर्जा का निर्माण होता है। ध्यान रहे कि तांबे के बर्तन में खाना वर्जित है।
5- किचन में प्लाटिक के बर्तन या डिब्बे तो बिल्कुल भी नहीं होना यह आपके किचनी ऊर्जा भी खराब करते हैं साथ ही इसका आपकी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव गिरता है।
6- किचन में जर्मन या एल्यूमीनियम में किसी भी प्रकार का खाना नहीं बनाना या पकाना चाहिए यह सेहत के लिए घातक होता है। इससे चर्मरोग और कैंसर जैसे रोग हो सकते हैं। हालांकि जर्मन में आप दही जमा सकते हैं।
7- हालांकि आजकल स्टेनलेस स्टील बर्तन में खाने का प्रचलन बढ़ गया है। यह भी साफसुधरे और फायदेमंद रहते हैं। स्टेनलेस स्टील एक मिश्रित धातु है, जो लोहे में कार्बन, क्रोमियम और निकल मिलाकर बनाई जाती है। इस धातु में न तो लोहे की तरह जंग लगता है और न ही पीतल की तरह यह अम्ल आदि से प्रतिक्रिया करती है।
1- रसोईघर में किचन स्टैंड के ऊपर सुंदर फलों और सब्जियों के चित्र लगाएं। अन्नपूर्णा माता का चित्र भी लगाएंगे तो घर में बरकत बनी रहेगी।
2- चींटियों-कॉकरोचों, चुहे या अन्य प्रकार के कीड़े मकोड़े किचन में घुम रहे हैं तो सावधान हो जाइये, यह आपकी सेहत और बरकतर को खा जाएंगे। किचन को साफ-सुथरा और सुंदर बनाकर रखें।
3- जब भी भोजन खाएं उससे पहले उसे अग्नि को अर्पित करें। अग्नि द्वारा पकाए गए अन्न पर सबसे पहला अधिकार अग्नि का ही होता है।
4- भोजन की थाली को हमेशा पाट, चटाई, चौक या टेबल पर सम्मान के साथ रखें। खाने की थाली को कभी भी एक हाथ से न पकड़ें। ऐसा करने से खाना प्रेत योनि में चला जाता है।
5- भोजन करने के बाद थाली में ही हाथ न धोएं। थाली में कभी जूठन न छोड़ें। भोजन करने के बाद थाली को कभी किचन स्टैंड, पलंग या टेबल के नीचे न रखें, ऊपर भी न रखें। रात्रि में भोजन के जूठे बर्तन घर में न रखें।
6- भोजन करने से पूर्व देवताओं का आह्वान जरूर करें। भोजन करते वक्त वार्तालाप या क्रोध न करें। परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर भोजन करें। भोजन करते वक्त अजीब-सी आवाजें न निकालें।
7- रात में चावल, दही और सत्तू का सेवन करने से लक्ष्मी का निरादर होता है अत: समृद्धि चाहने वालों को तथा जिन व्यक्तियों को आर्थिक कष्ट रहते हों, उन्हें इनका सेवन रात के भोजन में नहीं करना चाहिए।
8- भोजन सदैव पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए। संभव हो तो रसोईघर में ही बैठकर भोजन करें इससे राहु शांत होता है। जूते पहने हुए कभी भोजन नहीं करना चाहिए।
9- किचन के नल से पानी का टपकना आर्थिक क्षति का संकेत है। घर में किसी भी बर्तन से पानी रिस रहा हो तो उसे भी ठीक करवाएं।
10-सप्ताह में एक बार किचन में (गुरुवार को छोड़कर) समुद्री नमक से पोंछा लगाने से घर में शांति रहती है। घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होकर घर में झगड़े भी नहीं होते हैं तथा लक्ष्मी का वास स्थायी रहता है।
निम्नलितिख वस्तुओं में कुछ पूजन सामग्री है तो कुछ खाने योग्य वस्तुएं हैं जो सेहत को सही रखती है। इसके और भी फायदे हैं। हालांकि इन सभी वस्तुओं के महत्व और उपयोग को विस्तार से जानना चाहिए। यहां सिर्फ नाम भर लिखे जा रहे हैं।
