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घर के भीतर रत्नों का संसार : GEMSTONES FOR HOME IN HINDI

Posted by Rameshwar Prasad in Vastu Blogs
vastu for home in hindi

किसी भी घर या परिसर में रत्नों का उपयोग करने से पहले आप अपने कमरे का विश्लेषण कर यह पता लगाएं कि कोई नकारात्मक ऊर्जा नुकसान तो नहीं पहुंचा रही है। यदि ऐसा हो, तो क्रिस्टल या अन्य रत्नों का उपयोग कर लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

संसार में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के रत्न अलग-अलग रासायनिक तत्वों से बनते हैं, अत: उनकी चमक भी अलग-अलग होती है और वह प्रकाश के आंतरिक परावर्तन पर निर्भर करती है, जिसका मानव शरीर पर अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव पड़ता ही है।

जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में लाभ प्राप्त करने के लिए ज्योतिष शास्त्र की सहायता से रत्नों का उपयोग प्राचीन काल से ही किया जाता रहा है। लेकिन अब वास्तु व फेंगशुई में भी इनका उपयोग होने लगा है।

वास्तु में रत्नों का उपयोग तीन तरीके से किया जाता है। पहला तात्विक संतुलन के लिए-इसके तहत घर या परिसर का विश्लेषण कर, जिस क्षेत्र में जिस तत्व की कमी हो, उससे संबंधित रत्नों का उपयोग कर लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

दूसरा तत्वों के रंगों के आधार पर-इसके लिए फेंगशुई के लोशु ग्रिड तथा बागुआ सिद्धंात की मदद से घर या परिसर के अलग-अलग क्षेत्रों के लिए आवश्यक रंगों की कमी या अधिकता का पता लगाते हैं और उन रंगों के रत्नों का उपयोग कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

तीसरा व्यक्तिगत आधार पर-इसमें अलग-अलग लोगों के लिए जरूरी तत्वों तथा रंगों की जानकारी भारतीय तथा चीनी ज्योतिष, लोशु ग्रिड, योग, रेकी आदि के द्वारा की जाती है तथा उन तत्वों व रंगों से संबंधित रत्नों का उपयोग कर लाभ लिया जाता है।

वास्तु में रत्नों का उपयोग करने से पहले अपने कमरे का विश्लेषण कर यह पता लगाएं कि कोई नकारात्मक ऊर्जा आपको नुकसान तो नहीं पहुंचा रही है। यदि ऐसा हो, तो क्रिस्टल या अन्य रत्नों का उपयोग किया जा सकता है। जैसे-आपके कमरे के टॉयलेट का कोना यदि आपके बिस्तर की तरफ निशाना बना रहा हो, तो उसे ढंकने के लिए क्रिस्टल का उपयोग करना चाहिए।

घर के मुख्य द्वार के पास सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए भी क्रिस्टल का उपयोग किया जाता है।

इसके अलावा ड्राइंग रूम के सेंडलर में, खिड़कियों पर, खुली बीम के नीचे तथा अपने निजी धन क्षेत्र को ऊर्जावान बनाने के लिए भी क्रिस्टल का उपयोग किया जा सकता है।

इसी प्रकार कैरियर में उन्नति के लिए घर के उत्तरी क्षेत्र में ओपल का, शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति के लिए उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में तुरमलीन का, परिवार में विस्तार के लिए पूर्वी क्षेत्र में अंबर या जेड का, धन की वृद्धि के लिए दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में जेड या अंबर का, प्रसिद्धि व सफलता के लिए दक्षिणी क्षेत्र में पेरीडॉट या ऑबसीडियन का, संबंधों में प्रगाढ़ता के लिए दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में तुरमलीन का, स्वास्थ्य लाभ के लिए केंद्र में तुरमलीन का, बच्चों की उन्नति के लिए पश्चिमी क्षेत्र में मेलाकाइट या एजुराइट का तथा अच्छे मित्रों में वृद्धि के लिए उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में मेलाकाइट या एजुराइट का उपयोग कर सकते हैं।

रत्नों का उपयोग रंगों के आधार पर भी किया जाता है। काले रंग के रत्नों में मैग्नेटाइट, तुरमलीन, क्वार्टज आदि, नीले रंग के रत्नों में लहसुनिया, लाजवर्त आदि, हरे रंग के रत्नों में जेड, एगेट, पन्ना, ओनेक्स, गारनेट, जास्पर आदि, बैंगनी रंग के रत्नों में जामुनिया, तुरमलीन, जरकन आदि, लाल रंग के रत्नों में गारनेट, मूंगा आदि, पीले रंग के रत्नों में पुखराज, टोपाज, जास्पर, अंबर, जरकन आदि, गुलाबी रंग के रत्नों में रोज क्वाटर््ज, तुरमलीन, एपेटाइट आदि, सफेद रंग के रत्नों में मोती, मूनस्टोन, ओनेक्स आदि तथा ग्रे (सलेटी) रंग के रत्नों में एगेट, हेमेटाइट, टाइगर स्टोन आदि शामिल है।

रत्नों की सहायता से विभिन्न प्रकार के रोगों का इलाज भी संभव है। जैसे-मुहासों के लिए रोज क्वाटर््ज, अस्थमा के लिए मेलाकाइट, आंख के लिए एक्वामेरीन, जेड व ओपल, सिरदर्द के लिए जामुनिया व एक्वामेरीन, दिल की बीमारी के लिए रूबी, ओनेक्स व सिट्रीन, अनिद्रा के लिए जामुनिया तथा पेट से संबंधित बीमारियों के लिए पेरीडॉट का उपयोग किया जाता है।

ज्योतिष में सूर्य के लिए रूबी, बृहस्पति के लिए पुखराज, शुक्र के लिए ओपल व डायमंड, चंद्रमा के लिए मोती व मूनस्टोन, मंगल के लिए मूंगा, बुध के लिए हरा ओनेक्स व पन्ना, शनि के लिए जामुनिया व नीलम, राहु के लिए गोमेद तथा केतु के लिए लहसुनिया का उपयोग करना चाहिए।

शरीर के सात चक्रों को संतुलित करने के लिए भी रत्नों का उपयोग किया जाता है। मूलाधार के लिए रूबी, ब्लड स्टोन, टाइगर स्टोन व हेमेटाइट का, स्वाधिष्ठïान के लिए सिट्रीन, मूंगा, कारनेलियन व गोलडेन टोपाज का, मणिपुर के लिए पुखराज व एवेंचुरिन का, अनाहत के लिए पन्ना, रोज क्वाटर््ज व तुरमलीन का, विशुद्धि के लिए एक्वामेरीन, नीलम व लाजवर्त का, आज्ञा के लिए जामुनिया, एजुराइट व लहसुनिया का तथा सहस्रार के लिए हीरा, गोमेद व जामुनिया का उपयोग किया जा सकता है।