A Multi Disciplinary Approach To Vaastu Energy

16 Zones of Vastu in Hindi

16 वास्तु ज़ोन्स (Vastu Zones) का आपके जीवन पर प्रभाव

दिशाओं के ज्ञान को ही वास्तु कहते हैं। यह एक ऐसी पद्धति का नाम है, जिसमें दिशाओं को ध्यान में रखकर भवन निर्माण व उसका इंटीरियर डेकोरेशन किया जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि वास्तु के अनुसार भवन निर्माण करने पर घर-परिवार में खुशहाली आती है।

वास्तु में दिशाओं का बड़ा महत्व है। अगर आपके घर में गलत दिशा में कोई निर्माण होगा, तो उससे आपके परिवार को किसी न किसी तरह की हानि होगी।

16 Vastu Zones and Their Effect on Your Life - 16 वास्तु ज़ोन्स का आपके जीवन पर प्रभाव

आपने अपने जीवन में निश्चित ही कभी यह महसूस किया होगा कि आपके घर में किसी एक स्थान या कमरे में आपको किसी अन्य स्थान से बेहतर और आरामदायक महसूस होता है। घर के अलग-अलग स्थान पर सोने पर आपको नींद की गुणवत्ता में भी निश्चित ही अंतर नजर आता होगा। अगर आपने इस बात पर ध्यान नहीं दिया है तो अब दीजिये और आप पायेगें कि सुबह उठने पर आपको किसी एक कमरे में अधिक उर्जा महसूस होगी और कही बहुत तनाव महसूस होगा। 

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ऐसा ही कुछ पढाई करने वाले बच्चो को भी महसूस होगा कि स्थान विशेष में वे अधिक ध्यान और एकाग्रता से पढ़ पाते है और अन्य स्थान पर उनका मन विचलित होता है। ये सभी इस बात के बेहद सूक्ष्म उदाहरण है कि किस प्रकार घर के अंदर स्थित विभिन्न दिशाएं व ज़ोन्स हमारे अवचेतन मन को प्रभावित करते है। वास्तु में इन ज़ोन्स को 16 भागों में विभाजित किया जाता है। इनमे से प्रत्येक जोन हमारी ज़िन्दगी को बडे पैमाने पर प्रभावित करते है।

यह एक ज्ञात तथ्य है कि भवन निर्माण के विज्ञान वास्तु शास्त्र में दिशाओं का बहुत महत्त्व है। लेकिन आप में से बहुत कम लोग इस बात से परिचित होंगे कि केवल वास्तु शास्त्र ही नहीं बल्कि अन्य कई प्राचीन एवं रहस्यमयी भारतीय शास्त्रों में भी दिशाओं को विशेष महत्त्व दिया गया है। चाहे वो ज्योतिष शास्त्र हो, सांख्य दर्शन हो या फिर कि आयुर्वेद हो सभी में दिशाओं का अत्यधिक महत्त्व है। यहाँ तक कि ताओवादी धर्म पर आधारित लगभग 5 हजार वर्ष पुरानी चीनी भवन निर्माण पद्धति फेंग शुई में भी दिशाओं को खास अहमियत प्रदान की गई है।

तो इससे पहले कि वास्तु शास्त्र के 16 ज़ोन्स और उनका आपकी ज़िन्दगी पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करे हम एक बार संक्षेप में देखेंगे कि किस प्रकार से अन्य शास्त्रों में भी दिशाओं से पड़ने वाले प्रभावों को महत्व दिया गया है –

1- ज्योतिष शास्त्र और दिशाएं –

वैदिक ज्योतिष में प्रत्येक ग्रह एवं राशि को उनके प्रभाव के अनुसार विशेष दिशा प्रदान की गई है। प्रत्येक ग्रह दिशा विशेष में उच्च होता है और अच्छे परिणाम देता है वही दूसरी दिशाओं में या तो उसका प्रभाव सम होता है या नकारात्मक होता है। उदाहरण के लिए आग्नेय (SE) दिशा वीनस यानि कि शुक्र ग्रह की है जो कि अग्नि तत्व, अग्नि तत्व की प्रतीक महिलाओं, वैभव, सौंदर्य, सुरक्षा, कैश फ्लो को दर्शाती है।

यदि इस अग्नि तत्व से सम्बंधित आग्नेय (SE) दिशा में जल तत्व किसी भी रूप में आ जाए जैसे कि सेप्टिक टैंक या अंडरग्राउंड वाटर टैंक (ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पानी चन्द्र ग्रह से सम्बंधित है किन्तु अंडरग्राउंड टैंक शनि को दर्शाता है) का निर्माण करवा लिया है तो फिर घर की महिलाओं को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या रहेगी, दुर्घटनाएं होगी और कैश फ्लो में कमी आ जायेगी।

अगर आप की जन्म कुंडली में ग्रह विशेष नकारात्मक है तो इस बात की पूरी सम्भावना है कि वास्तु शास्त्र के अनुसार निर्धारित उस ग्रह विशेष से सम्बंधित दिशा में भी वास्तु दोष उत्पन्न हो जाएगा और उसके नकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। इसे इस तरह से भी देखा जा सकता है कि अगर आपके घर में वास्तु सम्मत होने के चलते एक दिशा विशेष बहुत सकारात्मक परिणाम दे रही है तो निश्चित ही उस दिशा से सम्बंधित ग्रह आपकी कुंडली में सकारात्मक परिणाम प्रदान करे वाला है।

अतः ज्योतिष शास्त्र और वास्तु शास्त्र दोनों ही एक दुसरे के पूरक शास्त्र है जिनमे दिशाओं को विशेष महत्त्व मिला है।

2- सांख्य दर्शन –

भारत की बेहद समृद्ध शास्त्रीय परंपरा में हमें छः दर्शन प्राप्त हुए है। इन छः दर्शनों में सांख्य दर्शन का दृष्टिकोण बहुत वैज्ञानिक है। सांख्य दर्शन के अनुसार त्रिगुणों से इस सृष्टि की रचना हुई है। ये त्रिगुण सत्व, रजस व तमस के रूप में जाने जाते है। ये त्रिगुण सृष्टि की उत्पति से लेकर परमाणु की संरचना तक जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रभावित करते है।

