A Multi Disciplinary Approach To Vaastu Energy

दक्षिण-पूर्व दिशा (South East Direction)

दक्षिण-पूर्व दिशा (Vastu for South East facing House)

आग्नेयमुखी घर के लिए वास्तु - South East Facing House Vastu -

वास्तु शास्त्र के अनुसार आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) पूर्व व दक्षिण दिशा के बीच में स्थित एक महत्वपूर्ण दिशा है। आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) के दिक्पाल अग्नि है। अग्नि शारीरिक गर्मी, ब्रह्माण्डीय तेज और ज्ञान के प्रकाश का द्योतक है। शुक्र ग्रह इस दिशा का स्वामी ग्रह है जो कि स्त्रियों, खाद्य वस्तुओं, व्यक्तिगत संबंधों और वैभव का प्रतिनिधि ग्रह है। अग्नि के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह जीवन के तीन सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं जन्म, विवाह व मृत्यु से सम्बंधित होती है।

किसी व्यक्ति के जन्म से अग्नि का एक विशेष सम्बन्ध होता है। ध्यान देने वाली बात है कि कुंडली में प्रथम भाव जन्म, नए कार्यों के प्रारंभ से सम्बंधित होता है। कालपुरुष की कुंडली में प्रथम भाव मेष राशि (Aries) का है और अग्नि मेष राशि का तत्व (Element) होता है। कह सकते है कि अग्नि तत्व व्यक्ति के जन्म से एक अप्रत्यक्ष परन्तु ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण सम्बन्ध रखता है। इसके बाद एक व्यक्ति के जीवन में विवाह संस्कार जन्म और मृत्यु के बीच में होने वाला सबसे महत्वपूर्ण संस्कार होता है। इस संस्कार को भी अग्नि तत्व की उपस्थिति में ही संपन्न किया जाता है। वही व्यक्ति के जीवन का अंत दाह संस्कार के साथ होता है और इसमें भी अग्नि तत्व की अहम भूमिका होती है। इन सबसे यह बात अत्यंत स्पष्ट होती है कि अग्नि तत्व व्यक्ति के जन्म से लेकर मरण तक विभिन्न रूपों में व्यक्ति को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।

आग्नेयमुखी भवन में आग्नेय कोण के लिए सर्वाधिक उपयुक्त गतिविधियाँ -

आग्नेय कोण जैसा की इसके नाम से ही प्रतिबिंबित होता है कि यह अग्नि सम्बन्धी कार्यों व किचन इत्यादि के लिए किसी भी भवन में सर्वोतम स्थान होता है। इस दिशा में हीटर, बॉयलर, विद्युत व इलेक्ट्रोनिक उपकरण इत्यादि रखे जा सकते है।

आग्नेय दिशा न ही बहुत अधिक गर्म होती है व न ही बहुत अधिक ठंडी होती है क्योंकि आग्नेय कोण ईशान (जल का स्त्रोत व सबसे ठंडी दिशा) व नैऋत्य (सबसे गर्म दिशा) के बीच में पड़ने वाली दिशा है। जहाँ आग्नेय ठन्डे क्षेत्र का अंतिम बिंदु है वही यह गर्म क्षेत्र का प्रारंभिक बिंदु भी है। साथ ही यहाँ पर पुरे दिन प्राकृतिक रोशनी बनी रहती है। ये सभी परिस्थितियां इसे घर में स्थित किचन के लिए एक आदर्श दिशा बनाती है।

आग्नेयमुखी भवन का सर्वाधिक प्रभाव -

आग्नेयमुखी भवन से मुख्यतः स्त्रियाँ व बच्चे (विशेषकर उस घर की द्वितीय संतान) प्रभावित होते है।

घर की दिशा का पता लगाना -

जिस सड़क से आप घर में प्रवेश करते है अगर वो घर के आग्नेय दिशा में स्थित हो तो आपका घर आग्नेयमुखी कहलाता है।

आग्नेयमुखी  घर में मुख्य द्वार का स्थान –

मुख्य द्वार की अवस्थिति का वास्तु शास्त्र में विशेष महत्व है। इस महत्व को देखते हुए वास्तु शास्त्र में एक भूखंड को 32 बराबर भागों या पदों में विभाजित किया जाता है। इन 32 भागों में से कुल 8 पद बेहद शुभ होते है जिन पर मुख्य द्वार का निर्माण उस घर के निवासियों को कई प्रकार के लाभ पहुंचाता है। 

यहाँ एक ध्यान देने वाली बात है कि किसी भी भवन में Diagonal दिशाओं (ईशान, आग्नेय, नैऋत्य, वायव्य) में मुख्य द्वार नहीं बनाना चाहिए। आग्नेयमुखी भवन में दक्षिण के चौथे पद या फिर पूर्व के 3, 4 पद में ही मुख्य द्वार बनाना चाहिए।