पंचामृत, नीम की दातून, गोखरु का कांटा, यज्ञोपवीत, अक्षत, मौली, अष्टगंध, दीपक, मधु, रुई, कपूर, धूपबत्ती, नारियल, लाल चंदन, केशर, कुश का आसन, मोटे कपड़े की दरी, इत्र की शीशी, कुंकू, मेहंदी, गंगाजल, खड़ी, हाथ का पंखा, सत्तू, पंचामृत, चरणामृत, स्वस्तिक, ॐ, हल्दी, हनुमान तस्वीर, गुढ़, लच्छा, बताशे, गन्ना, खोपरा, स्वच्छ दर्पण, तांबे का लोटा, बाल हरण, बड़ी इलाइची, ईसबगोल, शहद, मीठा सोडा, कलमी सोडा, चिरायता, नाव (औषधी), नीम तेल, तिल्ली का तेल, एलोविरा, अश्वगंधा, आंवला, गिलोई, अखरोट, बादाम, काजू, किशमिश, चारोली, अंजीर, मक्का, खुबानी, पिस्ता, खारिक, मूंगफली, मुलहठी, बेल का रस, नीबू, अदरक, बादाम तेल, काजू का तेल, खसखस, चारोली का तेल, नीम का तेल, अरंडी का तेल, आदि।
उपरोक्त सभी औषधियों के चमत्कारिक लाभ को आप यदि जानेंगे तो निश्चित ही इन्हें रखने पर मजबूर हो जाएगी।
वास्तुशास्त्र के अनुसार रसोईघर (Kitchen) आग्नेय अर्थात दक्षिण-पूर्व दिशा (South-East) में ही होना चाहिए। इस दिशा का स्वामी अग्नि (आग) है तथा इस दिशा का स्वामी ग्रह शुक्र होता है। आग्नेय कोण में अग्नि का वास होने से रसोईघर तथा सभी अग्नि कार्य के लिए यह दिशा निर्धारित किया गया है। यदि आपका किचन इस स्थान पर तो सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) का प्रवाह घर के सभी सदस्यों को मिलता है।
वैसे तो इस दिशा का स्थान कोई अन्य दिशा नहीं ले सकता फिर भी यदि आप किसी कारण से आग्नेय कोण / दिशा में रसोई नही बना सकते तो विकल्प के रूप में आप वायव्य दिशा का चुनाव कर सकते है।
घर के ईशान कोण मे रसोईघर का होना शुभ नहीं है। रसोईघर की यह स्थिति घर के सदस्यों के लिए भी शुभ नहीं है। इस स्थान में रसोईघर होने से निम्नप्रकार कि समस्या आ सकती है यथा -
खाना बनाने में गृहिणी की रूचि नहीं होना, परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य खराब रहना, धन की हानि, वंश वृद्धि रूक जाना, कम लड़के का होना तथा मानसिक तनाव इत्यादि का सामना करना पड़ता है।
इस दिशा में रसोईघर बनाने से अपव्यय (बेवजह खर्च होना) एवं दुर्घटना होता है अतः भूलकर भी इस दिशा में रसोईघर नहीं बनवाना चाहिए।
उत्तर दिशा रसोई घर के लिए अशुभ है। इस स्थान का रसोईघर आर्थिक नुकसान देता है इसका मुख्य कारण है कि उत्तर दिशा धन के स्वामी कुबेर का स्थान है यहाँ रसोईघर होने से अग्नि धन को जलाने में समर्थ होती है इस कारण यहाँ रसोई घर नहीं बनवानी चाहिए।
विकल्प के रूप में वायव्य कोण में रसोईघर का चयन किया जा सकता है। परन्तु अग्नि भय का डर बना रह सकता है। अतः सतर्क रहने की जरूरत है।
पश्चिम दिशा में रसोईघर (Kitchen) होने से आए दिन अकारण घर में क्लेश (Quarrel) होती रहती है कई बार तो यह क्लेश तलाक (Divorce) का कारण भी बन जाता है। संतान पक्ष से भी परेशानी आती है।
इस दिशा में रसोईघर बहुत ही अशुभ फल देता है। नैऋत्य कोण में रसोईघर बनवाने से आर्थिक हानि तथा घर में छोटी-छोटी समस्या बढ़ जाती है। यही नहीं घर के कोई एक सदस्य या गृहिणी शारीरिक और मानसिक रोग (Mental disease) के शिकार भी हो सकते है। दिवा स्वप्न बढ़ जाता है और इसके कारण गृह क्लेश और दुर्घटना की सम्भावना भी बढ़ जाती है।