प्राचीनकाल में वास्तु ऋषियों व विद्वानों ने इन त्रिगुणों - सत्व, तमस और रजस को विभिन्न दिशाओं से जोड़ा। इन त्रिगुणों को किसी निर्मित भवन में अलग-अलग दिशाओं में विभिन्न अनुपातों में स्थान दिया और उन दिशाओं और उनकी विशेषताओं को इन त्रिगुणों के माध्यम से वर्गीकृत किया।  

किसी भी भवन की नैऋत्य दिशा में पृथ्वी तत्व को तामसी माना गया, आग्नेय और वायव्य दिशाओं को रजस गुण प्रधान और जल तत्व से युक्त ईशान दिशा को सत्व गुण से सम्बंधित माना गया। चारों मुख्य दिशाओं पर दो-दो गुणों का सम्मिलित प्रभाव रहता है।

निष्क्रियता, आलस्य, स्थिरता इत्यादि तमस है। रजस तत्व सक्रियता का प्रतीक है। सत्व इन दोनों गुणों का संतुलन होता है। वास्तु सम्मत घर सांख्य दर्शन में वर्णित इन तीनो तत्वों में संतुलन प्रदान करता है।

3- आयुर्वेद-

आयुर्वेद के अनुसार वात, पित्त और कफ इन त्रिदोषों का सम्बन्ध अलग-अलग दिशाओं से होता है।

  • उत्तर-पश्चिम से पूर्व तक कफ का सम्बन्ध होता है। 
  • पूर्व से दक्षिण-पश्चिम तक पित्त का सम्बन्ध होता है।
  • दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पश्चिम तक वात दोष का क्षेत्र है।

अतः किसी भी घर में इनमे से जिस भी दिशा में वास्तु दोष उपस्थित होगा उसी दिशा से सम्बंधित समस्या (वात, पित्त या कफ) भी उत्पन्न हो जाएगी।

4- फेंग शुई –

भारत के वास्तु शास्त्र के समान चीन में भी प्राचीनकाल में किसी भवन में उर्जाओं के उचित संतुलन को स्थापित करने के लिए फेंग शुई नामक पद्धति का विकास किया गया। फेंग यानी वायु और शुई यानी जल होता है। इसके सिद्धांत भी वातावरण में उपस्थित उर्जाओं के संतुलन पर आधारित है। फेंग शुई में ये उर्जायें मुख्यतः Yin (नकारात्मक) और Yang (सकारात्मक) में विभाजित है।

इन उर्जाओं को विभिन्न दिशाओं में सामंजस्य स्थापित कर अनुकूल किया जाता है। फेंग शुई की आठ मुख्य दिशाएं इस प्रकार है –

  • Sheng Qi
  • Tian Yi
  • Yan Nian
  • Fu Wei
  • Jue Ming
  • Wu Gui
  • Liu Sha
  • Huo Hai

5- वास्तु शास्त्र –

जैसा कि आपने संक्षिप्त में देखा कि विभिन्न प्राचीन कालीन शास्त्रों में दिशाओं और उनसे सम्बंधित उर्जाओं को अत्यधिक महत्व दिया गया है। हालाँकि विभिन्न दिशाओं से पड़ने वाले प्रभावों का जितना विस्तृत और सुक्ष्म वर्णन वास्तु शास्त्र में मिलता है वैसा अन्य किसी शास्त्र में उपलब्ध नहीं है।

किसी जोन या दिशा विशेष में रखी गई वस्तुएं या उसमे होने वाली गतिविधियाँ उस जोन में उपस्थित उर्जा के अनुसार आपके अवचेतन मन को भी प्रभावित करेगी। उदाहरण के लिए अगर आपका बेडरूम पश्चिमी वायव्य में स्थित है जो कि वास्तु के अनुसार डिप्रेशन का जोन है तो ऐसे में आपके अवचेतन में उस स्थान पर उपस्थित उर्जायें डिप्रेशन या अवसाद से सम्बंधित विचार उत्पन्न करेगी और परिणामतः आपके अवचेतन में चलने वाले विचार ऐसी घटनाएं आकर्षित करेंगे जो कि आपको अवसाद यानि कि डिप्रेशन से ग्रस्त कर देगी। क्योंकि आपके विचार ही आपके जीवन की दिशा और दशा तय करते है।

अमेरिका के महानतम दार्शनिकों में से एक रॉल्फ वाल्डो इमर्सन ने कहा था कि “you become what you think all day long”। यानी कि आप वही बन जाते है जिस चीज के बारे में आप निरंतर विचार करते है। इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि आपका घर भी वास्तु में निर्धारित ज़ोन्स के अनुसार बने ताकि सकारात्मक उर्जाये आपके विचारों को भी सकारात्मक दिशा प्रदान कर सके।

गौरतलब है कि वास्तु शास्त्र में सर्वप्रथम चार प्रमुख दिशाओं (North, East, South, West) को चार और अन्य दिशाओं (NE, SE, SW, NW) में विभाजित किया गया और फिर इन्हें भी 8 और दिशाओं में विभाजित कर कुल 16 ज़ोन्स का निर्माण किया गया। इन सभी 16 ज़ोन्स में वास्तु शास्त्र के अनुसार निर्धारित गतिविधियाँ की जाए तभी सर्वश्रेष्ठ परिणाम हासिल होते है। अन्यथा किसी एक जोन विशेष में उसकी प्रकृति के विपरीत गतिविधि करने पर वास्तु दोष उत्पन्न हो जाते है।

तो आइये जानते है कि प्रत्येक जोन के क्या प्रभाव है और उनमे किस प्रकार की गतिविधियाँ करना वास्तु सम्मत होगा –

1- ईशान (NE) –

अवस्थिति –

प्रभाव –

मनुष्य का मस्तिष्क इसे अन्य प्राणियों से अलग और बुद्धिमान बनाता है और ईशान दिशा में उपस्थित उर्जा क्षेत्र का सर्वाधिक प्रभाव हमारे मस्तिष्क पर ही पड़ता है। जब यह दिशा वास्तु सम्मत होती है तो यह आपके अवचेतन मन पर गहरा प्रभाव डालती है। आपके विचारों में स्पष्टता, दूरदर्शिता आती है और नए रचनात्मक विचार जन्म लेते है। यह अध्यात्म के लिहाज से भी बहुत शुभ दिशा है।