आग्नेयमुखी  घर के लिए शुभ वास्तु –

  1. आग्नेय दिशा (दक्षिण-पूर्व) ईशान (उत्तर-पूर्व) और वायव्य (उत्तर-पश्चिम) से भारी लेकिन नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) से हल्की होनी चाहिए।
  2. अग्नि तत्व की उपस्थिति के चलते आग्नेय कोण किचन के निर्माण के लिहाज से घर में सर्वश्रेष्ठ दिशा होती है। अग्नि कोण में स्थित किचन तेजस तत्व से भरी रहती है।
  3. जल की निकासी के लिए ढलान ईशान (उत्तर-पूर्व) की ओर रखे। अगर पानी की निकासी उत्तर, ईशान या पूर्व की ओर रखना संभव नहीं हो तो पहले पानी को बहाकर ईशान की ओर ले जाए और फिर पूर्वी दीवार के सहारे पानी को दक्षिणी आग्नेय से बाहर की ओर निकालने का प्रबंध कर दे।
  4. दक्षिण व पश्चिम दिशा की दीवारें पूर्व व पश्चिम दिशा की तुलना में अधिक ऊँची, भारी व ज्यादा चौड़ी होनी चाहिए।
  5. मास्टर बेडरूम के लिए नैऋत्य कोण, गेस्ट रूम के लिए वायव्य और बच्चो के बेडरूम के लिए पश्चिम दिशा सर्वोत्तम होती है।
  6. श्रेष्ट परिणामों की प्राप्ति के लिए अंडरग्राउंड वाटरटैंक उत्तर-पूर्व, उत्तरी उत्तर-पूर्व या पूर्वी उत्तर-पूर्व दिशा में निर्मित करना चाहिए।
  7. अगर उत्तर में कोई खाली भूखंड खरीदने के लिए उपलब्ध है तो उसे खरीद ले। इस खरीदे हुए भूखंड पर किसी प्रकार का निर्माण ना कराये बल्कि इसकी उत्तर दिशा में अवस्थिति को देखते हुए अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए इसे खाली रखे। हालाँकि इस भूखंड को खरीदने के बाद आपके घर की Compound Wall के नजरिये से दिशाएं अपने स्थान से खिसक जायेगी। ऐसे में भूखंड खरीदने से पहले किसी वास्तु विशेषज्ञ से सलाह जरुर ले।

आग्नेयमुखी  घर के लिए अशुभ वास्तु –

  1. आग्नेय दिशा अगर अन्य सभी दिशाओं की अपेक्षा ऊँची व भारी हो तो ऐसे में घर में चोरी और आगजनी का भय बना रहता है।
  2. यदि आग्नेय कोण पूर्व की ओर बढ़ा हुआ हो तो ऐसे में संतान हानि होती है और साथ-साथ घर में स्त्रियाँ पुरुषों पर हावी भी रहती है।
  3. दक्षिण की ओर से मार्ग प्रहार इस दिशा के नकारात्मक प्रभावों में और भी वृद्धि कर देता है। ऐसे में दक्षिण की ओर से मार्ग प्रहार वाले भूखंड नहीं खरीदे। अगर ऐसा करना संभव ना हो तो गृह-निर्माण के वक्त किसी वास्तु विशेषज्ञ की सलाह से ही घर बनाकर इसके नकारात्मक प्रभावों को न्यूनतम कर दे।
  4. घर में प्रयुक्त जल के बहाव की दिशा आग्नेय कोण की ओर नहीं होनी चाहिए। इस प्रकार की व्यवस्था वास्तु सम्मत नहीं होती है।
  5. आग्नेय दिशा में शादीशुदा लोगों का बेडरूम होना हानिकारक होता है। विवाह का कारक ग्रह शुक्र, मंगल के उत्तेजक प्रभाव से प्रभावित होकर घर में अशांति का माहौल उत्पन्न करता है। हालाँकि अगर जीवनसाथी की कुंडली में शुक्र उच्च का हो तो इस प्रकार के दुष्परिणाम देखने को नहीं मिलते है।
  6. उत्तर की तुलना में दक्षिण में और पूर्व की तुलना में पश्चिम में अधिक खाली स्थान का होना घर में वास्तु दोष निर्मित करता है।
  7. भूखंड में आग्नेय कोण का अग्रेत होना या बढ़ा होना या इस दिशा में किसी प्रकार का गड्ढा होना बेहद अशुभ होता है। क्योंकि इस प्रकार के भूखंड में आग्नेय दिशा में अग्नि तत्व आवश्यकता से अधिक बढ़ जाता है। परिणामतः घर के लोगों का पित्त बढ़ जाता है और वे उच्च रक्तचाप, पेट की गड़बड़ी, पेट में अल्सर और यहाँ तक की हृदय रोग के भी शिकार हो जाते है। इस प्रकार का बढ़ा हुआ आग्नेय कोण कानूनी विवाद, अग्निभय और दुर्घटनाओं का भी कारण बनता है।

