दाम्पत्य का वास्तु से गहरा नाता : VASTU FOR HAPPY MARRIED LIFE
वास्तु शास्त्र के अनुसार विवाह योग्य कन्याओं को घर के वायव्य कोण में स्थित कमरे में सोना चाहिए तथा कमरे में लाल और पीले रंग की तैरने वाली मोमबत्तियों को पानी से भरे कटोरे में रखना चाहिए। यदि प्रतिदिन ऐसा करना संभव न हो, तो पूर्णिमा के दिन तो अवश्य करना चाहिए।
हर युवा मन सपने संजोए रहता है कि उसका जीवनसाथी ऐसा हो, वैसा हो..। उसके मन में अपनी पसंद के अनुसार एक हल्की सी परिकल्पना भी होती है। जिस किसी भी विपरीत लिंगीय व्यक्ति में उस परिकल्पना की थोड़ी सी झलक मिलती है, वह उसके प्रति आकर्षण महसूस करता है। ऐसे लोगों के मन में कई सवाल भी होते हैं जैसे-उसका जीवनसाथी कैसा होगा या होगी? या उसे कैसे जीवनसाथी का चुनाव करना चाहिए? आदि। इन सवालों का जवाब वास्तु व फेंगशुई की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर-पूर्व का स्थान विवाह का कारक होता है। अत: जिस घर में विवाह योग्य लड़के-लड़कियां हों, वहां उत्तर-पूर्व को साफ-सुथरा तथा हल्का होना चाहिए। उस क्षेत्र में कोई भारी निर्माण और शौचालय आदि न हो। उत्तर-पूर्व में पूजा घर, ट्यूबवेल आदि का होना अच्छा माना जाता है। फ्लैटों में इस क्षेत्र में फाउंटेन या पत्थर के पिरामिडों का उपयोग कर इसे ऊर्जावान बनाया जा सकता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार विवाह तथा वैवाहिक संबंधों के लिए उत्तरदायी क्षेत्र आग्रेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) है। इस क्षेत्र को सुंदर फूलों के गमलों से सजाना चाहिए। इस भाग में यदि लॉन हो, तो उसमें रंग-बिरंगे फूलों वाले पौधे लगाना चाहिए। फ्लैटों में रहने वाले लोग घर के दक्षिण-पूर्वी दीवार पर रंग-बिरंगे फूलों की तस्वीर लगाकर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
ऐसे लोग जिन पर मांगलिक प्रभाव हो, उनके लिए घर का दक्षिणी क्षेत्र महत्वपूर्ण होता है तथा उनके वैवाहिक जीवन पर इस क्षेत्र के निर्माण का सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अत: ऐसे लोगों को किसी विशेषज्ञ से सलाह लेकर इस क्षेत्र को संतुलित करना चाहिए।
फेंगशुई के अनुसार दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र पति-पत्नी के आपसी संबंधों के लिए उत्तरदायी माना जाता है। यह क्षेत्र भूमि तत्व का होता है तथा इसका रंग पीला व भूरा होता है। फेंगशुई में इस क्षेत्र में कोई भी सजावटी सामान जोड़े में रखने की सलाह दी जाती है। इनमें डबल हैपीनेस सिंबॉल, मेंडेरियन डक्स, डबल फिश, रोज क्वाटज या पत्थर से बनी जुड़वा वस्तुएं, मेस्टिक नॉट आदि शामिल हैं। विवाहित जोड़े को इस क्षेत्र में लकड़ी से बनी वस्तुओं का प्रयोग करने से बचना चाहिए। इसे संतुलित करने के लिए शीशे, क्रिस्टल या पत्थर से बनी वस्तुओं के जोड़ों का उपयोग किया जा सकता है।
विवाहित जोड़ों को दो की जगह एक ही गद्दे का उपयोग करना चाहिए। साथ ही यह प्रयास भी करना चाहिए कि बिस्तर के सामने शौचालय का दरवाजा न खुले। कमरे के दरवाजे के ठीक सामने बिस्तर रखने से बचना चाहिए और बिस्तर के ठीक ऊपर बीम आदि भी नहीं होना चाहिए।