हालाँकि जब ईशान (NE) में वास्तु दोष उपस्थित होता है तो कई तरह के नकारात्मक परिणाम भी प्राप्त होते है। यह अनिर्णय की स्थिति, मन में अस्पष्टता का तो कारण बनता ही है साथ ही गंभीर वास्तु दोष होने पर व्यक्ति न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से भी ग्रस्त हो सकता है।

वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –

वास्तु शास्त्र में किसी भूखंड पर उपस्थित खुला हुआ स्थान भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है जितना कि उस भूखंड पर निर्मित भाग। ईशान दिशा सकारात्मक उर्जाओं के प्रवाह का क्षेत्र है अतः इस दिशा को वास्तु में अन्य दिशाओं की अपेक्षा अधिक खुला रखने की सलाह दी जाती है।

इस दिशा में अगर बाग़-बगीचा है तो बहुत अच्छा होगा लेकिन अगर इस स्थान को खुला रखने की गुंजाईश नहीं है तो फिर आप इस स्थान को पूजा स्थल के रूप में भी काम में ले सकते है। पूजा स्थल के लिए यह श्रेष्ठ दिशा है।

वैसे तो पूरा घर ही स्वच्छ होना चाहिए परन्तु घर की इस दिशा की स्वच्छता का विशेष ख्याल रखा जाना चाहिए।

वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –

जैसा कि आपको बताया गया है कि ईशान दिशा को खुला एवं स्वच्छ रखना वास्तु सम्मत होगा| तो ऐसे में इस दिशा में ऐसा कोई भी निर्माण जो इसे भारी करता हो या कि अस्वच्छ करता हो वास्तु विरुद्ध कहलायेगा। उदाहरण के लिए ईशान में सीढ़ियों का निर्माण इस दिशा को भारी कर देगा तो वही टॉयलेट का निर्माण या डस्टबिन को इस दिशा में रखना भी अनुचित होगा।

 2- पूर्वी ईशान (ENE) –

अवस्थिति –

प्रभाव –

किसी विद्वान ने कहा है कि मानसिक शांति प्राप्त करना ही हमारा सर्वोच्च लक्ष्य होना चाहिए और बाकी सारे लक्ष्य इसके अधीन होने चाहिए। और ध्यान देने वाली बात है कि पूर्वी ईशान अगर वास्तु सम्मत हो तो यह हमें मानसिक शांति के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करता है।

चूँकि यह भी ईशान दिशा का ही एक विस्तारित भाग है अतः इसका प्रभाव भी हमारे मन-मस्तिष्क पर पड़ता है। जब भी आपको ऐसा महसूस हो कि जीवन में कुछ भी नया नहीं हो रहा है या एक उदासीनता आ गई है तो इस दिशा का वास्तु एक बार जांच ले।

इस दिशा से घर में प्रवेश करने वाली नैसर्गिक शक्तियां व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक और शुभ विचारों का संचार करती है। वास्तु सम्मत पूर्वी ईशान निवासियों के जीवन को तनावमुक्त करने में बहुत सहयोगी होता है।

वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –

इस दिशा में लिविंग रूम का निर्माण किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त इस दिशा में बच्चो के खेलने के लिए भी व्यवस्था की जा सकती है। यहाँ पर हरियाली रखना उत्तम रहेगा बशर्ते कि भारी और ऊँचे वृक्ष नहीं लगाये। यहाँ स्थित कमरे में भी एक सुंदर हरे रंग के गमले में रंगीन पौधा लगाया जा सकता है।

वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –

पूर्वी ईशान में कचरा रखना, डस्टबिन रखना वास्तु विरुद्ध होगा। इस दिशा को ढेर सारे पुराने और कबाड़ के सामानों से भरकर ना रखे।

3- पूर्व (EAST) –

अवस्थिति –

प्रभाव –

पूर्व दिशा सूर्य से शासित होती है। वास्तु अनुकूल पूर्व दिशा सामाजिक संपर्कों का विस्तार करती है और उन्हें सशक्त बनाती है।

जीवन में सफलता पाने के लिए सामाजिक संपर्कों का दायरा बड़ा और मजबूत होना आवश्यक है। विशेषकर कि राजनीती, मार्केटिंग, सेल्स, फ़िल्म इंडस्ट्री, व्यापार इत्यादि क्षेत्रों से जुड़े लोगो के लिए पूर्व दिशा का वास्तु के अनुसार बना होना आवश्यक है।

वास्तु अनुकूल नहीं होने पर पूर्व दिशा के नकारात्मक प्रभाव भी पड़ते है। ऐसी परिस्थिति में यह व्यक्ति को अंतर्मुखी बना देती है। लोगों से संपर्क करने की कला नहीं रहती है। परिणामतः सामाजिक संबंधों की भी हानि होती है और अगर आपका व्यवसाय इसी पर आधारित है तो आपको व्यवसाय में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –

यह दिशा ड्राइंग रूम या बैठक बनाने के लिए बेहतरीन स्थान है। यह ऊपर बताये गए प्रभावों को हासिल करने में बहुत मददगार होगा। इस दिशा में विद्यमान कमरे या दीवार का रंग ग्रीन होना चाहिए। अगर पूर्व में खाली स्थान मौजूद हो तो वहां पर सुंदर हरे रंग के पौधे लगा सकते है जो कि इस दिशा के शुभ प्रभावों में वृद्धि कर देता है।

वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –

पूर्व में बना टॉयलेट बाहरी दुनिया से आपके संपर्क का दायरा सीमित भी कर देता है और कमजोर भी कर देता है। पूर्व में स्थित दीवार को पश्चिम व दक्षिण की तुलना में भारी व ऊँचा कर देना वास्तु दोष उत्पन्न करता है। पूर्व की दीवार पर हिंसा या नकारात्मक तस्वीरों वाली पेंटिंग्स नहीं लगाये।

