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बच्चों की पढ़ाई का रास्ता इधर से है : VASTU FOR STUDY ROOM IN HINDI

Posted by Rameshwar Prasad in Vastu Blogs
vastu for Study in hindi

अध्ययन के वक्त बच्चे में यदि एकाग्रता की कमी हो, तो उसके बैठने की जगह किसी ठोस दीवार के निकट रखें और दीवार पर ऐसे पहाड़ की तस्वीर लगाएं, जिसमें न तो पानी के स्रोत हों और न उसकी चोटियां नुकीली हों। उनके स्टडी टेबल पर 'ओनेक्स बॉल', 'क्रिस्टल ग्लोब', 'एजुकेशन टावर' आदि रखकर भी लाभ लिया जा सकता है।

शिक्षा भारत के भावी पीढ़ी की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बेहतर जिंदगी की लालसा की वजह से आज हर अभिभावक की यह इच्छा होती है कि उसके बच्चों की पढ़ाई का स्तर अच्छे से अच्छा हो।

अत: उन्हें बच्चों की पढ़ाई के लिए काफी समय निकालना पड़ता है और पैसे भी खर्च करने पड़ते हैं। फिर भी उनके मन में यह सवाल उठता है कि वे अपने बच्चों की रुचि पढ़ाई में ज्यादा से ज्यादा कैसे पैदा करें। इसके लिए वे हरसंभव प्रयास भी करते हैं।

इस मामले में वास्तु एवं फेंगशुई की मदद से बच्चों को नैसर्गिक ऊर्जा का लाभ दिया जा सकता है। इससे वे एकाग्रचित्त होकर पढ़ाई कर सकेंगे तथा उनके ज्ञान का स्तर भी बढ़ेगा और वे अपनी मस्तिष्क का समुचित विकास भी कर सकेंगे।

वास्तु शास्त्र में शिक्षा के लिए पूर्व तथा उत्तर दिशाएं काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि पूर्व दिशा से सूर्योदय होता है तथा उत्तर दिशा से लाभकारी चुंबकीय तरंगों का आगमन होता है। अत: विद्यार्थियों को सलाह दी जाती है कि वे पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व की ओर मुख करके ही अध्ययन करें।

इसके साथ ही बच्चों के पढऩे का कमरा घर के पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व में ही हो। इस कमरे में कोई खंभा नहीं हो, क्योंकि पढ़ाई के कमरे में खंभे को अशुभ माना जाता है।

बच्चों की पुस्तकें कमरे के दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिमी भाग में रखें और ऐसी व्यवस्था करें कि किताबें रखने की आलमारी के शेल्फ खुले न हों, क्योंकि कोई नुकीली चीज जो बच्चों के शरीर को निशाना बना रही हो, वह उनकी एकाग्रता में कमी ला सकती है।

स्टडी टेबल के सामने दर्पण का प्रयोग करने से बचना चाहिए और इसे दीवार से सटाकर नहीं रखना चाहिए। हालांकि इस दीवार पर यदि कोई खिड़की हो, तो इसे शुभ माना जाता है, बशर्ते यह टेबल के ठीक सामने न हो, क्योंकि इससे उनकी एकाग्रता में कमी आती है।

टेबल पर उतना ही सामान रखें, जिसकी जरूरत हो। सभी चीजें एक साथ टेबल पर रखने से बच्चे के मन और दिमाग पर अनावश्यक बोझ बढ़ता है। टेबल के दराजों में अनावश्यक वस्तुएं नहीं रखनी चाहिए और इसे समय-समय पर साफ करते रहना चाहिए।

विद्यार्थियों के स्टडी टेबल की कुर्सी स्थिर हो, तो अच्छा रहता है।

अध्ययन कक्ष में प्रकाश की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। बेहतर होगा कि कमरे में प्रकाश के साथ ही साथ धूप भी आए।

कमरे में यदि प्राकृतिक रोशनी का अभाव हो, तो कृत्रिम प्रकाश की व्यवस्था इस प्रकार करनी चाहिए कि पढ़ते वक्त बच्चे की छाया टेबल पर न पड़े। इसके लिए स्टडी लैंप की व्यवस्था की जा सकती है। अपने बच्चे के लिए यदि आप ऐसा कर रहे हों, तो यह सुनिश्चित करें कि टेबल पर लैंप बाईं ओर ही हो, ताकि लिखते वक्त बच्चे की हाथ की छाया पुस्तकों पर न पड़े।

लैंप का प्रकाश अधिक चमकीला नहीं हो, अन्यथा बच्चे की आंखें जल्द थक सकती हैं।

इसके साथ ही जहां तक संभव हो, बच्चों के कमरे में आसमानी या नीले रंग का ही प्रयोग करना चाहिए। हालांकि किशोरावस्था के बच्चों के कमरे में बैंगनी रंग का अधिकाधिक प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।

बच्चों के कमरे में पूर्वी दीवार पर सूर्योदय का, ऊं का या सरस्वती का चित्र लगाया जा सकता है।

इसी तरह पश्चिमी दीवार के निकट म्यूजिक सिस्टम रखा जा सकता है, जिसमें प्रात:काल धार्मिक मंत्रों जैसे-गायत्री मंत्र आदि को बजाया जा सकता है। ऐसी मान्यता है कि इससे छात्रों में रचनात्मक क्षमता का विकास होता है।

बच्चों के बिस्तर को दक्षिणी दीवार के सहारे रखें ताकि सोते वक्त उनका सिर दक्षिण की ओर और पैर उत्तर की ओर हो।

उनके पीने का पानी उत्तर-पूर्व में रखें और इस दिशा में यदि कोई खिड़की हो, तो उस पर 'क्रिस्टल बॉल' टांगें।

यदि इस कोने में खिड़की न हो, तो यहां हरे पत्थर के बने पिरामिडों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

आपका बच्चा यदि रात को डरता हो, तो कमरे की खिड़कियों पर बाहर की ओर प्रकाश की व्यवस्था करनी चाहिए।

बच्चे में यदि एकाग्रता की कमी हो, तो उनके बैठने की जगह किसी ठोस दीवार के निकट रखनी चाहिए एवं उनके ऊपर ऐसे पहाड़ की तस्वीर लगानी चाहिए, जिसमें पानी के स्रोत न हों तथा उसकी चोटियां नुकीली न हों।

बच्चों की एकाग्रता बढ़ाने के लिए 'ओनेक्स बॉल' का इस्तेमाल करना चाहिए।

इसके साथ ही स्टडी टेबल के उत्तर-पूर्वी कोने में 'क्रिस्टल ग्लोब' को रखा जा सकता है।

स्टडी टेबल पर 'एजुकेशन टावर' रखने से भी लाभ मिलता है।

बच्चों के कमरे में कोई हथियार, घूमने वाले खिलौने आदि न हों, तो बेहतर रहता है।