फेंगशुई में बिस्तर के सामने दर्पण रखने से बचने की सलाह दी गई है। ऐसा नहीं करने पर आपसी संबंधों में तनाव पैदा हो सकता है। अच्छा होगा कि बेडरूम में ही दर्पण का प्रयोग न हो। बेडरूम में यदि आप टीवी, कम्प्यूटर आदि का प्रयोग करते हैं, तो सोते वक्त उन्हें ढंक दें क्योंकि रात में वे भी दर्पण की तरह काम करने लगते हैं।
बेडरूम में अधिक मात्रा में ताजे फूलों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। बेडरूम के परदों पर भी फूलों की जगह छोटे फूलों के चित्र बेहतर माने जाते हैं।
बेडरूम में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि फर्नीचर, आलमारी या सजावटी वस्तुओं के कोने सोते वक्त आपकी तरफ निशाना तो नहीं बना रहे।
बेडरूम में जल से संबंधित तस्वीरों या वस्तुओं का प्रयोग करने से बचना चाहिए।
बेड का सिरहाना और शौचालय का पॉट भी एक ही दीवार पर नहीं होना चाहिए।
फेंगशुई में अविवाहित लड़कियों को अपने कमरे में चंद्रमा की तस्वीर लगाने की सलाह दी जाती है।
ऐसी मान्यता है कि संतरे के छिलके पानी में बहाने से अविवाहित लड़कियों को अच्छे पति मिलते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार विवाह योग्य लड़कियों को वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम दिशा) में स्थित कमरे में सोना चाहिए।
इसके अलावा घर में लाल और पीले रंग की तैरने वाली मोमबत्तियों को पानी से भरे कटोरे में रखना चाहिए। यह विवाह की संभावनाओं को बढ़ाता है। यह काम यदि प्रतिदिन न कर सकें, तो पूर्णिमा के दिन ऐसा जरूर करना चाहिए।
आपके घर का मुख्य द्वार यदि दक्षिण-पश्चिम के दक्षिण में हो, तो यह उच्चकोटि के वैवाहिक संबंध देता है। मुख्य द्वार यदि उत्तर-पूर्व में हो, तो किसी सहकर्मी से विवाह की संभावना बढ़ती है। मुख्य द्वार यदि उत्तर-पश्चिम में हो, तो संपन्न घर में रिश्ता होता है। यदि ऐसा न हो, तो उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में छह रॉड का विंडचाइम लगाकर भी लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
आज की भागदौड़ की जिंदगी में वैवाहिक संबंधों को निभा पाना भी एक बड़़ी समस्या है। फेंगशुई के अनुसार हर व्यक्ति के लिए उसके कुआ नंबर के अनुसार घर के अलग-अलग क्षेत्रों में लव कॉर्नर होता है। यह क्षेत्र यदि किसी कारणवश दूषित हो जाता है, तो दाम्पत्य संबंधें में तनाव शुरू हो जाता है। अत: अपना कुआ नंबर जानकर इसे संतुलित रखना अच्छा रहता है।
फेंगशुई के एनीमल साइन के अनुसार अगर चूहा वर्ष में जन्मे व्यक्ति की शादी अश्व वर्ष में जन्मे व्यक्ति से हो जाती है, तो पति-पत्नी में आपस में खूब झगड़ा होता है। इसी प्रकार बैल वर्ष में जन्मे व्यक्ति का भेड़ वर्ष में जन्मे व्यक्ति से, बाघ वर्ष में जन्मे व्यक्ति का बंदर वर्ष में जन्मे व्यक्ति से, खरगोश वर्ष में जन्मे व्यक्ति का मुर्गा वर्ष में जन्मे व्यक्ति से, ड्रैगन वर्ष में जन्मे व्यक्ति का श्वान(कुत्ता) वर्ष में जन्मे व्यक्ति से और सांप वर्ष में जन्मे व्यक्ति का भालू वर्ष में जन्मे व्यक्ति से विवाह होने पर दाम्पत्य जीवन सुखमय नहीं रहता। आपस में कलेश होता है और कई बार तलाक तक की नौबत आ जाती है।
इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है।