4- पूर्वी आग्नेय (ESE) –

अवस्थिति –

प्रभाव –

अनुकूल होने पर पूर्वी आग्नेय व्यक्ति की विश्लेषण या एनालिसिस करने की क्षमता को बढ़ा देता है और उसके विचारों को अधिक परिष्कृत बनाता है व उसे गहराई प्रदान करता है। जीवन में छोटे-बडे निर्णय लेने के लिए व्यक्ति में परिस्थितियों का विश्लेषण करने की क्षमता होना बेहद आवश्यक है। विश्लेषण करने की क्षमता के अभाव में अक्सर लोग गलत निर्णय ले लेते है। ऐसे में यह जोन अगर वास्तु अनुसार बना हो तो आपको विश्लेषण या एनालिसिस करने की अद्भुत क्षमता प्रदान करता है।

वही अगर स्थिति विपरीत हो तो निरंतर मन में अनावश्यक विचार दौड़ते रहते है जिन पर वास्तविकता में कभी अमल नहीं किया जाता। विवेकहीन निर्णय लेना इसी वास्तु दोष का एक दुष्परिणाम है।

वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –

पूर्वी आग्नेय में कपडे धोने के लिए वाशिंग मशीने रखी जा सकती है। इसके अलावा मिक्सी और जूसर भी इस दिशा में काम लेने के लिए उपयुक्त है।

वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –

पूर्वी आग्नेय सोने के लिए या बेडरूम के लिए बिलकुल अनुपयुक्त है फिर चाहे वो बच्चों का हो या मास्टर बेडरूम हो। यहाँ पर टॉयलेट निर्मित करने पर यह आपके एनालिसिस की क्षमता पर प्रतिकूल असर डालता है और आप सही निर्णय नहीं ले पाते है।

5- आग्नेय (SE) –

अवस्थिति –

प्रभाव –

अगर आप घर में कैश या पैसों की कमी से जूझ रहे है, अगर नगदी का प्रवाह रुका हुआ गई, अगर आपका पैसा कही अटका हुआ है तो आग्नेय कोंण आपके लिए अति महत्वपूर्ण दिशा है। यह घर में Liquid Cash के सकारात्मक प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए सबसे अहम दिशा है। वास्तु अनुकूल होने पर इस दिशा में उपस्थित उर्जा व्यक्ति में जोश और साहस का संचार भी करती है।

आग्नेय में वास्तु दोष की उपस्थिति होने पर आपके पास नगदी या कैश की कमी हो जायेगी। आपको दुर्घटनाओं का भी सामना करना पड़ सकता है। आपमें असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो सकती है।

वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –

अग्नि तत्व से सम्बंधित गतिविधियाँ इसी दिशा में करना सर्वोत्तम होता है। जैसे कि घर में किचन का निर्माण करना हो तो आग्नेय दिशा श्रेष्ठ है। इसके अलावा इस दिशा के लिए वास्तु के अनुसार रेड कलर किया जाना चाहिए। हालाँकि बेहतर होगा कि रेड कलर बहुत ज्यादा डार्क या गहरा नहीं हो क्योंकि यह कलर स्वाभाव में आक्रामकता बढाता है। ऐसे में रेड कलर का हल्का शेड प्रयोग में ले या हल्का पिंक कलर भी इस्तेमाल कर सकते है।

वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –

आग्नेय दिशा में अंडरग्राउंड वाटर टैंक या सेप्टिक टैंक की उपस्थिति प्रतिकूल होती है क्योंकि अग्नि तत्व सम्बन्धी दिशा में इसके विपरीत तत्व जल तत्व की उपस्थिति हो जाती है जिसका अशुभ परिणाम होते है। इसके अलावा इस दिशा में गड्ढे की उपस्थिति भी वास्तु दोष का कारण बनती है।

6- दक्षिणी आग्नेय (SSE) –

अवस्थिति –

प्रभाव –

वास्तु अनुकूल दक्षिणी आग्नेय व्यक्ति को आत्मविश्वास और शक्ति देता है। कई बार देखा जाता है कि इंसान में प्रतिभा होने के बावजूद भी उसमे आत्मविश्वास की कमी रहती है और कुछ लोगो में तुलनात्मक रूप से कम प्रतिभा होने पर भी उनमे अति आत्मविश्वास होता है। यह दोनों ही स्थितियां दक्षिणी आग्नेय के वास्तु अनुकूल या प्रतिकूल होने पर देखी जाती है।

अब चाहे आप किसी नए व्यापार या नौकरी को शुरू करने जा रहे है, चाहे आपका व्यवसाय का सम्बन्ध लोगो से कम्युनिकेशन करने का हो या लीडरशिप का, आपमें आत्मविश्वास और शक्ति का होना बेहद जरुरी है।  

यहाँ पर वास्तु दोष की उपस्थिति आपको आलस्य का, मानसिक रूप से कमजोरी का, उर्जा व उत्साह की कमी का अनुभव करेंगे।

वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –

इस क्षेत्र में आप रसोई का निर्माण कर सकते है। इसके अतिरिक्त आप इसमें बेडरूम का भी निर्माण कर सकते है जो कि आपके अवचेतन मन पर बहुत सकारात्मक असर डालेगा और आपको आत्मविश्वास देगा।

वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –

इस दिशा को कचरे और अस्वच्छता से मुक्त रखे। यहाँ पर डस्टबिन, बेकार का सामान नहीं रखे। इसके अतिरिक्त इसमें ब्लू कलर करना भी वास्तु के प्रतिकूल होगा।

7- दक्षिण दिशा (SOUTH) –

अवस्थिति –

प्रभाव –

दक्षिण का उर्जा क्षेत्र तनावमुक्त करने वाली उर्जाओं का स्थान है। वास्तु अनुकूल दक्षिण में उपस्थित प्राकृतिक उर्जायें व्यक्ति को तनावभरी जिंदगी से राहत देने का कार्य करता है | इस क्षेत्र की उर्जा आपको आराम देने के साथ उर्जावान तो बनाती ही है साथ ही यह आपको समाज में प्रतिष्ठा, यश और पहचान दिलाने में बड़ी भूमिका भी निभाती है |