वास्तु दोष निवारण के कुछ सरल उपाय -

जल-थल-नभ-अग्नि-पवन के पांचसूत्रों के मिलन से बने वास्तु शास्त्र में बिना तोड़-फोड़ के कुछ उपाय करने से वास्तु दोषों का निराकरण किया जा सकता है जानें कैसे निवारण करें-

  • अपनी रूचि के अनुसार सुगन्धित फूलों का गुलदस्ता सदैव अपने सिरहाने की ओर कोने में सजाएं।

  • बेडरूम में जूठे बर्तन न रखें इससे पत्नी का स्वास्थ्य प्रभावित होने के साथ ही धन का अभाव बना रहता हैं।

  • परिवार का कोई सदस्य मानसिक तनाव से ग्रस्त हो तो काले मृग की चर्म बिछाकर सोने से लाभ होगा।

  • घर में किसी को बुरे स्वप्न आते हो तो गंगाजल सिरहाने रखकर सोएं।

  • परिवार में कोई रोगग्रस्त हो तो चांदी के बर्तन में शुद्ध केसरयुक्त गंगाजल भरकर सिरहाने रखें।

  • यदि कोई व्यक्ति मानसिक तनाव से ग्रस्त हो तो कमरे में शुद्ध घी का दीपक जला कर रखें इसके साथ गुलाब की अगरबत्ती भी जलाएं।

  • शयन कक्ष में झाड़ू न रखें। तेल का कनस्तर, अंगीठी आदि न रखें। व्यर्थ चिंतित रहेंगे। यदि कष्ट हो रहा है तो तकिए के नीचे लाल चंदन रखकर सोएं।

  • यदि दुकान में चोरी होती है तो दुकान की चौखट के पास पूजा करने के बाद मंगल यंत्र स्थापित करें।

  • दुकान में यदि मन नहीं लगता तो श्वेत गणेशजी की मूर्ति विधिवत् पूजा करके मुख्य द्वार के आगे और पीछे स्थापित करें।

  • यदि दुकान का मुख्य द्वार अशुभ है या दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण दिशा में है तो यमकीलकयंत्र का पूजन करके स्थापित करें। यदि शासकीय कर्मचारी द्वारा परेशान है तो सूर्ययंत्र की विधि के अनुसार पूजा करके दुकान में स्थापित करें।

  • सीढ़ियों के नीचे बैठकर महत्वपूर्ण कार्य न करें। इससे प्रगति में बाधा आएगी।

  • दुकान, फैक्ट्री, कार्यालय आदि स्थानों में वर्ष में एक बार पूजा अवश्य करें।

  • गुप्त शत्रु परेशान कर रहे है तो लाल चांदी के सर्प बनाकर उनकी आंखों में सुरमा लगाकर पैर के नीचे रखकर सोना चाहिए।

  • जबसे आपने मकान लिया है तब से भाग्य साथ नहीं दे रहा है और लगता है पुराने मकान में सब कुछ ठीक-ठाक था या अब परेशानियां हैं तो घर में पीले रंग के पर्दे लगवाएं। सटे भवन में हल्दी के छींटे मारें और गुरू को पीले वस्त्र दान करें।

  • यदि संतान आज्ञाकारी नहीं है, संतान सुख और संतान का सहयोग प्राप्त हो इसके लिए सूर्य यंत्र या तांबा वहां पर रखें जहां भवन का प्रवेश द्वार हैं। यंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा कराकर ही रखें।

  • सीढ़ियों के नीचे बैठकर महत्वपूर्ण कार्य न करें। इससे प्रगति में बाधा आएगी।

  • दुकान, फैक्ट्री, कार्यालय आदि स्थानों में वर्ष में एक बार पूजा अवश्य करें।

यदि इन उपायों को आप करते है तो वास्तुदोष दूर होने के साथ ही आपके घर में किसी प्रकार के अन्य निर्माण का बिना तोड़-फोड़ किए सुख-समृद्धि एवं स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।

निष्कर्ष –

अग्नि तत्व में अपने संपर्क में आने वाली सभी चीजों, वस्तुओं को शुद्ध करने की क्षमता तो होती ही है, साथ ही इसमें इन चीज़ों को नष्ट करने की उर्जा भी व्याप्त होती है। ऐसे में इसके अशुभ परिणामों से बचने और शुभ नतीजों की प्राप्ति के लिए आग्नेयमुखी भवन का वास्तु सम्मत होना अति आवश्यक है। इसके लिए आप किसी वास्तु विशेषज्ञ की सलाह ले सकते है।

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Er. Rameshwar Prasad invites you to the Wonderful World of Vastu Shastra

Engineer Rameshwar Prasad

(B.Tech., M.Tech., P.G.D.C.A., P.G.D.M.)

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