दक्षिण दिशा में रसोई घर बनाने से आर्थिक नुकसान हो सकता है। मन में हमेशा बेचैनी बनी रहेगी। कोई भी काम देर से होगा। मानसिक रूप से हमेशा परेशान रह सकते है।
दक्षिण- पूर्व / आग्नेय कोण में रसोई घर बनाना सबसे अच्छा मान गया है। इस स्थान में रसोई होने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है। घर के सदस्य स्वस्थ्य जीवन व्यतीत करते है।
पूर्व दिशा में किचन होना अच्छा नहीं है फिर भी विकल्प के रूप में इस दिशा में रसोई घर बनाया जा सकता है। इस दिशा में रसोई होने से पारिवारिक सदस्यों के मध्य स्वभाव में रूखापन आ जाता है। वही एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप भी बढ़ जाता है। वंश वृद्धि में भी समस्या आती है।
रसोईघर / किचन में अनेक प्रकार के सामान होते है जिसमे सबका अपना विशेष महत्त्व होता। रसोईघर में प्रयुक्त होने वाले सामान यदि उचित दिशा में नहीं रखा जाता है तो उसे वास्तु दोष माना जाता है। यह दोष होने पर जातक के घर परिवार में अनेक प्रकार की समस्या तो आती ही है साथ ही गृहिणी (House Wife) के स्वास्थ्य के ऊपर इसका असर ज्यादा पड़ता है। अतः यथा सम्भव यह प्रयास करना चाहिए कि सभी सामान वास्तु के अनुरूप निर्धारित दिशा में हो।
चूल्हा रखने के लिए पत्थर का स्लैब पूर्व तथा उत्तर की ओर बनानी चाहिए ताकि खाना बनाने के समय गृहिणी का मुख या तो उत्तर की ओर हो या पूर्व दिशा की ओर हो।
वास्तुशास्त्र के अनुसार चूल्हा आग्नेय कोण या पूर्व में रखना चाहिए। ईशान कोण में चूल्हा नहीं रखना चाहिए यहाँ रखने से संतान कष्ट तथा धन एवं मान सम्मान की हानि होती है।
उत्तर दिशा में चूल्हा रखने से धन की कमी महसूस होती है इसका मुख्य कारण है कि उत्तर दिशा में कुबेर का स्थान है और कुबेर धन का कारक है उस स्थान पर चूल्हा होने से चूल्हा रूपी अग्नि धन को जला देती है।
चूल्हे को कभी भी दीवार से सटा कर नहीं रखना चाहिए।
वाश बेसिन रसोई घर का एक महत्त्वपूर्ण उपकरण है। बर्तन धोने के लिए या हाथ धोने के लिए वाश बेसिन का होना बहुत ही जरुरी होता है। सिंक के लिए ईशान कोण (उत्तर पूर्व) दिशा सबसे शुभ होता है अतः इसी स्थान का चुनाव करना चाहिए।
रसोईघर में प्रयोग होने वाले खाद्य पदार्थ आटा, चावल दाल आदि पश्चिम अथवा दक्षिण दिशा में रखना चाहिए। इस दिशा में आलमारी भी बना सकते है।ऐसा करने से कभी खाने वाली वस्तुओं की कमी नहीं होती बल्कि बरकत होती है।
एग्जॉस्ट फैन को पूर्वी दीवार पर लगाना श्रेष्ठकर माना गया है।
रसोईघर में बिजली से चलने वाले उपकरण यथा फ्रीज, मिक्सी माईक्रोवेव, टोस्टर जूसर इत्यादि को उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। विकल्प के रूप में उत्तर दिशा का भी चुनाव कर सकते है।
रसोई घर में उत्तर या पूर्व दिशा की ओर खिड़की रखनी चाहिए।
रसोई घर का प्रवेश द्वार ईशान या फिर उत्तर दिशा की ओर होना शुभ माना जाता है।