जैसा कि आपको पहले बताया गया था कि पूर्व दिशा सामाजिक संपर्कों का दायरा बढ़ाने में महत्वपूर्ण होती है तो वही यह दक्षिण दिशा आपके उन संपर्को व उसके अतिरिक्त भी एक बडे दायरे में आपको ख्याति दिलवाती है।

अगर आप किसी वास्तु विशेष का व्यापार करते है या आप ऐसे व्यवसाय में संलग्न है जिसमे ब्रांडिंग की आवश्यकता है तो निश्चित ही आपको दक्षिण दिशा में सकारात्मक उर्जाओं का प्रवाहमान होना आवश्यक है। यह आपके ग्राहकों में आपके व आपके प्रोडक्ट के प्रति विश्वास कायम करने में मददगार साबित होगा |

इसके अलावा अगर आपको जीवन में आरामदायक व शांतिपूर्ण जीवन की कमी महसूस होती है या फिर की आपको प्रतिष्ठा व प्रसिद्धि हासिल करनी है तो आपको निश्चित ही दक्षिण दिशा के वास्तु को अनुकूल रखना होगा। यह आपको आश्चर्यजनक परिणाम प्रदान करेगा |

इस दिशा में वास्तु दोष व्यक्ति को नकारात्मक विचार प्रदान करेगा और परिणामतः स्लीप डिसऑर्डर, अनिद्रा की समस्या और मानसिक तनाव का अहसास होगा |

वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –

किसी भी घर में बेडरूम के लिए कुछ निश्चित स्थान ही लाभकारी होते है। दक्षिण दिशा उन्ही लाभकारी स्थानों में से एक है जहाँ आप अपना बेडरूम बना सकते है | विशेषतौर पर यह गृहस्वामी के लिए बेहद फायदेमंद होता है | चूँकि ध्यान में गहराई और आतंरिक शांति की आवश्यकता होती है अतः इस दिशा में ध्यान लगाने के लिए भी एक ध्यान कक्ष बनाया जा सकता है |

वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –

इस दिशा में किसी प्रकार का गड्ढा होना (अंडरग्राउंड वाटर टैंक या सेप्टिक टैंक इत्यादि) एक बड़ा वास्तु दोष होगा। इसके अलावा दक्षिण में टॉयलेट का निर्माण या दक्षिण की दीवारों पर उत्तर दिशा का ब्लू कलर कर दिया जाता है तो भी यह वास्तु के नियमो के विरुद्ध होगा |

8- दक्षिण नैऋत्य (SSW) –

अवस्थिति –

प्रभाव –

जीवन से नकारात्मक उर्जा व अनुपयोगी व व्यर्थ की चीजों को निकाल देना चाहिए। यह एक ऐसी ही दिशा है जो आपको इसमें मदद कर सकती है |

इसे डिस्पोजल का जोन माना जाता है। वास्तु अनुसार बने होने पर यह जोन आपकी ज़िन्दगी से उन चीजों को हटा देता है जो कि आपके लिए अनुपयोगी और व्यर्थ है | लेकिन अगर इसमें वास्तु दोष की उपस्थिति है तो फिर यह आपके जीवन से धन, समय, रिश्तों का व अन्य लाभकारी चीजों के डिस्पोजल का काम करती है |

नकारात्मक दक्षिणी नैऋत्य होने पर आप अपना समय, धन और मेहनत महत्वहीन कार्यकलापों में खर्च कर देंगे और आपको कोई परिणाम भी हासिल नहीं होगा | 

वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –

चूँकि यह डिस्पोजल व अपव्यय का जोन है अतः इसमें कोई महत्पूर्ण क्रियाकलाप नहीं किया जाना चाहिए। इस स्थान पर टॉयलेट बनाया जा सकता है | इसके अलावा घर का कचरा इकठ्ठा करने के लिए डस्टबिन को भी यहाँ पर रखा जा सकता है |

हालाँकि एक बात हमेशा याद रखनी होगी कि अगर वास्तु में किसी स्थान को डस्टबिन रखने, टॉयलेट बनाने या अनुपयोगी सामान रखने के लिए निर्धारित किया गया है तो इसका मतलब यह बिलकुल भी नहीं है कि आप इस दिशा को बहुत अव्यवस्थित कर कचरे से भर दे | जितना आप घर को व्यवस्थित और सुंदर रखेंगे आपके घर में उसी प्रकार से सकारात्मक उर्जायें विद्यमान रहेगी | अतः डिस्पोजल वाले जोन को भी यथासंभव साफ-सुथरा रखने की कोशिश करे |

वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –

दक्षिणी नैऋत्य में बेडरूम बनाना, स्टडी रूम का निर्माण या किचन की अवस्थिति वास्तु सम्मत नहीं होगी | इस दिशा में आप अपने किसी परिवार के सदस्य की फोटो भी नहीं लगाये  तो बेहतर होगा |

9- नैऋत्य दिशा (SW) –

अवस्थिति –

प्रभाव –

इस स्थान की उर्जा तीन चीजो का निर्धारण करती है। पहली – परिवार में आपके रिश्तेदारों, आपके परिचितों और व्यापार या व्यवसाय में आपके ग्राहकों से आपके संबंधों की स्थिति | दूसरी – आपके अंदर किसी कार्य को करने के लिए विद्यमान दक्षता (Skills) | तीसरी – आपके जीवन में स्थायित्व की मात्रा | इन तीनों चीज़ों का निर्धारण नैऋत्य दिशा में उपस्थित उर्जा करती है |

अगर आपके सम्बन्ध आपके क्लाइंट्स या ग्राहकों के साथ ख़राब रहते है या आपके रिश्तेदारों और परिवार से आपका निरंतर विवाद रहता है तो इस बात की पूरी संभावना है कि आपके घर की नैऋत्य दिशा में कोई दोष उपस्थित है।

ऐसे में इन सभी विवादों और झगड़ो से छुटकारा पाने के लिए तथा अपने कार्य में दक्षता बढाने के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा में उर्जाओं का संतुलन बनाकर रखे।

वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –

नैऋत्य दिशा में विद्यमान पृथ्वी तत्व के चलते इस दिशा में स्थायित्व का गुण होता है और परिवार को सँभालने के लिए घर के मुखिया के जीवन में स्थायित्व की ही आवश्यकता होती है| इसीलिए अगर इस दिशा में घर के मुखिया के लिए मास्टर बेडरूम बनाया जाता है तो उसे जीवन में स्थायित्व मिलता है |

चूँकि यह क्षेत्र आपकी दक्षता (Skills) में भी वृद्धि करता है अतः इस दिशा में आप अपने प्रमाण-पत्र, डिग्रीयां और पुरस्कार भी इस रख सकते है | अगर आपका कोई ऑफिस है तो उसमे यह सुनिश्चित करे कि आप उसमे नैऋत्य दिशा में ही बैठे |

इसके अलावा इस दिशा में दीवारों के लिए लाइट येलो कलर सबसे उपयुक्त होता है। इस स्थान पर आप येलो कलर के बल्ब का भी इस्तेमाल कर सकते है |  

वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –

चूँकि यह ईशान कोण के बिलकुल विपरीत दिशा में स्थित है अतः इसमें ईशान से संबधित गतिविधयां करना अनुचित होगा। उदाहरण के लिए पूजा स्थल के लिए यह स्थान अनुपयुक्त है, इस दिशा में ईशान का कलर ब्लू भी नहीं किया जा सकता और जल से सम्बंधित वस्तुएं भी इस दिशा में नहीं रखी जानी चाहिए | अंडरग्राउंड वाटर टैंक, सेप्टिक टैंक का नैऋत्य में निर्माण गंभीर वास्तु दोष होता है |

10- पश्चिमी नैऋत्य दिशा (WSW) –

अवस्थिति –

प्रभाव –

पश्चिमी नैऋत्य जीवन की दो प्रमुख चीजों को सर्वाधिक प्रभावित करता है – शिक्षा और बचत। अगर आप या आपके बच्चे शिक्षा हासिल कर रहे है, किसी प्रकार का अधययन करते है, किसी विषय या विद्या का निरंतर अभ्यास करते है तो इस क्षेत्र का अनुकूल होना बेहद आवश्यक है |

इसके अलावा आप अपने जीवन में कितनी बचत कर पा रहे है इस बात का निर्धारण भी इस दिशा में मौजूद उर्जा क्षेत्र के द्वारा तय होता है। हो सकता है आपकी कमाई बहुत अच्छी हो, आप बहुत अच्छा मुनाफा कमाते हो लेकिन आपकी कमाई का अधिकांश हिस्सा अगर खर्च हो जाता हो तो निश्चित ही आपको बुरा लगता होगा | ऐसे में आप जो कमाई कर रहे है उसमे आपको बचत भी हो इसके लिए पश्चिमी नैऋत्य को ठीक रखने की जरुरत है |   

वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –

आपको पहले भी बताया गया है कि घर में बेडरूम बनाने के लिए वास्तु सम्मत स्थान सुनिश्चित और सीमित दिशाओं में स्थित होते है। पश्चिमी नैऋत्य भी एक ऐसे दिशा है जहाँ आप बेडरूम बना सकते है | इस बेडरूम का सर्वाधिक फायदा स्टूडेंट्स को मिलेगा |

बहुत से बच्चे है जो बहुत मेहनत करते है लेकिन परीक्षा के वक्त तक सब याद नहीं रख पाते है। ऐसे में इस दिशा में पढना फायदेमंद होगा क्योंकि बचत करना इस दिशा की विशेषता है अतः इस दिशा में पढने वाले बच्चे जो पढाई करेंगे उसे अधिक समय तक याद रख पायेंगे |

पश्चिमी नैऋत्य डाइनिंग रूम के लिए भी उत्तम दिशा है।

आप अपनी कमाई से होने वाली बचत, आभूषण या अन्य किसी रूप में की गई बचत को भी इस दिशा में रख सकते है |

वास्तु विरुद्ध गतिविधयाँ –

पश्चिमी नैऋत्य में अगर आपने बच्चे के लिए बेडरूम बना रखा है तो उसमे ऐसा कोई अन्य सामान नहीं रखे जो कि उसका मन पढाई से हटाये। उदाहरण के लिए अगर कोई मनोरंजन का साधन इस स्थान पर रख रखा है तो बच्चे का मन इन्ही चीजों में लगा रहेगा बजाय कि पढाई के | हालाँकि वर्तमान समय में बढ़ रहे प्रतिस्पर्धी माहौल को देखते हुए पेरेंट्स कई बार बच्चों पर अत्यधिक दबाव डाल देते है जो कि अनुचित है अतः इस बात का ध्यान रखे |

इस दिशा में टॉयलेट, वाशिंग मशीन या मिक्सी रखने पर आपके बच्चे को मेहनत के अनुरूप परिणाम नहीं मिलेंगे |

11- पश्चिम दिशा (WEST) –

अवस्थिति –

प्रभाव –

पश्चिम दिशा आपको भौतिक लाभ करवाती है। आपको अपने जीवन में प्राप्त होने वाले भौतिक लाभ इस दिशा के वास्तु सम्मत होने पर कई गुना बढ़ जाते है। यहाँ उपस्थित उर्जा आपके रहस्यमयी अवचेतन मन को इस प्रकार प्रभावित करती है कि आपको लाभ हासिल करने के लिए जिस प्रकार के विचारों की आश्यकता होती है या जिस प्रकार के कदम उठाने की जरुरत होती है आपका अवचेतन मन उसी प्रकार के विचारों को अपनी ओर आकर्षित करता है |

पश्चिम दिशा का अनुकूल वास्तु आपको उर्जावान भी बनाता है और तेजी से काम करने के लिए पर्याप्त दक्षता भी प्रदान करता है।

