व्यवसाय के अनुरूप हो वेबसाइट का रंग : WEB DESIGN AS PER VASTU
रीयल इस्टेट, भवन निर्माण आदि के लिए पीले, भूरे तथा लाल। बैकिंग, बीमा, पर्यटन आदि के लिए काले व नीले। मीडिया, फर्नीचर, डेयरी, आरा मशीन आदि के लिए हरे, नीले व काले। ऑटोमोबाइल्स, इलेकट्रॉनिकस आदि के लिए सुनहले व पीले एवं रेस्टोरेंट व होटल आदि से जुड़े वेबसाइटों के लिए लाल व हरे रंगों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
सूचना एवं संचार क्रांति ने आम आदमी के जीवन में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन ला दिया है। इंटरनेट तकनीक की मदद से आज आप घर बैठे ही अपने कम्प्यूटर के माध्यम से किसी भी चीज के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह तकनीक इतनी तेज है कि कुछ सेकेंडों में ही मनोवांछित विषय से संबंधित वेबसाइटों की सूची आपके कम्प्यूटर पर होती है।
अत: सूचना क्रांति के इस दौर में हरेक सफल व्यवसायी, उद्योगपति आदि के लिए जरूरी हो गया है कि वह अपने व्यवसाय या उद्योग के क्रियाकलापों की जानकारी नेट पर प्रस्तुत करे। सच पूछें तो वेबसाइट के माध्यम से आप भी अपने व्यवसाय को आसानी से विश्वव्यापी बना सकते हैं। कई बार ऐसा देखने या सुनने में आता है कि काफी खर्च करके बनाई गई वेबसाइटें भी सफल नहीं हो पातीं और समय से पहले ही दम तोड़ देती हैं। ऐसा होने का एक प्रमुख कारण वेबसाइट के निर्माण में वास्तु के नियमों की अनदेखी को माना जा सकता है और इसका उपाय भी वास्तु व फेंगशुई की मदद से ही किया जा सकता है।
दरअसल वेबसाइट का पहला पन्ना Óफ्रंट पेजÓ कहलाता है, जिसकी तुलना भवन के मुख्य द्वार या साइन बोर्ड से की जाती है। यह यदि किसी व्यक्ति को आकर्षित करता है, तभी वह आपके वेबसाइट के आगे के पन्नों को देखता है। ऐसा नहीं होने पर वह अन्य पन्नों की ओर उन्मुख हो जाता है। नेट आज भी एक खर्चीला माध्यम माना जाता है, अत: आपके वेबसाइट के फ्रंट पेज में इतना दम तो होना ही चाहिए कि कोई व्यक्ति जैसे ही उसे देखे, तो अंदर के पन्नों को भी पढ़े बिना न रह सके और इसी पर आपकी व्यावसायिक सफलता निर्भर करती है। वास्तु व फेंगशुई की मदद से आप अपनी वेबसाइट व उसके फ्रंट पेज को आकर्षक तथा लाभदायक बना सकते हैं।
सभी वस्तुओं का निर्माण पंचमहाभूत से हुआ है। वास्तु एवं फेंगशुई में भी पंच तत्वों को काफी महत्व दिया गया है। इन पंच तत्वों की तुलना यदि एक वेबसाइट से की जाए, तो इसमें भूमि तत्व का संबंध वेबसाइट के Óले-आउटÓ से है। इस प्रकार आपके फ्रंट पेज का आकार यदि आयताकार हो, तो सर्वोतम है। इस मामले में एक बात और ध्यान रखना चाहिए कि इसकी लंबाई, चौड़ाई के दूने से ज्यादा नहीं हो।
जल तत्व का संबंध वेबसाइट की विषयवस्तु होता है। अत: यह ध्यान रखें कि वेबसाइट की विषयवस्तु (पाठ्य सामग्री) प्रवाह में हो और उसका क्रम टूटता हुआ न हो। इसी प्रकार वायु तत्व का संबंध वेब डिजायन में प्रयुक्त होने वाली तकनीकों जैसे-ÓएचटीएमएलÓ या ÓएएसपीÓ आदि से है।
अग्रि तत्व का संबंध विषयवस्तु (पाठ्य सामग्री) के रंगों से है तथा आकाश तत्व का संबंध ÓयूआरएलÓ या Óडोमेन नेमÓ से है।