वास्तु का ये पहला नियम है कि घर का रसोईघर आग्नेयकोण पर होना चाहिए। यदि आग्नेय कोण पर किचन नहीं है तो इसके नुकसान को भरना मुश्किल होता है, लेकिन एक बात और याद रखने की है कि यदि किचन आग्नेयकोण पर है भी तो किचन में वास्तु दोष लग सकता है। ऐसा तब होता है जब किचन में ऐसी चीजें रखी गई हों,जो नहीं रखनी चाहिए। ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि ये जान लिया जाए कि किचन में किन चीजों को रखने की वास्तु में मनाही है। यदि आपके किचन में भी ये चीजें है तो आप उन्हें तुरंत हटा लें।
1. दवाएं किचन में रखना बनाएगा बीमार
यदि आपकी आदत है कि आप अपनी दवाएं याद रखने के लिए किचन में ही रख देते हैं तो इस आदत को अभी बदल दें। ऐसा करना आपको बीमार बना सकता है। वास्तु में ये माना जाता है कि यदि आप किचन में दवाओं को रखते हैं तो बीमारी को बुलावा दे रहे होते हैं। किचन में किचन से जुड़ी चीजें ही रखनी चाहिए। वास्तु में दवाओं को नकारात्मकता फैलाने वाला माना जाता है।
2. किचन में मिरर का रहना
किचन में यदि आपने मिरर लगा रखा है तो आपकी परेशानियों को बढ़ने का ये कारण हो सकता है। दरअसल किचन आग्नेयकोण पर होता है और ये अग्नि का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में यदि मिरर में अग्नि का प्रतिबिंब आएगा तो वह अतिरिक्त ऊर्जा का कारण बनेगा और ये अतिरिक्त ऊर्जा नुकसानदायक होगी। इससे अग्निदेव भी नाराज होंगे।
3. किचन में कबाड़ न रखें
कई बार उन बर्तनों को भी अपने घरों में जमा करते रहते हैं जो बिना काम के हों या जिनमें क्रैक या हल्की टूट-फूट आ गई हो। ऐसे बर्तन किचन में रखना वास्तु के अनुसार नकारात्मकता का कारण होता है। इससे मां अन्नपूर्णा भी नाराज होती हैं।
4. किचन में बासी खाना न रखें
किचन में या किचन में फ्रीज हो तो उसमें बासी खाना रखने से बचें। ऐसा करना वास्तुदोष माना गया है। ऐसा करना राहु-केतू और शनि को नाराज करता है। इसलिए फ्रीज में ताजी सब्जियां-फल या दूध आदि को ही रखें। बासी खाना नहीं।
5. किचन में मंदिर न रखें
यदि आपके किचन में मंदिर है तो उसे तुरंत हटा दें, क्योंकि ऐसा करना वास्तु और धर्म दोनों के विपरीत माना जाता है। किचन में रखें मंदिर में शुद्धता का अभाव होता है। कई बार किचन में लोग डस्टबिन भी रखते हैं और मीट मछली आदि भी बनाते हैं। ऐसे में मंदिर की शुद्धता नाश होती है।
अगर रसोईघर को लेकर इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो वास्तु दोष से बचा जा सकता है।
1st Vastu Dosh & Vastu Remedy For Kitchen –
घर में मेन गेट के ठीक सामने किचन होना। मेन गेट के एकदम सामने का किचन घर के सदस्यों के लिए अशुभ रहता है। इस वास्तु दोष को दूर करने के लिए मेन गेट और किचन के बीच पर्दा लगा दे।
2nd Vastu Dosh & Vastu Remedy For Kitchen –
घर में किचन के अंदर मंदिर होना। इस वास्तु दोष के कारण वहां रहने वाले लोग गरम दिमाग के होते हैं। परिवार के किसी सदस्य को रक्त संबंधी शिकायत भी हो सकती है। इस वास्तु दोष को दूर करने के लिए मंदिर को किचन से हटा कर कही और स्थापित कर दें।
3rd Vastu Dosh & Vastu Remedy For Kitchen –
घर में किचन मेन गेट से जुड़ा होना। इस वास्तु दोष के कारण वहां पति-पत्नी के बीच बिना कारण आपस में मतभेद पैदा होने लगते हैं। इस वास्तु दोष को दूर करने के लिए किचन के दरवाज़े पर लाल रंग का क्रिस्टल लगा दें।
