वास्तु एवं फेंगशुई से निखरे सूरत : VASTU FOR BEAUTY IN HINDI
वास्तु एवं फेंगशुई का पंचतत्व सिद्धांत हमारे शरीर तथा चेहरे से अंतरंग रूप से जुड़ा हुआ है। आपके शरीर में यदि पंचतत्वों में से किसी एक की कमी हो जाए, तो आप अनेक प्रकार के मानसिक व शारीरिक रोगों के शिकार हो सकते हैं। चेहरे का रंग तथा विभिन्न हिस्सों को देखकर इनका पता लगाया जा सकता है।
भाग-दौड़ भरी आज की जिंदगी में कमोबेश हर किसी की दिली तमन्ना होती है कि उसके चेहरे में कम से कम इतना आकर्षण तो जरूर हो कि वह अपने सामने पडऩे वाले लोगों का ध्यान बरबस ही अपनी ओर खींच ले।
वैसे भी स्वस्थ शरीर एवं प्रसन्न मुद्रा मनुष्य की नैसर्गिक अवस्था है और यही उसके आकर्षण का मूल भी है।
इस अवस्था को पाने के लिए लोग तरह-तरह का उपाय करते हैं। इसके लिए वास्तु व फेंगशुई की मदद ली जा सकती है तथा इनका उपयोग कर चेहरे को आकर्षक बनाया जा सकता है।
वास्तु एवं फेंगशुई का पंचतत्व सिद्धांत हमारे शरीर तथा चेहरे से अंतरंग रूप से जुड़ा हुआ है।
पंचतत्व सिद्धांत का उपयोग कर जिस प्रकार हम अपने आवास को प्रकृति के अनुरूप ढालकर लाभ प्राप्त करते हैं, उसी प्रकार हम अपने शरीर व चेहरे के लिए भी इसका उपयोग कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
हमारे शरीर की विभिन्न क्रियाएं, भाव-भंगिमाएं, आचरण आदि गहरे रूप से इस सिद्धांत से जुड़ी हुई हैं। अगर शरीर में इन तत्वों में से किसी एक का असंतुलन हो जाता है, तो अनेक प्रकार के मानसिक व शारीरिक रोगों की संभावना बढ़ जाती है।
शरीर में भूमि तत्व का असंतुलन होने से जोड़ों का दर्द तथा गठिया जैसी बीमारियां होने की संभावना बनी रहती है।
इसी प्रकार जल तत्व का असंतुलन होने से एलर्जी, अनिद्रा, थकान आदि, अग्नि तत्व का असंतुलन होने से दिल की बीमारी, पाचन संबंधी रोग, प्रजनन संबंधी गड़बडिय़ां आदि, धातु तत्व का असंतुलन होने से अस्थमा, आंत की गड़बडिय़ां आदि और लकड़ी तत्व का असंतुलन होने से लीवर संबंधी रोग हो सकते हैं।
आपके चेहरे के रंग तथा विभिन्न हिस्सों को देखकर इन रोगों का पता लगाया जा सकता है।
किसी व्यक्ति के चेहरे का रंग यदि पीलापन लिए हुए हो, शरीर मोटा तथा तोंद निकली हुई हो, चेहरा लंबा या गोल हो और आवाज हल्की, मगर गहरी हो, तो ऐसा व्यक्ति भूमि तत्व प्रधान होता है। किसी भी व्यक्ति में नाक के बीच का भाग शरीर में इस तत्व की स्थिति को दर्शाता है।
इसी प्रकार सफेद या हल्के पीले चेहरे, छोटे कंधों, गोल चेहरा तथा मिठास भरी (सौम्य) आवाज वाले व्यक्ति जल तत्व प्रधान होते हैं। किसी भी व्यक्ति में आंखों के नीचे का हिस्सा शरीर में जल तत्व की स्थिति को दर्शाता है।
लाल तथा नुकीले चेहरे, पतले शरीर तथा भारी आवाज वाले अग्रि तत्व प्रधान होते हैं। किसी भी व्यक्ति में नाक का अग्र भाग शरीर में अग्रि तत्व की स्थिति को दर्शाता है।
सफेद तथा चिकने चेहरे, मांसल या गठीले शरीर तथा ऊंची आवाज में बोलने वाले लोग धातु तत्व प्रधान होते हैं। किसी भी व्यक्ति में आंखों के नीचे का गाल का हिस्सा शरीर में धातु तत्व की स्थिति को दर्शाता है।
इसी प्रकार गेहुएं अथवा भूरे रंग, लंबे चेहरे, लंबे व दुबले शरीर एवं लच्छेदार बात करने वाले लोग लकड़ी तत्व प्रधान होते हैं। किसी भी व्यक्ति में भौहों के बीच का हिस्सा शरीर में लकड़ी तत्व की स्थिति बताता है।
मानव शरीर में यदि इनमें से किसी भी एक तत्व या तत्वों की कमी हो जाए, तो उसे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
ऐसे में बेहतर होता है कि वह अपनी दिनचर्या में सुधार करे। इसके लिए ब्रह्मï मुहूर्त में जागना, शाकाहारी भोजन करना, आरामदायक तथा शरीर के अनुकूल वस्त्र एवं कुछ व्यायामों की मदद ली जा सकती है।
इसके अलावा खाना खाते वक्त कुछ न बोलना, खाने को इस तरह चबाना कि वह पूरे मुंह में समान रूप से फैले, अपने निचले तथा ऊपरी जबड़ों को बिना होंठ खोले अच्छी तरह दबाना आदि करके भी हम धातु तत्व की भरपाई कर सकते हैं। इस प्रकार आप अस्थमा व पेट की कई बीमारियों से बच सकते हैं।
इसी प्रकार आप अपनी सुविधानुसार एक ऐसे क्रीम का चुनाव कर सकते हैं, जो आपके चेहरे के लिए उपयुक्त हो। इस क्रीम को अपने चेहरे के उन पांच हिस्सों में, जिसकी चर्चा इस लेख में की जा चुकी है, मालिश करें।
इससे भी आपके शरीर में पंचतत्व का संतुलन स्थापित हो सकता है और आप आकर्षक चेहरे के मालिक बन सकते हैं।