वास्तु एवं फेंगशुई में पंच तत्वों के उचित सामंजस्य पर हमेशा बल दिया जाता रहा है। वास्तुशास्त्र के अनुसार जिस तरह किसी भूखंड के उतर-पूर्व को हल्का तथा ऊर्जावान रखकर लाभ प्राप्त किया जा सकता है, उसी प्रकार यदि आप अपनी वेबसाइट के उतर-पूर्वी कोने पर हल्की-फुल्की सामग्री डालें तथा इसे ऊर्जावान करने के लिए छोटे एनीमेशंस का उपयोग करें, तो काफी लाभ मिल सकता है।
यहां यह बताना जरूरी है कि किसी वेबसाइट के फ्रंट पेज का ऊपरी हिस्सा उतर, निचला दक्षिण, दाईं ओर पूरब तथा बाईं ओर पश्चिम माना जाता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार भवन के दक्षिण-पश्चिम कोने को भारी रखा जाता है। अत: वेबसाइट के फ्रंट पेज के दक्षिण-पश्चिम कोने को भी भारी रखना चाहिए। इसके लिए बड़े व स्थिर चित्रों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा चटक रंगों का प्रयोग करने के लिए दक्षिण-पूर्वी कोने को और कंपनी का ÓलोगोÓ लगाने के लिए उतर-पश्चिमी कोने को उपयुक्त माना जाता है।
ÓलोगोÓ की आकृति व उसका रंग आपके व्यवसाय पर निर्भर करता है। उत्तरी हिस्से में विज्ञापनों के एनीमेशन डाले जा सकते हैं और दक्षिणी हिस्से में कंपनी का नाम और पता डाला जा सकता है।
कंपनी का नाम लिखते वक्त यह ध्यान रखें कि प्रयुक्त ÓफॉंटÓ यथासंभव सीधे हों। कंपनी के नाम के लिए टेढ़े ÓफॉंटोंÓ का प्रयोग करने से बचना चाहिए।
वेबसाइट के पश्चिमी हिस्से में विभिन्न पेजों के लिंक और पूर्वी हिस्से में छोटे-छोटे विज्ञापनों की कतारें लगाई जा सकती हैं।
वेबसाइट के केंद्रीय भाग में हल्की पाठ्य वस्तु या छोटे-छोटे आकर्षक एनीमेशन का प्रयोग करें। वेबसाइट बनाते वक्त फेंगशुई के नियमों को ध्यान में रखकर भी काफी लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
वेबसाइट का निर्माण करते वक्त यह ध्यान अवश्य रखें कि कोई नुकीली डिजायन या एनीमेशन आपकी कंपनी के नाम या पाठक की तरफ निशाना नहीं बनाए।
हालांकि अलग-अलग व्यवसायों के लिए वेबसाइट बनाते वक्त कंपनी के ÓलोगोÓ के आकार तथा विषयवस्तु के रंगों का चुनाव वास्तुशास्त्र के नियमों को ध्यान में रखकर ही किया जाना चाहिए।
भवन निर्माण, रीयल इस्टेट तथा आर्किटेकचर से संबंधित वेबसाइटों के लिए पीले, भूरे तथा लाल रंगों का प्रयोग लाभदायक रहता है। इनके ÓलोगोÓ का आकार वर्गाकार या त्रिभुजाकार होना चाहिए।
बैकिंग, बीमा, ट्रेडिंग, शिपिंग, पर्यटन आदि से संबंधित वेबसाइटों पर काले तथा नीले रंगों का प्रयोग लाभदायक माना जाता है। इनके ÓलोगोÓ का आकार तरंगाकार या गोल होना चाहिए।
इसी प्रकार रेस्टोरेंट, होटल तथा अग्रि से संबंधित व्यवसायों के लिए लाल, पर्पल तथा हरे रंगों का प्रयोग किया जाना चाहिए। इनके ÓलोगोÓ का आकार त्रिभुजाकार या आयताकार होना चाहिए।
ऑटोमोबाइल्स, इलेकट्रॉनिकस, छापाखाना (प्रेस), मशीन, जवैलरी, खदान आदि से संबंधित व्यवसायों के लिए सुनहरे तथा पीले रंगों का प्रयोग लाभदायक रहता है। इनके ÓलोगोÓ का आकार गोल या वर्गाकार रखना चाहिए।
प्रिटिंग, मीडिया, फर्नीचर, बागवानी, डेयरी, आरा मशीन आदि से जुड़े वेबसाइटों के लिए हरे, नीले तथा काले रंगों का प्रयोग किया जाना चाहिए। इनके ÓलोगोÓ का आकार आयताकार या तरंगाकार रखना चाहिए।
वेबसाइट के शुरू में हल्के तथा आकर्षक विषयवस्तु का प्रयोग करना चाहिए तथा नीचले हिस्से में गंभीर विषयवस्तु डालना चाहिए। जहां तक संभव हो वेबसाइट के पन्ने पर यिन तथा यांग ऊर्जा का संतुलन बनाकर रखना चाहिए।