4th Vastu Dosh & Vastu Remedy For Kitchen –
घर में किचन व बाथरूम का एक सीध में होना। इस वास्तु दोष के कारण वहां रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। साथ ही जीवन अशांति रहती है। इस वास्तु दोष को दूर करने के लिए बाथरूम में कटोरीभर नमक रखें और उसे समय-समय पर बदलते रहे।
5th Vastu Dosh & Vastu Remedy For Kitchen –
घर में किचन के अंदर ही स्टोर होना। इस वास्तु दोष के कारण गृहस्वामी को अपनी नौकरी या व्यापार में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं। इस वास्तु दोष को दूर करने के लिए स्टोर रूम में चांदी का सिक्का रखें।
6th Vastu Dosh & Vastu Remedy For Kitchen –
किचन में अग्नि-पानी जैसी सुविधाएं वास्तु के अनुसार न होना। इस वास्तु दोष के कारण घर के सदस्यों के स्वास्थ्य और व्यापार पर बुरा असर पड़ता है। इस वास्तु दोष को दूर करने के लिए सबसे पहले भोजन का भोग भगवान को लगाएं।
7th Vastu Dosh & Vastu Remedy For Kitchen –
बिना स्नान किए किचन में प्रवेश करना। इससे किचन में नेगेटिव एनर्जी आती है और घर के सदस्यों में चिड़चिड़ापन और आलस्य बढ़ता हैं। इस वास्तु दोष से बचने के लिए बिना स्नान किए कभी किचन में न जाएं।
8th Vastu Dosh & Vastu Remedy For Kitchen –
किचन का पानी की टंकी या कुएं के साथ बना होना। इस वास्तु दोष के कारण भाइयों में मतभेद रहते हैं। घर के स्वामी को धन कमाने में बहुत परेशानियां आती हैं। इस वास्तु दोष से बचने के लिए टंकी या कुएं पर क्रिस्टल लटका दें।
ईशान कोण दिशा रसोई के लिए शुभ नहीं है। इस दिशा में रसोई नहीं होनी चाहिए। इस दिशा में रसोई बनाने से नीचे दी हुई मुसीबतें आती है:
इन सभी मुसीबतों से बचने के लिए रसोई इस दिशा में नहीं बनाएं। लेकिन अगर आपकी रसोई इस दिशा में है तो डरिये मत। नीचे दिए हुए कुछ तरीकों से आप अपनी मुसीबतें कम कर सकते है -
वास्तु के अनुसार यह सबसे जरूरी दिशा है। इस दिशा पर राहु ग्रह का राज है। राहु आपका स्वास्थय , किस्मत , स्थिरता और पैसों को नियंत्रित करता है। इसीलिए इस जगह पर दोष आपके लिए हानिकारक हो सकता है। इस दिशा में रसोई बनाने से भी इस दिशा का दोष होता है। अगर आपकी रसोई इस दिशा में है तो यह सही नहीं है। लेकिन नीचे दिए हुए कुछ तरीकों से आप इस दोष से बच सकते है -
घर में सर्वाधिक महत्वपूर्ण निर्माणों में से एक रसोई का निर्माण होता है | अक्सर लोग रसोई के महत्त्व को नजरंदाज करते हुए बड़े भूखंडो पर भी इसके लिए बहुत छोटी जगह रखते है | वास्तु शास्त्र के अनुसार छोटी रसोई, गलत स्थान पर बनी रसोई और बेतरतीब रसोई के काफी नकारात्मक परिणाम होते है | रसोई को भी घर में उतना ही महत्व दे जितना की आप अन्य स्थानों को देते है | इसलिए निर्माण के वक्त किसी अच्छे वास्तु विशेषज्ञ की सलाह जरुर ले | वास्तु विशेषज्ञ से एक बार ली सलाह आपको पूरी जिंदगी लाभ देगी |
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Engineer Rameshwar Prasad(B.Tech., M.Tech., P.G.D.C.A., P.G.D.M.) Vaastu International
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