यह संभव है कि आपको पर्याप्त मात्रा में धन आगमन हो रहा है लेकिन अगर यह जोन वास्तु विरुद्ध निर्मित है तो यह धन आगमन आपको लाभ के रूप में नहीं आएगा। आपको मिल रहा धन आपकी लगाई लागत के बराबर ही होगा उसमे आपको मुनाफा नहीं होगा | लेकिन अगर यह जोन ठीक है तो आपके निवेश की लागत भी निकलेगी और आपको उसके अतिरिक्त बहुत मुनाफा भी प्राप्त होगा |

वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –

घर में बेडरूम बनाने के लिए तीन सर्वश्रेष्ठ स्थान है – दक्षिण दिशा, नैऋत्य (SW), और पश्चिम | इसलिए पश्चिम बेडरूम बनाने के लिए उत्तम स्थान है | इसके अलावा यहाँ पर डाइनिंग रूम भी निर्मित किया जा सकता है | ड्राइंग रूम निर्मित करने के लिए भी यह एक अच्छा विकल्प है |

वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –

जैसा कि आपने अब तक देखा होगा कि जितनी भी सकारात्मक और लाभ प्रदान करने वाली दिशाएं होती है वहां पर नकारात्मक गतिविधियाँ नहीं की जानी चाहिए अन्यथा विपरीत परिणाम हासिल होते है। ऐसे में पश्चिम में टॉयलेट का निर्माण करना या डस्टबिन रखना अनुचित और वास्तु विरुद्ध होगा |

12- पश्चिमी वायव्य दिशा (WNW) –

अवस्थिति –

प्रभाव –

पश्चिमी वायव्य (WNW) सकारात्मक कार्य करने के लिए अशुभ दिशा है हालाँकि अगर इसका संतुलित इस्तेमाल किया जाए तो यह आपके लिए उपयोगी भी साबित हो सकती है | इस दिशा को वास्तु में Detoxification और Depression की दिशा माना जाता है। ऐसे में अगर इस स्थान पर 15-20 मिनट का समय व्यतीत किया जाए तो व्यक्ति अपने आप को Detoxify कर सकता है और नेगेटिव एनर्जी को बाहर निकाल तनाव मुक्त हो सकता है लेकिन अगर इस दिशा में अधिक समय व्यतीत किया जाए तो व्यक्ति Depression में भी जा सकता है।

इसलिए इस उर्जा क्षेत्र में ऐसा कोई कार्य नहीं करे जिसमे आपको प्रतिदिन अधिक समय व्यतीत करना पड़ रहा हो। बल्कि यहाँ अपनी इच्छानुसार कुछ समय बिताकर अपने आप को आप Detoxify कर सकते है। 

वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –

पश्चिमी वायव्य में डस्टबिन को रखा जा सकता है और इसके अलावा यहाँ पर वाशिंग मशीन और मिक्सी भी रखी जा सकती है।

वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –

जैसा कि आपको बताया गया है कि इस जोन में ऐसा कोई भी कार्य नहीं करे जिसमे आपको अधिक समय बिताना पड़े। जैसे कि यहाँ बेडरूम नहीं होना चाहिए क्योंकि बेडरूम में सोते वक्त आप समय तो अधिक बिताते ही है बल्कि सोते वक्त आपका चित्त बेहद ग्रहणशील होता है | और ऐसे में वो आसपास की नकारात्मक उर्जा को भी ग्रहण कर लेता है | इसके अलावा यहाँ पर पढने सम्बन्धी कोई कार्य या ऑफिस का काम नहीं करे |

13- वायव्य दिशा (NW) –

अवस्थिति –

प्रभाव –

आधुनिक समय में तेजी से विकास करने के लिए व्यक्ति को जिस सबसे महत्वपूर्ण चीज की आवश्यकता होती है, वह है – सपोर्ट (सहयोग) |

यह सपोर्ट या सहयोग किसी भी प्रकार का हो सकता है। उदाहरण के लिए आर्थिक सहायता के लिए बैंकिंग सपोर्ट की आवश्यकता हो सकती है, सरकारी कार्य करते है तो सरकारी सहयोग की, कोई उद्योग है तो कच्चे माल के सप्लायर्स के सहयोग की, परिवार में कोई समस्या या विवाद है तो परिवार के सहयोग, रिश्तेदारों के सहयोग व कई परिस्थितियों में दोस्तों व परिचितों के सहयोग की आवश्यकता पड़ती है |

ऐसी परिस्थिति में उत्तर-पश्चिम दिशा यानि कि वायव्य का वास्तु सम्मत होना जरुरी है। इस जोन में उपस्थित उर्जा आपके जीवन में इस प्रकार के लोगों को आकर्षित करती है जो आपके लिए किसी प्रकार से सहायक सिद्ध हो सकते है |

यह जोन बैंकिंग सपोर्ट को विशेष तौर पर प्रभावित करता है। बैंक लोन का रिजेक्ट होना या बैंक से सम्बंधित समस्याओं का निंरतर आना वायव्य के दोषयुक्त होने का ही परिणाम है |  

जीवन में ऐसा समय आना जब आपको किसी के सहयोग या सपोर्ट की आवश्यकता है और आपके पास कोई मौजूद नहीं है तो ऐसे में आपको वास्तु के नियमों के तहत एक बार घर की वायव्य दिशा का जांचना होगा। इस दिशा में वास्तु दोष की उपस्थिति में ही आप इस प्रकार की परिस्थिति से रूबरू होते है |

वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –

इस जोन में ड्राइंग रूम या बैठक का निर्माण किया जा सकता है। इस जोन में बनी बैठक में होने वाली मीटिंग्स के परिणाम सकारात्मक निकल कर आयेंगे और आपके लिए सहयोगी साबित होंगे |

बेडरूम के निर्माण के लिए भी यह जोन एक विकल्प है। इस जोन में बेडरूम के होने पर आपको दूसरों का तो सहयोग हासिल होगा ही बल्कि आप भी इस जोन में उत्पन्न उर्जा से प्रभावित होकर अन्य लोगो की सहायता के लिए तत्पर रहेंगे |

इसके अतिरिक्त यह भडारण कक्ष बनाने के लिए भी बेहद उपयुक्त है। प्राचीन समय में इस क्षेत्र का इस्तेमाल अनाज रखने व भण्डारण के लिए किया जाता था | अतः इस दिशा में आप अनाज के भण्डारण के लिए स्टोर रूम का निर्माण कर सकते है |

वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –

इस दिशा में टॉयलेट का निर्माण नहीं करे। वायव्य में स्थित टॉयलेट आपके लिए बैंकिंग सपोर्ट से लेकर अन्य लोगों से मिलने वाले सपोर्ट में बाधाएं उत्पन्न करेगा |

14- उत्तरी वायव्य दिशा (NNW) –

अवस्थिति –

प्रभाव –

उत्तरी वायव्य दिशा का जोन आकर्षण और सेक्स का जोन है। इस दिशा में उत्पन्न होने वाली उर्जा इस जोन में रखी गई वस्तुओं की ओर व्यक्ति को स्वतः ही बेहद आकर्षित करती है | जब आप किसी वस्तु की ओर आकर्षित होते है तो उसमे उत्तरी वायव्य दिशा में विद्यमान उर्जा का प्रभाव होता है |

इस जोन का पति-पत्नी (विशेषकर नव-विवाहित दम्पति) के बीच शारीरिक सम्बन्ध अच्छे रखने के लिए वास्तु अनुकूल होना जरुरी है। यह दाम्पत्य जीवन में सुख प्रदान करने वाला क्षेत्र है |

इस दिशा में वास्तु दोष की उपस्थिति आपके शादीशुदा जीवन को ख़राब कर सकती है।

वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –

नव-विवाहित दम्पति के लिए इस स्थान पर शयनकक्ष का निर्माण किया जा सकता है। इसके अलावा जैसा कि आपका बताया गया है कि यह आकर्षण का भी जोन है | इस जोन में उपस्थित बल के प्रभाव से व्यक्ति स्वतः ही यहाँ रखी  वस्तुओं के प्रति आकर्षित होता है | अतः आपके शॉप या ऑफिस में विक्रय योग्य प्रोडक्ट्स को भी आप इस जोन में रख सकते है जो कि उसकी बिक्री में सहयोगी होंगे |

वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –

इस दिशा में दीवारों पर रेड कलर का उपयोग नहीं करें। इसके अलावा यहाँ पर टॉयलेट की उपस्थिति भी आपके दाम्पत्य जीवन पर असर डालेगी |

15- उत्तर दिशा (NORTH) –

अवस्थिति –

प्रभाव –

वास्तु शास्त्र में यह दिशा आर्थिक समृद्धि हासिल करने के नजरिये से बहुत अधिक महत्त्व रखती है। इस दिशा की उर्जा आपके जीवन में इस तरह के अवसर आकर्षित करती है जो आपको प्रचुर धन कमाने में सहयोग करे | चाहे आपके कार्य का क्षेत्र कुछ भी हो, अगर आपकी उत्तर दिशा बिलकुल वास्तु सम्मत है तो निश्चित ही आपको धन कमाने के प्रचुर अवसर उपलब्ध करवाएगी |

उत्तर दिशा में वास्तु दोष के होने पर सबसे अधिक नुकसान आपके आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। ऐसे में आपके जीवन में पैसे की कमी बनी रहेगी | अतः इसे वास्तु अनुकूल ही बनाये |   

वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –

यह जोन ऐसे युवाओं के बेडरूम के लिए बेहतरीन है जो अपने करियर के निर्माण के लिए प्रयासरत है। इसके अतिरिक्त अगर सम्भावना हो तो इस जोन को बिना किसी निर्माण के  एकदम खुला भी रखा जा सकता है | जल तत्व से सम्बंधित होने के चलते इसमें जल से सम्बंधित चीजे भी रखी जा सकती है |

वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –

उत्तर दिशा जल तत्व का प्रतिनिधित्व करती है, इसलिए यहाँ पर ऐसी कोई भी वास्तु नहीं रखे या ऐसा निर्माण नहीं करे जो कि जल के विपरीत तत्व अग्नि तत्व से सम्बंधित हो | उदाहरण के लिए यहाँ पर किचन का निर्माण करना, रेड कलर या येलो कलर करना एक वास्तु दोष उत्पन्न करेगा | टॉयलेट का निर्माण भी इस दिशा में अनुचित है |

16- उत्तरी ईशान दिशा (NNE) –

अवस्थिति –

प्रभाव –

एक कहावत है कि “पहला सुख निरोगी काया”। जीवन में आप कितना ही धन संचय कर ले, चाहे आपके पास सभी प्रकार की सुख-सुविधाएँ मौजूद हो लेकिन आपका शारीरिक स्वास्थ्य ठीक नहीं हो तो आप जीवन का आनंद नहीं ले पायेंगे | ऐसे में वास्तु शास्त्र में एक ऐसी दिशा है जो आपको स्वस्थ रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है | इस दिशा को हम उत्तरी ईशान के रूप में जानते है |

उत्तरी ईशान का जोन व्यक्ति के स्वास्थ्य और आरोग्य से जुड़ा होता है। यह हमारे इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता) को प्रभावित करता है | अच्छा शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए उत्तरी ईशान का निर्माण वास्तु में निर्धारित नियमों के आधार पर ही करे |

इस दिशा में वास्तु दोष की उपस्थिति आपकी रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता पर नकारात्मक असर डालती है। और आपका परिणामतः आप एक के बाद एक निरंतर बिमारियों से ग्रस्त रहते है।  

वास्तु सम्मत गतिविधियाँ –

इस क्षेत्र को भी अगर खुला एवं स्वच्छ रखा जाए तो उत्तम होगा। यह इस जोन की सकारात्मक उर्जा में वृद्धि करेगा। इसके अतिरिक्त अगर आप पहले से ही कोई दवाई का सेवन कर रहे है तो उन दवाइयों को आप इस दिशा में रख सकते है।

वास्तु विरुद्ध गतिविधियाँ –

यह भी जल तत्व से सम्बंधित जोन है अतः यहाँ पर भी अग्नि तत्व से सम्बंधित किचन का निर्माण, इन्वर्टर रखना या रेड कलर करना इस जोन को नकारात्मक बना देता है। इसमें किसी भी प्रकार की अस्वच्छता उपस्थित नहीं होनी चाहिए।

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